चंडीगढ़: प्रदेश के 9वीं से 12वीं तक के छात्र अध्यापकों से परामर्श के लिए स्कूल आ सकते हैं. लेकिन उन्हें अपने अभिभावकों से लिखित में अनुमति पत्र लाना अनिवार्य होगा. प्रदेश में इसी की तर्ज पर 60 फीसदी अभिभावकों की सहमति के उपरांत स्कूल खोले जा सकते हैं. स्कूल प्रबंधन समितियां इस संबंध में अध्यापकों से राय लेंगी. इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशक सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर चुके हैं.
केंद्र सरकार ने भी कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों को 21 सितंबर से स्कूल आने की अनुमति दे दी है. नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थी 21 सितंबर से स्कूल में अध्यापकों से परामर्श लेने आ सकते हैं. बताया जा रहा है कि 60 फीसदी अभिभावकों की रजामंदी होने के उपरांत स्कूल खोले जा सकते हैं
बीते दिनों प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने का बयान सामने आया था. उन्होंने कहा था कि सरकार सरकारी स्कूलों को खोलने की तैयारी में लगी हुई है. अधिकारियों द्वारा इस दिशा में काम किया जा रहा है. कंवर पाल गुर्जर ने बताया था कि पहले चरण में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल में बुलाया जाएगा. एक कक्षा में 15 से 20 छात्रों को सुबह, शाम की शिफ्ट के अनुसार बुलाने पर विचार चल रहा है. उन्होंने कहा था कि बच्चों को स्कूल भेजना है या नहीं भेजना, ये अभिभावकों के ऊपर निर्भर करेगा. विभाग और स्कूल का इस विषय पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाएगा.