चंडीगढ़: पानीपत में हजारों प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को आर्थिक सहायता दिलाने के साथ उनके खान पान का प्रबंध की एक मांग पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है. इस मामले में हाई कोर्ट ने उचित कदम उठाने का आदेश देते हुए सभी जरूरतमंद मजदूरों को नियमों के अनुसार सहायता देने का आदेश दिया.
ये याचिका मजदूर संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन (इफ्टू) हरियाणा प्रदेश संयोजक पीपी कपूर द्वारा दायर की गई थी. शुक्रवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरूण पल्ली की बेंच को बताया गया कि मजदूर संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन कानूनी तौर पर इन मजदूरों के लिए जनहित याचिका दायर करने के लिए अधिकारी नहीं है. क्योंकि ये संस्था मान्यता प्राप्त नहीं है.
इस पर हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्वय संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की. इस पर सरकार की तरफ से बताया गया कि सरकार ने नियमों के तहत पहले ही जरूरमंद मजदूरों की सहायता के लिए काम शुरू किया हुआ है. जरूरमंद मजदूरों ही सहायता के लिए हेल्प लाइन नम्बर जारी गया है और सरकार योग्य जरूरमंद मजदूर को एक हजार रूपये साप्ताहिक वित्तिय सहायता दे रही हैं.
सरकार के पास 29533 आवेदन आए थे जिसमें से 13182 जरूरमंद मजदूर योग्य पए गए. जिनको वित्तिय सहायता दी जा रही है. इसके अलावा सभी को रहने के स्थान के साथ भेजने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है.
अगर शिकायतकर्ता के पास ऐसे जरूरमंद मज़दूरों की सूची है, जिनको सहायता नहीं मिल रही तो वो सरकार दे सकता है. सरकार नियम के अनुसार सहायता करेगी. हरियाणा के एडीशनल एडवोकेट जनरल दीपक बल्याण ने कोर्ट को बताया कि पानीपत के एमसी कमीश्नर, पानीपत व समालखा के एसडीएम को नोडल अधिकारी बनाया गया है. जो जरूरमंद मजदूरों को रहने व खाना, पीने की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए काम कर रहे हैं.
सरकार की तरफ से ये भी बताया गया कि पानीपत में 10 और शेल्टर होम बनाए गए हैं जिसमें 772 जरूरमंद मजदूरों रह रहे हैं. सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को सभी बचे हुए योग्य लोगों को नियम के अनुसार सहायता देने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.
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