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सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंजाब को मानना ही होगा, कोर्ट सर्वोच्च: शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने कहा कि कोर्ट का निर्णय इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वो किसी को सूट करता है या नहीं. चाहे उसमें हरियाणा की सरकार हो और चाहे पंजाब की, सबको कोर्ट का निर्णय मानना ही होगा.

kanwar pal gurjar
कुंवर पाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री
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Published : Jan 24, 2020, 12:20 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा को पानी ना देने के फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट सर्वोच्च होता है, उसके निर्णय को मानना अनिवार्य होता है. शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने कहा कि कोर्ट का निर्णय इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वो किसी को सूट करता है या नहीं चाहे उसमें हरियाणा की सरकार हो और चाहे पंजाब की, सबको कोर्ट का निर्णय मानना ही होगा.

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए ये अच्छा उदाहरण नहीं है. इस तरह की बात करना निंदनीय है. गुर्जर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न मानने की बात के बाद रह ही कुछ नहीं जाता है. उन्होंने 2004 में पंजाब के द्वारा एसवाईएल के पानी को हरियाणा को ना देने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके विरोध में हम सभी बीजेपी विधायकों ने उस समय अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंजाब को मानना ही होगा, कोर्ट सर्वोच्च: शिक्षा मंत्री

क्या है मामला?
बता दें कि हरियाणा एसवाईएल के पानी पर अपना हक एक लंबे समय से जताता आ रहा है और वही पंजाब इसका विरोध करता रहा है. इस पानी को लेकर दशकों से राजनीति दोनों तरफ से जरूर हो रही है, लेकिन हल कोई नहीं निकल रहा.

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी प्रदेशों को आपस में मिलजुल कर फैसला लेने की बात कही गई है लेकिन इसके बावजूद भी कोई हल निकल नहीं पाया है. अब जब पंजाब ने सर्वदलीय बैठक कर हरियाणा को को पानी ना देने का फैसला कर लिया है तो एक बार फिर से हरियाणा में इस विषय को लेकर राजनीति माहौल गर्म है.

ये भी पढ़ें- प्री बजट पर मुख्यमंत्री ने की बैंकर्स के साथ बैठक, कहा- हर बैंक 50 गांवों में खोले शाखाएं

चंडीगढ़: हरियाणा के शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा को पानी ना देने के फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि कोर्ट सर्वोच्च होता है, उसके निर्णय को मानना अनिवार्य होता है. शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने कहा कि कोर्ट का निर्णय इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वो किसी को सूट करता है या नहीं चाहे उसमें हरियाणा की सरकार हो और चाहे पंजाब की, सबको कोर्ट का निर्णय मानना ही होगा.

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए ये अच्छा उदाहरण नहीं है. इस तरह की बात करना निंदनीय है. गुर्जर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न मानने की बात के बाद रह ही कुछ नहीं जाता है. उन्होंने 2004 में पंजाब के द्वारा एसवाईएल के पानी को हरियाणा को ना देने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके विरोध में हम सभी बीजेपी विधायकों ने उस समय अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंजाब को मानना ही होगा, कोर्ट सर्वोच्च: शिक्षा मंत्री

क्या है मामला?
बता दें कि हरियाणा एसवाईएल के पानी पर अपना हक एक लंबे समय से जताता आ रहा है और वही पंजाब इसका विरोध करता रहा है. इस पानी को लेकर दशकों से राजनीति दोनों तरफ से जरूर हो रही है, लेकिन हल कोई नहीं निकल रहा.

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी प्रदेशों को आपस में मिलजुल कर फैसला लेने की बात कही गई है लेकिन इसके बावजूद भी कोई हल निकल नहीं पाया है. अब जब पंजाब ने सर्वदलीय बैठक कर हरियाणा को को पानी ना देने का फैसला कर लिया है तो एक बार फिर से हरियाणा में इस विषय को लेकर राजनीति माहौल गर्म है.

ये भी पढ़ें- प्री बजट पर मुख्यमंत्री ने की बैंकर्स के साथ बैठक, कहा- हर बैंक 50 गांवों में खोले शाखाएं

Intro:चंडीगढ, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कुंवर पाल गुर्जर ने पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा को पानी ना देने के फैसले की निंदा की है और कहा है कि कोर्ट सर्वोच्च होता है उसका निर्णय को मानना अनिवार्य होता है । उन्होंने कहा कि कोर्ट का निर्णय इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह किसी को सूट करता है या नहीं चाहे उसमें हरियाणा की सरकार हो और चाहे पंजाब की सबको कोर्ट का निर्णय मानना ही होगा।


Body:कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए यह अच्छा उदाहरण नहीं है इस तरह की बात करना निंदनीय है गुर्जर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न मानने की बात के बाद रह ही कुछ नहीं जाता है । उन्होंने 2004 में पंजाब के द्वारा एसवाईएल के पानी को हरियाणा को ना देने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके विरोध में हम सभी भाजपा विधायकों ने उस समय अपने पद से इस्तीफा दे दिया था ।


Conclusion:हरियाणा एसवाईएल के पानी पर अपना हक एक लंबे समय से जताता आ रहा है और वही पंजाब इसका विरोध करता रहा है इस पानी को लेकर दशकों से राजनीति दोनों तरफ से जरूर हो रही है लेकिन हल कोई नहीं निकल रहा । सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी प्रदेशों को आपस में मिलजुल कर फैसला लेने की बात कही गई है लेकिन इसके बावजूद भी कोई हल निकल नहीं पाया है अब जब पंजाब ने सर्वदलीय बैठक कर हरियाणा को को पानी ना देने का फैसला कर लिया है तो एक बार फिर से हरियाणा में इस विषय को लेकर राजनीति माहौल गर्म है ।
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