चंडीगढ़: कार की फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना बैंक की ओर से लोन की राशि जारी कर दिए जाने के मामलों पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि ये एक बड़ा घोटाला है, जिसमें लोगों का पैसा लगा है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस राज मोहन सिंह ने चंडीगढ़ के एसएसपी को निर्देश दिए कि इन मामलों की जांच आर्थिक अपराध शाखा से करवाई जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कम से कम डीएसपी स्तर का अधिकारी इन मामलों की जांच करे. हाईकोर्ट ने कहा कि कार की डिलीवरी दिए बिना लोन की राशि जारी कर दिया जाना तभी संभव है, जब बैंक के अधिकारी बीच मिलीभगत में शामिल हों. ऐसे में इस मामले की गहन जांच जरूरी है.
हाई कोर्ट पहुंचे मामले में दो आरोपियों ने अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की. इसमें एक आरोपी जितेंद्र पाल सिंह का कार लोन 2000000 रुपये का मंजूर कर लिया गया. जितेंद्र ने कार की बुकिंग कैंसिल कर दी, लेकिन डिलीवरी नहीं ली. इस बार लोन की राशि ऑटोमोबाइल कंपनी के खाते में पहुंच गई. इस राशि में से 1300000 जितेंद्र के खाते में पहुंची. लोन देने वाले बैंक के मैनेजर ने इस मामले में अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की.
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पुलिस की तरफ से जवाब दायर कर कहा गया कि इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. खरड़ पुलिस स्टेशन में दो, जीरकपुर और नया गांव में एक-एक मामला दर्ज है. विवेक और करणवीर नाम के दो युवकों का नाम भी सामने आए हैं जो बैंक के डायरेक्ट मार्केटिंग एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे. ऐसे में इस मामले की गहराई की जांच जरूरत है. लिहाजा दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका की मांग खारिज की जाए.
कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत याचिका
हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये मामला एक बड़ा घोटाला है, जहां लोगों के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है. ऐसे में इन मामलों की गहन जांच जरूरी है. दोनों आरोपियों से हिरासत में पूछताछ बेहद जरूरी है, लिहाजा गिरफ्तारी से छूट के लिए दायर अग्रिम जमानत याचिका मंजूर नहीं की जा सकती.