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किसानों ने ठुकराया सरकार का संशोधन प्रस्ताव, आंदोलन तेज करने की बनाई नई रणनीति

किसानों ने सरकार का तीन नए कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. उनका कहना है कि जब तक सरकार ये तीनों कानून वापस नहीं लेती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती उनका आंदोलन जारी रहेगी और हर दिन तेज होता रहेगा.

farmers rejected the government's proposal
farmers rejected the government's proposal
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Published : Dec 9, 2020, 7:44 PM IST

चंडीगढ़/सोनीपतः किसान दिल्ली की दहलीज पर 14 दिन से बैठे हैं, कई दौर की बातचीत और घंटों के वार्तालाप के बाद भी कोई हल अभी तक नहीं निकल पाया है. बुधवार यानि आज सुबह 11 बजे सरकार के साथ किसानों की मीटिंग होनी थी जो नहीं हुई क्योंकि मंगलवार देर रात गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को मिलने बुलाया और कहा कि सुबह हम आपको एक प्रस्ताव भेजेंगे जिसमें तीन नए कृषि कानूनों में क्या-क्या बदलाव करने को सरकार तैयार है उसका पूरा खाका होगा.

बातचीत के मुताबिक आज सुबह किसानों के पास सरकार का प्रस्ताव पहुंच गया जिसमें किसानों द्वारा उठाई गई कई आपत्तियों पर सरकार ने बदलाव की सहमति जताई लेकिन किसानों ने सरकार का ये संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि आंदोलन अब और तेज होगा.

सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने क्या कहा ?

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर कहा कि ये वही 5 दिसंबर वाली बातें दोहराई गई हैं जिन्हें हम मीटिंग में ही ठुकरा चुके हैं. अब हम अपने आंदोलन को और तेज करेंगे, जिसके लिए किसानों ने कुछ ऐलान किए. जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति बताई गई.

  • जयपुर-दिल्ली हाइवे को 12 दिसंबर तक रोका जाएगा
  • 14 दिसंबर को देशभर में धरना-प्रदर्शन होगा
  • दिल्ली की सड़कों को जाम करेंगे
  • 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे
  • हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड में 14 दिसंबर को एक दिन का प्रदर्शन होगा
  • दक्षिण भारत के राज्यों में 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरने होंगे
  • अंबानी और अडानी के प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे
  • जियो के सिम पोर्ट कराएंगे, इनके मॉल और ऑफिसों का घेराव करेंगे
  • देशभर में सरकार के मंत्रियों, बीजेपी नेताओं और कार्यालयों का घेराव होगा

सरकार के प्रस्ताव में क्या था ?

  1. समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसी के माध्यम से फसल बेचने का विकल्प समाप्त होने की आशंका और उपज का व्यापार निजी हाथों में जाने की आशंका को लेकर सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी.
  2. किसान को विवाद समाधान हेतु सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प नहीं होने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया कि शंका के समाधान हेतु विवाद निराकरण की नए कानूनों में प्रावधनित व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है.
  3. किसानों की भूमि की कुर्की हो सकेगी के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रावधान में स्पष्ट है, फिर भी किसी भी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो उसे जारी किया जाएगा.
  4. किसान की भूमि पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे. किसान भूमि से वंचित हो जाएगा के मुद्दे पर कहा गया है कि प्रावधान पूर्व से ही स्पष्ट है फिर भी यह और स्पष्ट कर दिया जाएगा कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीददार द्वारा किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना उसके बंधक द्वारा रखी जा सकेगी.
  5. कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है, के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्टीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी.
  6. बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को समाप्त किए जाने पर सरकार की ओर से कहा गया कि किसानों की विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा.
  7. पैन कार्ड के आधार पर किसानों से फसल खरीद की व्यवस्था होने पर धोखे की आशंका को लेकर सरकार की ओर से कहा गया कि शंका के समाधान हेतु राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें.

राष्ट्रपति से मिले विपक्षी नेता

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन के बीच विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को रामनाथ कोविंद से मिला. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के 5 नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. राष्ट्रपति से मिलने के बाद विपक्षी नेताओं ने एक सुर में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बातों को समझे.

राहुल गांधी ने क्या कहा ?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि किसानों ने देश की नींव रखी है. वो दिन-रात काम करते हैं. ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं. तीनों बिल संसद से बिना चर्चा के पास हुए. किसानों की शक्ति के सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता. हिंदुस्तान का किसान हटेगा नहीं, डरेगा नहीं. जब तक कानून रद्द नहीं होते तब तक वे डटे रहेंगे.

टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे हरियाणा के विपक्षी नेता

किसानों को समर्थन देने के लिए कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा टीकरी बॉर्डर पहुंची. इसके अलावा इनेलो के नेता अभय चौटाला भी टीकरी बॉर्डर पर किसानों के बीच नजर आए, उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर किसान अभी कहेंगे तो अभी यहीं से इस्तीफा दे दूंगा.

चंडीगढ़/सोनीपतः किसान दिल्ली की दहलीज पर 14 दिन से बैठे हैं, कई दौर की बातचीत और घंटों के वार्तालाप के बाद भी कोई हल अभी तक नहीं निकल पाया है. बुधवार यानि आज सुबह 11 बजे सरकार के साथ किसानों की मीटिंग होनी थी जो नहीं हुई क्योंकि मंगलवार देर रात गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को मिलने बुलाया और कहा कि सुबह हम आपको एक प्रस्ताव भेजेंगे जिसमें तीन नए कृषि कानूनों में क्या-क्या बदलाव करने को सरकार तैयार है उसका पूरा खाका होगा.

बातचीत के मुताबिक आज सुबह किसानों के पास सरकार का प्रस्ताव पहुंच गया जिसमें किसानों द्वारा उठाई गई कई आपत्तियों पर सरकार ने बदलाव की सहमति जताई लेकिन किसानों ने सरकार का ये संशोधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि आंदोलन अब और तेज होगा.

सरकार के प्रस्ताव पर किसानों ने क्या कहा ?

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर कहा कि ये वही 5 दिसंबर वाली बातें दोहराई गई हैं जिन्हें हम मीटिंग में ही ठुकरा चुके हैं. अब हम अपने आंदोलन को और तेज करेंगे, जिसके लिए किसानों ने कुछ ऐलान किए. जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति बताई गई.

  • जयपुर-दिल्ली हाइवे को 12 दिसंबर तक रोका जाएगा
  • 14 दिसंबर को देशभर में धरना-प्रदर्शन होगा
  • दिल्ली की सड़कों को जाम करेंगे
  • 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे
  • हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड में 14 दिसंबर को एक दिन का प्रदर्शन होगा
  • दक्षिण भारत के राज्यों में 14 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरने होंगे
  • अंबानी और अडानी के प्रोडक्ट का बहिष्कार करेंगे
  • जियो के सिम पोर्ट कराएंगे, इनके मॉल और ऑफिसों का घेराव करेंगे
  • देशभर में सरकार के मंत्रियों, बीजेपी नेताओं और कार्यालयों का घेराव होगा

सरकार के प्रस्ताव में क्या था ?

  1. समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसी के माध्यम से फसल बेचने का विकल्प समाप्त होने की आशंका और उपज का व्यापार निजी हाथों में जाने की आशंका को लेकर सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी.
  2. किसान को विवाद समाधान हेतु सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प नहीं होने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया कि शंका के समाधान हेतु विवाद निराकरण की नए कानूनों में प्रावधनित व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है.
  3. किसानों की भूमि की कुर्की हो सकेगी के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रावधान में स्पष्ट है, फिर भी किसी भी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो उसे जारी किया जाएगा.
  4. किसान की भूमि पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे. किसान भूमि से वंचित हो जाएगा के मुद्दे पर कहा गया है कि प्रावधान पूर्व से ही स्पष्ट है फिर भी यह और स्पष्ट कर दिया जाएगा कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीददार द्वारा किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना उसके बंधक द्वारा रखी जा सकेगी.
  5. कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है, के मुद्दे पर सरकार की ओर से कहा गया कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्टीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी.
  6. बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को समाप्त किए जाने पर सरकार की ओर से कहा गया कि किसानों की विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा.
  7. पैन कार्ड के आधार पर किसानों से फसल खरीद की व्यवस्था होने पर धोखे की आशंका को लेकर सरकार की ओर से कहा गया कि शंका के समाधान हेतु राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें.

राष्ट्रपति से मिले विपक्षी नेता

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन के बीच विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को रामनाथ कोविंद से मिला. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के 5 नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. राष्ट्रपति से मिलने के बाद विपक्षी नेताओं ने एक सुर में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बातों को समझे.

राहुल गांधी ने क्या कहा ?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि किसानों ने देश की नींव रखी है. वो दिन-रात काम करते हैं. ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं. तीनों बिल संसद से बिना चर्चा के पास हुए. किसानों की शक्ति के सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता. हिंदुस्तान का किसान हटेगा नहीं, डरेगा नहीं. जब तक कानून रद्द नहीं होते तब तक वे डटे रहेंगे.

टीकरी बॉर्डर पर पहुंचे हरियाणा के विपक्षी नेता

किसानों को समर्थन देने के लिए कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा टीकरी बॉर्डर पहुंची. इसके अलावा इनेलो के नेता अभय चौटाला भी टीकरी बॉर्डर पर किसानों के बीच नजर आए, उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर किसान अभी कहेंगे तो अभी यहीं से इस्तीफा दे दूंगा.

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