चंडीगढ़: मंगलवार यानि 31 मई को राज्यसभा चुनाव में नामांकन का आखिरी दिन है. खास बात इस बार अभी तक यह है कि राज्यसभा की 2 सीटों के लिए हरियाणा (Rajy asabha Election Haryana) से दो ही उम्मीदवार उतारे गये हैं. ऐसे में अभी तक दोनों के ही निर्विरोध राज्यसभा पहुंचने की संभावनाएं प्रबल दिखाई दे रही हैं. बीजेपी ने अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कृष्ण लाल पंवार को अपना राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने अजय माकन को राज्यसभा के लिए हरियाणा से उम्मीदवार घोषित किया है. हरियाणा से ही संबंध रखने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान से उम्मीदवार घोषित किया है.
राजनीतिक मामलों के जानकार डॉक्टर सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि बीजेपी ने अनुसूचित जाति से उम्मीदवार इसलिए चुना क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने कुमारी सैलजा को अध्यक्ष पद से हटाया था, उसके बाद बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया था. जिसे देखते हुए बीजेपी ने अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले कृष्ण लाल पंवार को अपना उम्मीदवार बनाया और साथ ही वे पूर्व की बीजेपी सरकार में मत्री भी रहे हैं. ऐसे में उनके पास उनसे मजबूत चेहरा कोई और नहीं था. यानि बीजेपी ने जातीय समीकरण को देखते हुए कृष्ण लाल पंवार को अपना राज्यसभा का उम्मीदवार चुना है. क्योंकि वर्तमान में मुख्यमंत्री मनोहर लाल पंजाबी समाज से आते हैं वहीं पार्टी के अध्यक्ष ओपी धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं. ऐसे में अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व को बनाए रखने के लिए पार्टी ने कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा के लिए चुना.
जब बीजेपी कुमारी सैलजा के नाम पर कांग्रेस पर निशाना साध रही थी तो कांग्रेस ने अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले उदय भान को ही प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. ऐसे में यह दांव बीजेपी पर उल्टा पड़ गया था. ऐसे में बीजेपी ने इसको बैलेंस करने के लिए कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया. कांग्रेस द्वारा अजय माकन को हरियाणा से उम्मीदवार बनाए जाने पर डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि पंजाबी समाज उनसे दूर ना हो जाए इसे देखते हुए उन्होंने अजय माकन को अपना उम्मीदवार बनाया. दरअसल अजय माकन हरियाणा के नारायणगढ़ से ताल्लुक रखते हैं. उनके पूर्वज पाकिस्तान से आकर वहीं बस गये थे.
डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि पंजाबी समुदाय में कांग्रेस को लेकर गलत संदेश ना जाए इसी वजह से ही पार्टी ने अजय माकन को अपना उम्मीदवार चुना. यानि जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन को मैदान में उतारा ताकि एक तीर से वह भी जातीय समीकरण सभी साध सके. जब धीमान से ये सवाल किया गया कि क्या सुरजेवाला को राजस्थान से और अजय माकन को हरियाणा से चुनावी मैदान में उतारने के पीछे कांग्रेस की अंतर कलह और स्याही कांड का डर तो नहीं था. इसको लेकर डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि ऐसा नहीं है. लेकिन जातीय समीकरण इस वक्त कांग्रेस के लिए अहम थे.
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटें (Rajya sabha Election Haryana) खाली हो रही हैं. इसके लिए 24 मई से ही नामांकन दाखिल होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. उम्मीदवार 31 मई तक नामांकन कर सकेंगे. इसके बाद 1 जून को नामांकनों की जांच की जाएगी. उम्मीदवार 3 जून तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो 10 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा. उसी दिन शाम 5 बजे मतगणना शुरू होगी.