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सर्वकर्मचारी संघ ने किया एलटीसी और डीए रोके जाने का विरोध - Employees protest in Haryana

प्रदेश में 1 साल तक नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है. सीएम ने कर्मचारियों का एलटीसी भी रोकने के आदेश दे दिए हैं. इस पर सर्वकर्मचारी संघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी घोर निंदा की है.

sarv karamchari sangh reaction on stop da and ltr
सुभाष लांबा, सर्व कर्मचारी संघ
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Published : Apr 28, 2020, 12:57 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार कोरोना के इस संकट से निपटने के लिए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में प्रदेश में 1 साल तक नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है. सीएम ने कर्मचारियों का एलटीसी भी रोकने के आदेश दे दिए हैं. सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है.

इसपर सर्वकर्मचारी संघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी घोर निंदा की है. सर्वकर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने सरकार को राय दी है कि देश के सबसे बड़े 10 प्रतिशत पूंजी पतियों पर टैक्स लगाकर संसाधन जुटाए जा सकते हैं.

सर्वकर्मचारी संघ की प्रतिक्रिया

प्रदेश सरकार केंद्र पर जीएसटी का पैसा रिलीज करने का दबाव बनाने की जगह केवल कर्मचारियो को टारगेट कर रही है जबकि स्वास्थ्य, बिजली, जन अभियांत्रिकी समेत अन्य विभागों में कर्मचारी कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं. ऐसे में सरकार कर्मचारियों का मनोबल तोड़ना चाहती है जिससे कोरोना के खिलाफ जंग कमजोर होगी.

सरकार के फैसले की निंदा की

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा ने हरियाणा सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए सरकार से मांग की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. सुभाष लांबा ने कहा कि आज स्वास्थ्य विभाग से लेकर बिजली, नगर पालिका, नगर निगम, पब्लिक हेल्थ जैसे हम महकमों में कर्मचारी कोरोना महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ और हेल्थ मंत्रालय के द्वारा निर्देशित सुरक्षा उपकरण मुहैया ना करवाए जाने के बावजूद भी कर्मचारी डटकर कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं. सुभाष लांबा ने कहा कि...

केंद्र सरकार बड़े पूंजीपतियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर संसाधन मुहैया करवा सकती है. देश के 10 बड़े पूंजीपतियों के पास देश का 77% धन है. मगर सरकार ऐसे कदम उठाने की जगह सॉफ्ट टारगेट ढूंढ रही है. कर्मचारियों अभी तक 100 करोड़ रुपये रिलीफ फंड में जमा करवा चुके हैं उसके बावजूद कर्मचारियों पर हमले किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार को प्रदेश सरकारों का जीएसटी का पैसा जारी करना चाहिए. पैसा नहीं आने के चलते प्रदेश सरकार के सामने मुश्किल आ रही हैं. मगर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार पर दबाव डालने की जगह कर्मचारियों को निशाना बना रही है. कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है अगर कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा तो कर्मचारियों का हौसला कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में कमजोर पड़ेगा.

गौरतलब की सरकार ने नई भर्तियों पर 1 साल के लिए रोक लगा दी है जबकि कर्मचारियों को एलटीसी रोकने के भी आदेश अधिकारियों को दे दिए हैं. सरकार के इस फैसले पर कर्मचारी संगठन निंदा करते हुए पुनः विचार की मांग करते हुए सरकार को अन्य रास्ते सुझाने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 5000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार कोरोना के इस संकट से निपटने के लिए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में प्रदेश में 1 साल तक नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है. सीएम ने कर्मचारियों का एलटीसी भी रोकने के आदेश दे दिए हैं. सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है.

इसपर सर्वकर्मचारी संघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी घोर निंदा की है. सर्वकर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने सरकार को राय दी है कि देश के सबसे बड़े 10 प्रतिशत पूंजी पतियों पर टैक्स लगाकर संसाधन जुटाए जा सकते हैं.

सर्वकर्मचारी संघ की प्रतिक्रिया

प्रदेश सरकार केंद्र पर जीएसटी का पैसा रिलीज करने का दबाव बनाने की जगह केवल कर्मचारियो को टारगेट कर रही है जबकि स्वास्थ्य, बिजली, जन अभियांत्रिकी समेत अन्य विभागों में कर्मचारी कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं. ऐसे में सरकार कर्मचारियों का मनोबल तोड़ना चाहती है जिससे कोरोना के खिलाफ जंग कमजोर होगी.

सरकार के फैसले की निंदा की

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा ने हरियाणा सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए सरकार से मांग की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. सुभाष लांबा ने कहा कि आज स्वास्थ्य विभाग से लेकर बिजली, नगर पालिका, नगर निगम, पब्लिक हेल्थ जैसे हम महकमों में कर्मचारी कोरोना महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ और हेल्थ मंत्रालय के द्वारा निर्देशित सुरक्षा उपकरण मुहैया ना करवाए जाने के बावजूद भी कर्मचारी डटकर कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं. सुभाष लांबा ने कहा कि...

केंद्र सरकार बड़े पूंजीपतियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर संसाधन मुहैया करवा सकती है. देश के 10 बड़े पूंजीपतियों के पास देश का 77% धन है. मगर सरकार ऐसे कदम उठाने की जगह सॉफ्ट टारगेट ढूंढ रही है. कर्मचारियों अभी तक 100 करोड़ रुपये रिलीफ फंड में जमा करवा चुके हैं उसके बावजूद कर्मचारियों पर हमले किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार को प्रदेश सरकारों का जीएसटी का पैसा जारी करना चाहिए. पैसा नहीं आने के चलते प्रदेश सरकार के सामने मुश्किल आ रही हैं. मगर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार पर दबाव डालने की जगह कर्मचारियों को निशाना बना रही है. कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है अगर कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा तो कर्मचारियों का हौसला कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में कमजोर पड़ेगा.

गौरतलब की सरकार ने नई भर्तियों पर 1 साल के लिए रोक लगा दी है जबकि कर्मचारियों को एलटीसी रोकने के भी आदेश अधिकारियों को दे दिए हैं. सरकार के इस फैसले पर कर्मचारी संगठन निंदा करते हुए पुनः विचार की मांग करते हुए सरकार को अन्य रास्ते सुझाने लगे हैं.

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