करनाल: साइबर क्राइम थाना करनाल (cyber crime police station karnal) की पुलिस टीम द्वारा वर्क फ्रोम होम की नौकरी देने के नाम पर लोगों के साथ लाखों रुपये की ठगी की वारदातों को अंजाम देने के मामले में तीसरे आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. ऐसी ही एक वारदात के संबंध में करनाल की रहने वाली एक महिला की शिकायत पर थाना साइबर क्राईम में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उस महिला ने बताया था कि अज्ञात आरोपियों ने घर बैठे नौकरी लगवाने के नाम पर अलग-अलग चार्जेस के नाम पर 3 लाख 41 हजार 881 रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कलवा लिये थे.
महिला को अपने साथ हुई धोखाधडी का पता चला तो उसने करनाल साइबर थाने में शिकायत दी. इस संबंध में साइबर थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया. मामले की तफ्तीश एएसआई रविन्द्र कुमार (पुलिस थाना साइबर अपराध करनाल रेंज) को सौंपी गई. तफ्तीश के दौरान साइबर टीम ने बैंक खातों की डिटेल खंगाली. जिसके बाद दिनांक 12 मई को को टीम द्वारा विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर मुकेश कुमार राज (गांव मंझौली, जिला सीतामढी, बिहार) को गाजियाबाद से और जतिन (चावडी बाजार थाना हौज काजी सेंन्ट्रल दिल्ली) को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया.
रिमांड पर लेकर जब इन आरोपियों से पूछताछ की गई तो आरोपियों द्वारा अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम देने की बात का खुलासा किया गया. जिसमें एक नाम बिहार के ही रहने वाले आरोपी सुजीत कुमार सिंह पुत्र राजमंगल सिंह का भी सामने आया. जिसको 2 जून को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया. आरोपी से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वो पहले से गिरफ्तार आरोपियों के साथ पहले एक कॉल सेंटर में काम करता था. वहीं से आरोपियों की आपस में जान पहचान शुरू हुई थी. आरोपी सुजीत एक अन्य व्यक्ति से सस्ते दाम पर फर्जी सिम और फर्जी पेटीएम खाते खरीदकर आरोपियों को मंहगे दाम पर बेचता था.
पूरी जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने 2019 में सेक्टर-62 नोएडा की एक बिल्डिंग में एक्सिस डाटा का दफ्तर खोला था. धोखाधड़ी करने के लिए उस दफ्तर का फर्जी पता बेंगलौर कर्नाटक का दिया गया था. उस दफ्तर में बैठ कर आरोपी क्वीकर वेबसाईट से ऑनलाईन जॉब करने के इच्छुक लोगों का डाटा खरीद लेते थे. आरोपियों ने अपने दफ्तर में एक्सिस बैंक के फर्जी रजिस्ट्रेशन फॉर्म, फर्जी एनओसी, फर्जी जॉब एग्रीमेन्ट लेटर बनाने के लिए एक कम्प्यूटर भी रखा हुआ था. आरोपियों ने फर्जी कॉल करने के लिए की-पैड वाले मोबाइल फोन, खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए एक स्मार्ट फोन भी रखा हुआ था.
आरोपी इन मोबाइल फोन का प्रयोग जिन लोगों से धोखाधड़ी करनी होती थी उन्हीं के लिए करते थे. आरोपी बैंक खातों की केवाईसी करने के बहाने लोगों से उनके पैन कार्ड व आधार कार्ड भी प्राप्त कर लेते थे. जिसकी वजह से आरोपी बैंक में उनके नाम से फर्जी बैंक खाते खोल लेते थे. इसके बाद आरोपी ऐसे लोग जो घर बैठे कोई ऑनलाईन काम करने के इच्छुक होते थे उनका डाटा खरीद लेते थे. आरोपी इस डाटा में से भी ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाते थे.
आरोपी पहले ऐसी महिलाओं को 15 दिन के लिए किसी प्रकार के फॉर्म भरने का काम दे देते थे. फिर 15 दिन बाद उसी महिला के पास उसकी पेमेंट करने के नाम पर फोन करते थे. उस महिला को विश्वास में लेकर आरोपी कई प्रकार के चार्ज जैसे- रजिस्ट्रेशन चार्ज, एनओसी चार्ज, जीएसटी, अपग्रेडेशन चार्ज वसूलते थे. जब कोई महिला इनके पास रुपये भेजती रहती थी तो आरोपी उस महिला से मोटी रकम की मांग करने लग जाते थे. आरोपियों से यह भी खुलासा हुआ कि अब तक पूरे देश में करीब 100 लोगों के साथ इस प्रकार की ठगी को अंजाम दे चुके हैं. जिनसे लाखों रुपये ऐंठ चुके हैं.
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