चंडीगढ़: पूर्व जिला अटॉर्नी की तरफ से उसके ईंट भट्टे पर हुए हमले के मामले में झूठी शिकायत देने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की राशि पीजीआई चंडीगढ़ में गरीब मरीजों के इलाज के लिए बने पुअर पेशेंट वेलफेयर फंड में जमा करवाने के आदेश दे दिए हैं.
ये है मामला
याचिकाकर्ता पूर्व जिला अटॉर्नी 2011 में रिटायर हुए थे और अब वो अब ईंट-भट्टा चला रहे हैं. याची के अनुसार 23 मार्च 2017 को उसके ईंट-भट्टे पर 15-20 हथियारबंद लोग आए. उन्होंने न केवल गार्ड के माथे पर बंदूक तानी बल्कि उसके बेटे पर भी हमला करने की कोशिश की. इस दौरान वे भट्टे से पैसे और लैपटॉप उठा कर ले गए. याचिकाकर्ता ने कथूनांगल के एसएचओ पर भी आरोप लगाए थे.
एसआईटी ने की मामले की जांच
पहले इस मामले की जांच डीएसपी ने की थी और बाद में डीजीपी ने इस मामले की जांच ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को सौंप दी थी. ब्यूरो ने जांच के लिए आईजी वी नीरजा की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर दी थी.
गौरतलब है कि एसआईटी ने एफआईआर कर आरोपियों के खिलाफ करवाई की शिफारिश की थी. वहीं एसएचओ के खिलाफ दर्ज मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी. हालांकि मामले में देरी से कार्रवाई के चलते उसपर विभागीय कार्रवाई की शिफारिश की थी.
याचिकाकर्ता ने लगाया था आरोप
पिछली सुनवाई पर एसआईटी द्वारा दी गई इस जानकारी पर याचिकाकर्ता ने कहा कि एसएचओ इस मामले की जांच कर रही एसआईटी की मुखिया का पीएसओ रह चुका है और मुखिया ने बाद में मर्जी से ही एसआईटी के अन्य सदस्यों को बदल दिया. पंजाब सरकार ने आरोपों को निराधार करार दिया था, जिस पर हाई कोर्ट ने कहा था कि यदि याची के आरोप गलत साबित हुए तो उस पर 10 लाख रूपए जुर्माना लगाया जाएगा.
याचिकाकर्ता के आरोप झूठे पाये गए
एसआईटी मुखिया ने हाईकोर्ट में पेश हो बताया कि न तो एसएचओ कभी उसका पीएसओ रहा है और न ही उसने अपनी मर्जी से एसआईटी में बदलाव किया है. इस पर हाई कोर्ट ने झूठी शिकायत देने पर कड़ा रुख अपनाते हुए उस पर 10 लाख रूपये जुर्माना लगाया है.
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