करनाल: एक दिन ऐसा भी था जब नवदीप के पास दिल्ली जाने के लिए भी पैसे नहीं थे. लेकिन इस तेज गेंदबाज के होसले और जुनून के आगे मुश्किलों की भी एक ना चली.
पिता ने गौतम गंभीर को दिया श्रेय
नवदीप की माता गुरमीत कौर ग्रहणी हैं और पिता अमरजीत सैनी सरकारी ड्राइवर रहे हैं. नवदीप के पिता ने बताया कि चौथी कक्षा से ही नवदीप ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. स्कूल से आते ही घर की छत पर और बाहर खेलता रहता था. उन्होंने नवदीप के इस मुकाम तक पहुंचने में पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और सुमित नरवाल को श्रेय दिया.
उन्होंने आगे बताया कि नवदीप 12वीं कक्षा तक तरावड़ी में ही खेला और इसके बाद करनाल के दयाल सिंह कॉलेज में दाखिला लिया. एक दिन कॉलेज की टीम के साथ क्रिकेट खेल रहा था तभी कोच सुमित ने नवदीप की गेंदबाजी देखी. मैच खत्म होते ही उन्होंने नवदीप से कहा कि तुम बहुत अच्छी गेंदबाजी करते हो.
कोच लेकर गए दिल्ली
उन्होंने नवदीप से दिल्ली चलने के लिए कहा. दिल्ली जाने की बात पर नवदीप ने कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि दिल्ली जा सकूं. तब कोच ने कहा कि मैं अपनी गाड़ी में लेकर जाऊंगा. अगले दिन दिल्ली जाकर उन्होंने नवदीप को क्रिकेटर गौतम गंभीर से मिलवाया. इसके बाद गंभीर ने नवदीप की मदद की. फिर नवदीप का चयन दिल्ली की रणजी टीम में हुआ. जिसके बाद इस तेज गेंदबाज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज भारतीय टीम में अपनी जगह बना ली.
मां रही हैं नवदीप की पहली कोच
वहीं नवदीप की मां से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि बचपन में मैं ही नवी (नवदीप का घर का नाम) की कोच थी. जब भी वह स्कूल से आता मैं अपना घर का काम कर रही होती थी और वो मेरा काम छुड़वाकर क्रिकेट खेलने के लिए कहता था. ऐसा नवी हर रोज करता था. धीरे-धीरे वह अपनी गेंदबाजी को अच्छा करता गया और भगवान की कृपा से आगे बढ़ता गया.