फरीदाबाद: ये कहानी है फरीदाबाद की रहने वाली पूर्व पहलवान नेहा राठी (Faridabad female wrestler Neha Rathi) की. पहलवान नेहा राठी के बारे में अभी तक कम लोग जानते हैं लेकिन उनकी उपलब्धियां बहुत बड़ी हैं. उनके पिता जगरूप सिंह राठी भी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. नेहा राठी फिलहाल बल्लभगढ़ महिला थाने की एसएचओ रह चुकी हैं और अभी पुलिस लाइन में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. नेहा राठी जब पहलावनी की बुलंदियां छू चुकी उसके बाद गीता और बबीता फोगाट ने पहलवानी शुरु की है.
पिता और बेटी की पहली अर्जुन अवार्डी जोड़ी- नेहा और उनके पिता जगरूप राठी रेसलिंग में पहली बाप बेटी की अर्जुन अवार्डी जोड़ी है. नेहा राठी के पिता जगरूप सिंह राठी पूर्व आईपीएस हैं. जगरूप राठी कहते हैं कि इंडिया में रेसलिंग में एक ही घर में पिता और पुत्री को अर्जुन अवार्ड मिलना खुशी की बात है. यह अपने आप में एक मिसाल है. नेहा राठी बताती हैं कि वो 39 बार नेशनल और इंटरनेशनल पहलवान रह चुकी हूं. देश विदेश की कई बड़ी चैंपियनशिप जीती हैं.
नेहा के पिता ने महावीर फोगाट को दी ट्रेनिंग- जगरूप राठी कहते हैं कि साक्षी मलिक को भी मैंने नेहा से प्रैक्टिस करवाया है. साक्षी मलिक के ससुर सत्यवान पहलवान को भी मैंने 3 साल तक कुश्ती सिखाया. हमारे गुरु चंडी राम जी का स्वर्गवास हो चुका है. वह विश्व स्तर के पहलवान रह चुके हैं. उन्होंने ही मुझे सारी ट्रेनिंग दी थी. उसी ट्रेनिंग का प्रचार मैंने किया. जिससे महावीर फोगाट को मैंने सिखाया और साक्षी मलिक के ससुर को मैंने ही ट्रेनिंग दी. जगरूप सिंह राठी आगे बताते हैं कि उन्होंने गीता बबीता के पिता महावीर सिंह फोगाट को 3 साल तक रेसलिंग सिखाया है. मेरी ट्रेनिंग से ही उन्होंने अपनी बच्चियों को सिखाया है. जिससे उनकी बेटी कामयाब हो गईं. जब मैं कैंप में रहकर नेहा को सिखाया करता था तो उस दौरान गीता बबीता भी वहां आकर सीखती थीं.
नेहा के पास आया था दंगल फिल्म का ऑफर- नेहा राठी ने कहा कि आमिर खान की दंगल मूवी का ऑफर पहले उनके पास आया था. दंगल मूवी के लिए जो कृपाशंकर हैं वह हमारे अखाड़े के थे, जिन्होंने आमिर खान को कुश्ती के दांव पेंच सिखाए थे. कृपा शंकर जी के पास जब फिल्म का ऑफर आया तो उन्होंने हमे बताया कि ऐसी मूवी बना रही है, इसमें आप इंटरेस्टेड हैं तो बताइये. लेकिन उसी समय मैं फेमिली प्लान कर चुकी थी. उस समय ज्यादा भाग दौड़ नहीं कर सकती थी तो फिल्म नहीं कर पाई.
नेहा राठी आगे बताती हैं कि हम शुरुआत में ही कुश्ती में आ गये थे. शुरू का बैच सबसे बेहतर था. हम 56 लड़कियां थीं. वो सब अपने-अपने कैटेगरी में अच्छी थीं. गीता बबीता हमारे बाद आईं. मैं भारत केसरी और हरियाणा केसरी सब कुछ बन चुकी थी उस समय. भीम अवार्डी भी हो चुकी थी. यह लड़कियां हमारे बाद में आईं थी. इनको दिशा दिखाई थी हमने. इनको बताया कि हम जीते हैं आप भी जीतोगे. आप मेहनत करो हमने इनकी मेहनत भी करवाई है. साथ में इकट्ठे कैंपों में भी होते थे, विदेश में भी हम जाते थे.
दंगल फिल्म की कहानी एकदम मेरी- नेहा ने कहा कि दंगल मूवी की जो स्टोरी है वो हू-ब-हू हमारे ऊपर है. पापा ने मुझे उसी तरह से आज तैयार किया है. दंगल का एक सीन है जिसमें महावीर फोगाट पटियाला में रहकर अपनी बच्चियों को सिखाते हैं. उसी तरह से मेरे पिताजी मुझे पटियाला कैंप में रेंट पर रहकर सिखाते थे. विदेशों में अपने पैसे लगाकर मेरे पिताजी कोच के तौर पर जाते थे ताकि हमारी कमियां देख सकें. यह तो पूरे कुश्ती जगत को पता है कि मेरे पिताजी मेरे साथ रहे हैं. लोग ये कहने लगे थे कि जगरूप पहलवान को कुछ मत कहो वह अपनी बेटी का पीछा नहीं छोड़ेंगे. नेहा राठी के पिता पूर्व रेसलर जगरूप सिंह राठी को भी खेल कोटे से ही पुलिस में नौकरी मिली थी. वो आईपीएस रिटायर्ड हुए हैं. अब फरीदाबाद में अपने नाम से जगरूप सिंह कुश्ती अकाडमी चलाते हैं. इन दिनों नेहा राठी फरीदाबाद पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं.
नेहा राठी की उपलब्धियां- 2003, 2005, 2008 और 2012 कॉमन वेल्थ गेम में 4 बार गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. 2008 और 2012 एशिया चैंपियनशिप में दो बार नेहा ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है. इसके साथ ही क्यूबा वर्ल्ड कप 2012 में गोल्ड मेडल हासिल किया. नेहा राठी 6 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं. नेहा भारत की पहली पहलवान हैं जो 1999 से लेकर 2013 तक लगातार 15 साल नेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीती हैं. कभी गोल्ड, कभी सिल्वर तो कभी ब्रॉन्ज मेडल. वो हरियाणा केसरी भी हैं. नेहा को 2005 में भीम अवार्ड मिला. 2013 में वोअर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित की गईं.
पहलवानी में लड़कियों के भविष्य को लेकर नेहा राठी कहती हैं कि मुझे पता है एक लड़की की जिंदगी कैसी होती है. मैंने देश और विदेश में कुश्ती लड़ी है. मैं तो यही चाहूंगी कि हर मां बाप अपनी बेटी को इतना सक्षम बना दे कि वह किसी ना किसी चीज में काबिल हो जाए और अपने पैरों पर खड़ी हो जाए. कोई भी लड़की अपने पति और किसी दूसरे पर निर्भर ना रहे. यही वजह है कि मेरे परिवार ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मेरे पिताजी जगरूप सिंह राठी खुद एक रेसलर रह चुके हैं. मेरे पिताजी भी अर्जुन अवॉर्डी रह चुके हैं. मैं भी एक अर्जुन अवॉर्डी हूं. मेरे पिताजी भी हरियाणा पुलिस से आईपीएस रिटायर्ड हैं.