फरीदाबाद: शहर की तहसीलों में बड़े-बड़े घपले चल रहे हैं. कुछ ही दिन पहले तहसीलों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. अब फर्जी स्टाम्प के जरिए रजिस्ट्री करने का मामला सामने आया है.
एक स्टाम्प से दो रजिस्ट्री के मामले में जब तहसीलदार फंसने लगा तो अब उसने रजिस्ट्री को ही रद्द कर दिया है. बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एलएन पाराशर ने एक और चैंकाने वाला खुलासा किया है.
एक स्टाम्प से जो दो रजिस्ट्री हुई थी वो हरियाणा सरकार की पोर्टल पर ऑनलाइन शो हो रही थी जिसका नंबर 3579 था. लगभग एक हफ्ते पहले रजिस्ट्री का मालिक कपिल गुप्ता नकल लेने गया तो उसको जो बताया गया उसे सुनकर उसके होश उड़ गए.
उसे फरीदाबाद के तहसीलदार ने बताया कि तुम्हारी रजिस्ट्री ही नहीं हुई है जबकि ये रजिस्ट्री 17 जून 2016 में हुई थी तीन लाख 43 हजार का स्टाम्प लिया गया था और 16 नवम्बर 2016 को कपिल गुप्ता ने इसकी नकल भी निकलवाई थी, साथ ही 49 लाख रुपये जमीन के मालिक को दिए थे.
आपको बता दें कि इसी स्टाम्प का दुरूपयोग कर बड़खल में दूसरी रजिस्ट्री भी हुई थी. उन्होंने बताया कि 19433484 नंबर के स्टाम्प से दो बार रजिस्ट्री की गई थी और इसी स्टाम्प पेपर पर दूसरी फर्जी रजिस्ट्री 2 फरवरी 2018 को बड़खल के तहसीलदार ने रमेश गोस्वामी के नाम की थी.
वकील पाराशर ने कहा कि तहसीलदार ने बड़ा गड़बड़झाला किया है और कपिल गुप्ता के साथ हुए इस घोटाले में तहसीलदार की पूरी मिली भगत है. एक अन्य मामला भी उनके पास आया है जिसमें रोहतक निवासी अजय गुगनानी ने दिनांक 23 मई 2017 को स्टांप खरीदने के लिए दो लाख दस हजार रुपये ट्रेजरी के पास जमा करवाया लेकिन जांच में उन्होंने पाया कि जो प्रॉपर्टी वो खरीद रहे हैं वो अप्रूव्ड नहीं है.
इसलिए उन्होंने अपना सौदा कैंसिल कर दिया लेकिन बाद में जब वो स्टाम्प के पैसे वापस लेने के लिए ट्रेजरी में गया तो कोषाधिकारी फरीदाबाद एसके बंसल ने उसे बताया कि आपने जिस स्टाम्प के लिए दो लाख दस हजार दिए थे उस पैसे का दुरूपयोग हो चुका है और उसी पैसे से एक रजिस्ट्री तहसील बल्लबगढ़ में दिनांक 7 जून 2017 को नेहा गोयल के नाम हो चुकी है. बेचने वाले का नाम आशीष मलिक है.
इसके बाद अजय गुगनानी ने अपनी शिकायत लेकर प्रॉपर्टी डीलर के पास पहुंचे और अपने पैसे वापस मांगे और स्टाम्प के दुरूपयोग के बारे में बताया तो प्रॉपर्टी डीलर ने उसे नकली स्टाम्प पेपर पकड़ा दिया. नकली स्टाम्प पेपर में मात्र 25 रुपये जमा पाए गए थे.
इस नकली स्टाम्प पेपर को दो लाख दस हजार का बताया गया था. वकील पाराशर ने कहा कि फरीदाबाद की तहसीलों में ये सब घोटाले जारी हैं. सरकार इन घोटालेबाजों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जबकि ये सरकार को ही चूना लगा रहे हैं.