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फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की पहली बरसी, लोगों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

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Published : May 15, 2022, 5:37 PM IST

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर पद्मश्री मिल्खा सिंह की पहली बरसी पर लोगों ने उन्हें चंडीगढ़ में भावभीनी श्रद्धांजलि दी. कोरोना के चलते पिछले साल उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल मिल्खा सिंह का भी निधन हो गया था. फ्लाइंग सिख पद्मश्री स्वर्गीय मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह की पहली बरसी पर चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया स्थि होटल एक में अरदास की गई.

People pay tribute to Milkha Singh in Chandigarh
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की पहली बरसी.

चंडीगढ़: कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोग अपनी जान गवां बैठे. देश ने कई बड़ी हस्तियों को भी खो दिया.ऐसी हस्तियां जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में चमकाया और देश को कई बार गर्व करने का अवसर दिया. इन्हीं में से एक थे पूर्व भारतीय धावक फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, जिन्हें देश ने कोरोना महामारी के चलते खो दिया.‌ उनसे पहले कोरोना के चलते उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल मिल्खा सिंह का भी निधन हो गया था. 5 दिन बाद मिल्खा सिंह का भी निधन कोरोना की से ही हुआ था, हालांकि अंग्रेजी तारीख के अनुसार उनका निधन 18 जून 2021 को हुआ था. आज उनकी पहली बरसी पर लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

फ्लाइंग सिख पद्मश्री स्वर्गीय मिल्खा सिंह (Milkha Singh latest news) और उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह की पहली बरसी पर चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक होटल में अरदास की गई. इस दौरान मिल्खा सिंह के पारिवारिक सदस्यों के अलावा शहर के गणमान्य लोग व खेल जगत की कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.

खिलाड़ियों के लिए हमेशा रहेंगे प्ररेणा स्रोत: फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर पद्मश्री मिल्खा सिंह ने साल 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. साल 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता था.साल 1962 के एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा साल 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को ध्वस्त किया, लेकिन वह मेडल नहीं जीत सके थे.

साल 1960 में पाकिस्तान प्रसिद्ध धावक अब्दुल बासित को पाकिस्तान में उन्होंने काफी अंतर से हराया. इसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' कह कर पुकारा था. वहीं, साल 1962 में जकार्ता में आयोजित एशियन खेलों में मिल्खा ने 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. रोम ओलंपिक में स्थापित मिल्खा के कीर्तिमान को धावक परमजीत सिंह ने 40 साल बाद साल 1998 में तोड़ा था. उनके जीवन पर भाग मिल्खा भाग फिल्म भी बन चुकी है. ऐसी ही शख्सियत निर्मल मिल्खा सिंह थीं. उनका जीवन हमेशा खिलाड़ियों के प्ररेणा स्रोत रहेगा.

ये भी पढ़ें: संंघर्षों की बुनियाद पर लिखी सफलता की कहानी, मिल्खा सिंह की दास्तान

चंडीगढ़: कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोग अपनी जान गवां बैठे. देश ने कई बड़ी हस्तियों को भी खो दिया.ऐसी हस्तियां जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में चमकाया और देश को कई बार गर्व करने का अवसर दिया. इन्हीं में से एक थे पूर्व भारतीय धावक फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, जिन्हें देश ने कोरोना महामारी के चलते खो दिया.‌ उनसे पहले कोरोना के चलते उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल मिल्खा सिंह का भी निधन हो गया था. 5 दिन बाद मिल्खा सिंह का भी निधन कोरोना की से ही हुआ था, हालांकि अंग्रेजी तारीख के अनुसार उनका निधन 18 जून 2021 को हुआ था. आज उनकी पहली बरसी पर लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

फ्लाइंग सिख पद्मश्री स्वर्गीय मिल्खा सिंह (Milkha Singh latest news) और उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह की पहली बरसी पर चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक होटल में अरदास की गई. इस दौरान मिल्खा सिंह के पारिवारिक सदस्यों के अलावा शहर के गणमान्य लोग व खेल जगत की कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.

खिलाड़ियों के लिए हमेशा रहेंगे प्ररेणा स्रोत: फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर पद्मश्री मिल्खा सिंह ने साल 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. साल 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता था.साल 1962 के एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा साल 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को ध्वस्त किया, लेकिन वह मेडल नहीं जीत सके थे.

साल 1960 में पाकिस्तान प्रसिद्ध धावक अब्दुल बासित को पाकिस्तान में उन्होंने काफी अंतर से हराया. इसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' कह कर पुकारा था. वहीं, साल 1962 में जकार्ता में आयोजित एशियन खेलों में मिल्खा ने 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. रोम ओलंपिक में स्थापित मिल्खा के कीर्तिमान को धावक परमजीत सिंह ने 40 साल बाद साल 1998 में तोड़ा था. उनके जीवन पर भाग मिल्खा भाग फिल्म भी बन चुकी है. ऐसी ही शख्सियत निर्मल मिल्खा सिंह थीं. उनका जीवन हमेशा खिलाड़ियों के प्ररेणा स्रोत रहेगा.

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