हिसार: क्राइम इन्वेस्टिगेशन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने पर हरियाणा पुलिस को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और सेंट्रल पुलिस फोर्स (सीपीएफ) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Network and Systems) हैकथॉन एंड साइबर चैलेंज 2022 में पुलिस इन्वेस्टिगेशन कार्य के लिए हरियाणा की हांसी पुलिस के ऐप्लीकेशन को पूरे देश मे रोल आउट के लिए चुना गया है. एडवांस टेक्नोलॉजी के तौर पर हांसी पुलिस अधीक्षक नितिका गहलोत द्वारा तैयार किए गये हांसी पुलिस इन्वेस्टिगेशन ऐप (Hansi Police Investigation App) को पूरे भारत वर्ष में तीसरा स्थान हासिल हुआ है.
इस आधुनिक तकनीक के जरिए किसी भी मामले में अनुसंधान अधिकारी तहरीर लिखकर मौके से एफआईआर दर्ज कर सकता है. पीड़ित को एफआईआर की कॉपी मौके पर ही उपलब्ध करा सकता है. इस ऐप का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है. जिस इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को टाइप करना नहीं आता वो भी इसका प्रयोग बोलकर कर सकता है. ऐप के माध्यम से मौके से क्राइमसीन के फोटोग्राफ्स भी लिए जा सकते हैं. फोटो के साथ ही क्राइमसीन का लोकेशन मैप भी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है. इस ऐप के जरिए मौके पर सभी दस्तावेज डिजिटल फॉर्म में तैयार कर अपलोड किए जा सकते हैं जिससे पुलिस कार्रवाई में विश्वसनीयता भी बढ़ेगी.
हांसी पुलिस अधीक्षक नितिका गहलोत (Hansi SP Nitika Gehlot) ने बताया कि इस ऐप के प्रयोग से पुलिस कार्रवाई और भी आसान होगी. इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को एफआईआर दर्ज करने व अन्य जांच के कागज तैयार करने में बहुत कम समय लगेगा. मौके पर ही जांच अधिकारी एफआईआर दर्ज करके उसकी कॉपी शिकायतकर्ता को दे सकता है. इसके अलावा इस ऐप के प्रयोग से पुलिस का सारा जांच रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा. जिससे न्यायालय में कार्यवाही के दौरान भी आसानी रहेगी और कोर्ट में डिजिटल रिकॉर्ड पेश किए जाने पर समय भी बचत होगी.
एसपी निकिता गहलोत ने कहा कि इस ऐप का सबसे बड़ा फायदा विश्वननीयता का है. कई बार घटना के बाद सवाल उठते हैं कि जांच अधिकारी मौके पर गया या नहीं. कई बार ये भी कहा जाता है कि वारदात के बाद पुलिस देर से पहुंची. इस ऐप के जरिए पुलिस का लोकेशन और मौका-ए-वारदात की तस्वीर रिकॉर्ड में दर्ज हो जायेगी. जिससे कोर्ट के दौरान ट्रायल की कार्यवाही में पुलिस का पक्ष मजबूत होगा और केसों में कनविक्शन दर बढ़ेगी.
अभी तक पुलिस जांच प्रक्रिया के दौरान कागाजी कार्रवाई का काम ज्यादातर मैनुअल होता है. एफआईर से लेकर सारे रिकॉर्ड में कागजी कार्यवाही ज्यादा होती है. हाथ से लिखकर बयान दर्ज करने पड़ते थे. उसके बाद उन्हें कंप्यूटर पर टाइप करना पड़ता था. इसके अलावा कोर्ट में कई बार गवाही के दौरान ऐसे सवाल अटक जाते थे कि मौका ए वारदात पर कब पहुंचे. क्योंकि एक जांच के बाद कोर्ट कार्रवाई में बहुत लंबे समय के बाद जांच अधिकारी को गवाही के लिए बुलाया जाता था. अब इस ऐप के जरिए हर जांच की गतिविधि का डिजिटल रिकॉर्ड होगा तो कोई भी पुलिस कर्मचारी अपनी गवाही के दौरान पुरानी जांच के दस्तावेज और सारी चीजें फिर से देख सकते हैं.