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Anshu Malik: जूनियर वर्ग में होते हुए जीता था सीनियर का गोल्ड, जानिए CWG 2022 की रजत पदक विजेता अंशु मलिक को

हरियाणा की धाकड़ छोरी अंशु मलिक (Haryanvi wrestler anshu malik) ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता है. यह अंशु का पहला राष्ट्रमंडल खेल है और उन्होंने रजत पदक से शुरुआत की है. अंशु ने राष्ट्रमंडल खेलों में जबरदस्त प्रदर्शन किया और महिलाओं के 57 किलोग्राम भारवर्ग में तीन में से दो मुकाबले सिर्फ 64 सेकेंड में जीत लिए.

Haryanvi wrestler anshu malik
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Published : Aug 5, 2022, 10:45 PM IST

जींद: कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों से पूरे देश को उम्मीद थी. इस उम्मीद को बरकरार रखते हुए उन्होंने दिश को निराश भी नहीं किया. धुरंधर पहलवान अंशु मलिक से भी पूरा देश उम्मीद लगाये बैठा था. अंशु मलिक का जन्म 5 अगस्त 2001 को जींद जिले के छोटे से गांव निडानी (anshu malik village name) में हुआ है. गांव से ही अंशु ने दंगल की शुरुआत की. देश की धाकड़ छोरी ने कॉमनवेल्थ के लिए बहुत पसीना बहाया था.

अंशु मलिक ने 3 साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश के धुरंधर पहलवानों में शामिल हो गईं. महज 19 साल की उम्र में अंशु ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. हलांकि टोक्यो में वो मेडल जीतने से चूक गई थीं.

Haryanvi wrestler anshu malik
अंशु मलिक.

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा- अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि अंशु को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं.

पहलवानी विरासत में मिली- अंशु गांव में ही रहती हैं और चार घंटे सुबह शाम को प्रेक्टिस करती हैं. इस बार सभी को उम्मीद थी कि अंशु कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगीं. एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

Haryanvi wrestler anshu malik
इन उपबल्धियों के अलावा CWG 2022 का रजत पदक भी उनके नाम है.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिस पर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला, जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

ये भी पढ़ें- CWG 2022: 21 साल की पहलवान अंशु मलिक ने जीता सिल्वर मेडल

जींद: कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों से पूरे देश को उम्मीद थी. इस उम्मीद को बरकरार रखते हुए उन्होंने दिश को निराश भी नहीं किया. धुरंधर पहलवान अंशु मलिक से भी पूरा देश उम्मीद लगाये बैठा था. अंशु मलिक का जन्म 5 अगस्त 2001 को जींद जिले के छोटे से गांव निडानी (anshu malik village name) में हुआ है. गांव से ही अंशु ने दंगल की शुरुआत की. देश की धाकड़ छोरी ने कॉमनवेल्थ के लिए बहुत पसीना बहाया था.

अंशु मलिक ने 3 साल पहले जूनियर वर्ग में होते हुए भी सीनियर नेशनल खेला और गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक के बाद एक जीत दर्ज करते हुए 57 किलो भार वर्ग में देश के धुरंधर पहलवानों में शामिल हो गईं. महज 19 साल की उम्र में अंशु ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. हलांकि टोक्यो में वो मेडल जीतने से चूक गई थीं.

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अंशु मलिक.

दादी से मिली खेलने की प्रेरणा- अंशु मलिक की मां मंजू मलिक ने बताया कि अंशु को खेल की प्रेरणा उनकी दादी से मिली है. दादी से प्रेरणा मिलने के बाद अंशु ने 2013 से खेल शुरू कर दिया था. इसके बाद उन्होंने लगातार मेडल हासिल किए. परिवार के सभी लोग अंशु को बेटे की तरह ही ध्यान रखते हैं और खूब लाड़ करते हैं.

पहलवानी विरासत में मिली- अंशु गांव में ही रहती हैं और चार घंटे सुबह शाम को प्रेक्टिस करती हैं. इस बार सभी को उम्मीद थी कि अंशु कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल लेकर आएगी और देश का नाम रौशन करेगीं. एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और विश्व कप में सिल्वर जीतने वाली अंशु मलिक को पहलवानी विरासत में मिली है. उनके ताऊ नेशनल लेवल के पहलवान थे और पिता भी पहलवान हैं. उन्होंने ही अंशु मलिक को शुरुआती दांव-पेंच सिखाए थे.

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इन उपबल्धियों के अलावा CWG 2022 का रजत पदक भी उनके नाम है.

अंशु मलिक के पिता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उनकी बेटी ग्राउंड पोजीशन में थोड़ी कमजोर है, जिस पर अंशु ने काफी मेहनत भी की है. अंशु ने पहलवानी की शुरुआत 2016 में सीबीएसएम स्पोर्ट्स कॉलेज से की थी. वैसे 2016 भी अंशु के लिए खासा अच्छा साबित हुआ, लेकिन नाम अंशु को 2017 में मिला, जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनी थी.

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