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करण चौटाला में दुष्यंत की काट खोज रही है इनेलो? ओपी चौटाला सिखा रहे हैं राजनीति की ABCD!

करण चौटाला(karan chautala) अब ओपी चौटाला(op chautala) के साये की तरह साथ क्यों दिख रहे हैं? क्या दुष्यंत चौटाला(dushyant chautala) के लिए नया प्रतिद्वंदी तैयार किया जा रहा है.

op chautala
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Published : Jul 4, 2021, 5:37 PM IST

चंडीगढ़ः कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी बिना मतलब नहीं होता, तो क्या जेबीटी घोटाले की सजा पूरी करने के बीद तिहाड़ से आते ओपी चौटाला की गाड़ी के ड्रावर का भी कोई मतलब था या है. क्योंकि उस दिन ओपी चौटाला जिस गाड़ी में सवार थे उसे उनके पौते और अभय चौटाला के बड़े बेटे करण चौटाला चला रहे थे. वो पिछले कुछ दिनों से साये की तरह अपने दादा के साथ दिखते हैं. इतना ही नहीं करण चौटाला इनेलो में अभय चौटाला के बाद सबसे एक्टिव नेता हैं, जबकि पहले वो राजनीतिक कार्यक्रमों में कम ही दिखते थे.

राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि इनेलो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने और दुष्यंत चौटाला की काट करण चौटाला में तलाश रही है. यही वजह है कि जब से दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर अलग पार्टी बनाई है तब से करण चौटाला लगातार एक्टिव नजर आये हैं, उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए. अब करण चौटाला अपने दादा और राजनीति में माहिर माने जाने वाले ओपी चौटाला से सियासी ककहरा सीख रहे हैं.

op chautala
ओपी चौटाला के साथ करण चौटाला

पहले हर जगह दुष्यंत दिखते थे

एक वक्त था जब इनेलो में ओपी चौटाला के बाद सबसे ज्यादा दुष्यंत चौटाला दिखते थे, जब भी पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम होता दुष्यंत चौटाला सबसे आगे दिखते. ओपी चौटाला भी उन्हें हमेशा अपने करीब रखते थे और अभय चौटाला भी वरीयता देते थे. जानकार बताते हैं कि दुष्यंत चौटाला ने राजनीति अपने दादा से सीखी और स्वभाव उन्होंने अपने पिता का अपनाया. जिसे हरियाणा की जनता ने काफी पसंद किया और सबसे कम उम्र का सांसद बना दिया.

op chautala
ओपी चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ेंः दुष्यंत चौटाला नहीं चाहते थे जेल से बाहर आएं ओपी चौटाला? अभय के आरोपों में कितना दम ?

अब वही राजनीतिक बारीकियां ओपी चौटाला अपने दूसरे पोते करण चौटाला को सिखा रहे हैं, क्योंकि दुष्यंत के रास्ते अलग हैं और दादा ने अभी लड़ने की जिद और हिम्मत नहीं छोड़ी है. इनेलो को उम्मीद है कि करण चौटाला के रूप में वो दुष्यंत चौटाला का ऐसा प्रतिद्वंदी खड़ा कर रहे हैं. जो आगे चलकर उनसे टक्कर ले सके. क्योंकि अजय चौटाला तो अपनी सियासत अगली पीढ़ी को सौंप चुके हैं अब बारी अभय चौटाला की है जिनके पीछे ओपी चौटाला देवी लाल की विरासत ओढ़े चट्टान की तरह खड़े हैं. लेकिन ये प्रयोग इनेलो के लिए कितना फायदेमंद होगा ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा.

ये भी पढ़ेंः ओपी चौटाला ने तिहाड़ में कैसे बिताए 3 हजार 443 दिन, जेल में उन्हें क्या काम मिला था?

चंडीगढ़ः कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी बिना मतलब नहीं होता, तो क्या जेबीटी घोटाले की सजा पूरी करने के बीद तिहाड़ से आते ओपी चौटाला की गाड़ी के ड्रावर का भी कोई मतलब था या है. क्योंकि उस दिन ओपी चौटाला जिस गाड़ी में सवार थे उसे उनके पौते और अभय चौटाला के बड़े बेटे करण चौटाला चला रहे थे. वो पिछले कुछ दिनों से साये की तरह अपने दादा के साथ दिखते हैं. इतना ही नहीं करण चौटाला इनेलो में अभय चौटाला के बाद सबसे एक्टिव नेता हैं, जबकि पहले वो राजनीतिक कार्यक्रमों में कम ही दिखते थे.

राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि इनेलो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने और दुष्यंत चौटाला की काट करण चौटाला में तलाश रही है. यही वजह है कि जब से दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर अलग पार्टी बनाई है तब से करण चौटाला लगातार एक्टिव नजर आये हैं, उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए. अब करण चौटाला अपने दादा और राजनीति में माहिर माने जाने वाले ओपी चौटाला से सियासी ककहरा सीख रहे हैं.

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ओपी चौटाला के साथ करण चौटाला

पहले हर जगह दुष्यंत दिखते थे

एक वक्त था जब इनेलो में ओपी चौटाला के बाद सबसे ज्यादा दुष्यंत चौटाला दिखते थे, जब भी पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम होता दुष्यंत चौटाला सबसे आगे दिखते. ओपी चौटाला भी उन्हें हमेशा अपने करीब रखते थे और अभय चौटाला भी वरीयता देते थे. जानकार बताते हैं कि दुष्यंत चौटाला ने राजनीति अपने दादा से सीखी और स्वभाव उन्होंने अपने पिता का अपनाया. जिसे हरियाणा की जनता ने काफी पसंद किया और सबसे कम उम्र का सांसद बना दिया.

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ओपी चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो)

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अब वही राजनीतिक बारीकियां ओपी चौटाला अपने दूसरे पोते करण चौटाला को सिखा रहे हैं, क्योंकि दुष्यंत के रास्ते अलग हैं और दादा ने अभी लड़ने की जिद और हिम्मत नहीं छोड़ी है. इनेलो को उम्मीद है कि करण चौटाला के रूप में वो दुष्यंत चौटाला का ऐसा प्रतिद्वंदी खड़ा कर रहे हैं. जो आगे चलकर उनसे टक्कर ले सके. क्योंकि अजय चौटाला तो अपनी सियासत अगली पीढ़ी को सौंप चुके हैं अब बारी अभय चौटाला की है जिनके पीछे ओपी चौटाला देवी लाल की विरासत ओढ़े चट्टान की तरह खड़े हैं. लेकिन ये प्रयोग इनेलो के लिए कितना फायदेमंद होगा ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा.

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