चंडीगढ़: आगामी 10 जून को देश में राज्यसभा की खाली सीटों के लिए चुनाव होना है. इसी के तहत हरियाणा में भी दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होगा. इन दोनों सीटों पर बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार और विपक्षी दल कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. वर्तमान हालातों को देखें तो हरियाणा में एक सीट पर सत्तापक्ष और एक सीट पर विपक्ष का दावा मजबूत दिखाई देता है.
मौजूदा वक्त में हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 40 विधायक हैं. वहीं उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के पास 10 विधायक. वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस के पास इस समय 31 विधायक हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या 7 है और एक विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी का है जबकि एक विधायक इनेलो का. हालांकि हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक और निर्दलीय विधायकों का बीजेपी और जेजेपी की सरकार को समर्थन है.
हरियाणा की खाली होने वाली दोनों राज्यसभा सीटों पर इस वक्त बीजेपी समर्थित सांसद हैं. जिनमें से 1 सीट पर बीजेपी सांसद दुष्यंत गौतम हैं तो वहीं बीजेपी के समर्थन से सांसद बने सुभाष चंद्र का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है. जून 2016 में सुभाष चंद्र बड़े उलटफेर के साथ राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उस वक्त स्याही कांड को लेकर हरियाणा की राजनीति में काफी दिनों तक हंगामा देखने को मिला था. 2016 के चुनाव में विधायकों की संख्या के हिसाब से ये सीट कांग्रेस-इनेलो के समर्थित प्रत्याशी आर.के. आनंद के खाते में जानी थी. लेकिन स्याही की गड़बड़ में आरके आनंद यह चुनाव हार गए. चुनाव के समय कुछ कांग्रेसी विधायकों के पेन की स्याही अलग होने से उनके वोट रद्द हो गए थे. जिसकी वजह से सुभाष चंद्र ने इस चुनाव में बाजी मार ली थी.
इस बार भी आंकड़े बता रहे हैं कि एक पर बीजेपी-जेजेपी के उम्मीदवार का जीतना तय है. लेकिन इस बार भी आंकड़े चाहे कुछ भी कह रहे हों लेकिन सत्ता पक्ष इन आंकड़ों की बाजीगरी कर कांग्रेस के मंसूबों को बिगाड़ सकता है. सत्ता पक्ष विपक्ष के विधायकों में अपनी सेंध लगाकर कांग्रेस के गणित को बिगाड़ने का प्रयास जरूर करेगा. क्योंकि कांग्रेस के अंदर मौजूदा समय में भी गुटबाजी है. सत्ता पक्ष इस गुटबाजी का फायदा उठाकर दूसरी सीट को भी अपने कब्जे में करने की कोशिश जरूर करेगा.
बीजेपी-जेजेपी और कांग्रेस के कई नेता इस बार राज्यसभा में जाने के लिए लाइन में खड़े हैं. अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उनकी ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा दौड़ में सबसे आगे दिखाई देती हैं. लेकिन इनके साथ ही कांग्रेस आलाकमान की करीबी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला भी दावेदार हो सकते हैं. हालांकि कांग्रेस के अंदर जिस तरीके की गुटबाजी है उसको देखते हुए फिर से हरियाणा कांग्रेस में ताकतवर बनकर उभरे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने ग्रुप से किसी नेता को राज्यसभा भेजने में गुरेज नहीं करना चाहेंगे. हरियाणा कांग्रेस में बदलाव से पहले जिस तरीके की बातें सामने आई थी उसको देखते हुए कुमारी सैलजा की दावेदारी मजबूत दिखाई देती है.
इस सब के बीच अगर पार्टी के अंदर एक प्रत्याशी को लेकर आम सहमति नहीं बनी तो उसका फायदा सत्ता पक्ष जरूर उठाना चाहेगा. इधर बीजेपी और जेजेपी की बात की जाए तो बीजेपी की ओर से कई नामों को लेकर चर्चा हो रही है. इन नामों में ज्यादातर वे चेहरे शामिल दिखाई दे रहे हैं जो बीजेपी की पिछली सरकार में मंत्री थे. ऐसी में बीजेपी किस पर दांव खेलेगी ये देखना भी दिलचस्प होगा. वहीं अगर जेजपी की बात की जाए तो उनकी ओर से भी किसी का नाम आगे किया जा सकता है. ऐसे में इस दौड़ में सबसे आगे डॉ अजय चौटाला दिखाई देते हैं. बीजेपी जेजेपी का गठबंधन हो या फिर विपक्ष में बैठी कांग्रेस किस पर अपना दांव खेलती है यह उम्मीदवारों की घोषणा के साथ साफ हो जाएगा.