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पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनानी होंगी – मनोहर लाल

सीएम ने कहा कि भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले, इसके लिए हरियाणा में मेरा पानी मेरी विरासत योजना लागू की गई है. धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.

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Published : Oct 1, 2022, 7:30 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भगवान की देन से पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जहां मानव जीवन संभव है. यहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन चक्र चलता आ रहा है. जीवनभर संकट और चुनौतियां आती-जाती रहती हैं. दिन-प्रतिदिन बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण आज मानवता के लिए चुनौती बन गया है. अब हमें पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनानी होंगी. इसके लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों को भी मिलकर कार्य करना होगा. सीएम शुक्रवार को पंचकूला में आयोजित जिला पर्यावरण योजना के क्रियान्वयन के वार्षिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. समारोह में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा था तो भी हम बेहतर योजनाओं व ईच्छा शक्ति से कार्य कर इस चुनौती से लड़े हैं. आज कई वन्य प्राणियों की प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं. विलुप्त वन्य प्राणियों की प्रजातियों को बचाना व जल संरक्षण समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब देश में खाद्यानों का संकट आया था तो उस समय हरित क्रांति का आह्वान किया गया आज हम देश के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं बने बल्कि दूसरे देशों को भी अनाज निर्यात करने लगे हैं. परंतु उस दौर में खाद्यान्न की गुणवत्ता को भूलकर रासायनिक खादों का उपयोग कर अधिक मात्रा में उत्पादन करने पर जोर दिया और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति में भी कमी आई. आज उस समस्या से निपटने के लिए प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की अवधारणा को अपनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले इसके लिए हरियाणा में मेरा पानी मेरी विरासत योजना (Mera Pani Meri Virasat Yojna In Haryana) लागू की गई है. धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. उन्होंने कहा कि आज पीने के पानी को बचाना भी चुनौती बनता जा रहा है. अब एसटीपी के उपचारित पानी का पुनः उपयोग हो, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं. अब घरों में विशेषकर शहरों में पीने के पानी व अन्य जरूरतों के लिए उपचारित पानी के अलग उपयोग हेतु अलग-अलग पाइप लाइन की व्यवस्था करनी होगी. योजनाएं बनाने से पहले पुनः उपयोग किस प्रकार से हो इसके लिए पहले विचार करना होगा.

सीएम ने कहा कि नई तकनीक के अनुरूप योजनाएं बनानी होंगी जितना खर्च आवश्यक है, उतना ही करना चाहिए. हर छोटे शहर में ई-वेस्ट, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन के संयंत्र लगाने होंगे. उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 18 हजार तालाब हैं, जिनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 8 हजार ओवरफ्लो तालाब हैं. ऐसे तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई के लिए इसका उपयोग हो, इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई की योजनाएं बनाई जा रही हैं. तालाब के निकट के क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई के लिए तालाब के उपचारित पानी का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा. इसके लिए सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, विकास एवं पंचायत विभाग तथा मिकाडा मिलकर खाका तैयार कर रहे हैंय

एनजीटी के चेयरमैन ने पर्यावरण संरक्षण के लिए की गई पहल के लिए की हरियाणा की प्रशंसा- समारोह को संबोधित करते हुए एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण की पहल की है. उनकी यह पहल देश को एक नई दिशा देगी. उन्होंने कहा कि जिला पर्यावरण योजना संविधान के प्रावधानों में है और पंचायत से लेकर देश के हर जनप्रतिनिधि को इसके क्रियान्वयन में सहयोग करना है.

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि आज सीएम की भावनात्मक रूप से कार्य करने और समस्याओं का स्थाई हल निकालने के लिए योजनाएं तैयार करने की छवि बनी है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आने के बाद हरियाणा में पर्यावरण संरक्षण (Environment Conservation in Haryana) की दिशा में जितना काम हुआ है, वो इससे पहले कभी नहीं हुआ. राज्य में इससे पहले कभी भी तीव्र गति से न तो योजनाएं बनी, न ही जमीनी स्तर पर तेजी से लागू हो पाई.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर पर कचरा प्रबंधन व पर्यावरण संरक्षण की सोच एक ऐतिहासिक पहल है. पीने के पानी को सुरक्षित करने की पहल भी शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने सोची है, इसके लिए पीने के पानी व अन्य उपयोग के लिए उपचारित पानी के अलग-अलग पाइप लाइन बिछाने की जो बात मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कही है, वह अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन भी एक दूसरी समस्या है. सूखा व गीले कचरे को घर से ही अलग-अलग करने की आदत हमें डालनी होगी. गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने के अधिक से अधिक प्लांट लगाने होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार व समाज दोनों को मिलकर चलना होगा और पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप देना होगा.

इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता, मेयर पंचकूला कुलभूषण गोयल, मुख्य सचिव संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव, अंबाला मंडल आयुक्त रेणु एस फुलिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।Conclusion:

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भगवान की देन से पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जहां मानव जीवन संभव है. यहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन चक्र चलता आ रहा है. जीवनभर संकट और चुनौतियां आती-जाती रहती हैं. दिन-प्रतिदिन बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण आज मानवता के लिए चुनौती बन गया है. अब हमें पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनानी होंगी. इसके लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों को भी मिलकर कार्य करना होगा. सीएम शुक्रवार को पंचकूला में आयोजित जिला पर्यावरण योजना के क्रियान्वयन के वार्षिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. समारोह में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा था तो भी हम बेहतर योजनाओं व ईच्छा शक्ति से कार्य कर इस चुनौती से लड़े हैं. आज कई वन्य प्राणियों की प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं. विलुप्त वन्य प्राणियों की प्रजातियों को बचाना व जल संरक्षण समय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब देश में खाद्यानों का संकट आया था तो उस समय हरित क्रांति का आह्वान किया गया आज हम देश के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं बने बल्कि दूसरे देशों को भी अनाज निर्यात करने लगे हैं. परंतु उस दौर में खाद्यान्न की गुणवत्ता को भूलकर रासायनिक खादों का उपयोग कर अधिक मात्रा में उत्पादन करने पर जोर दिया और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति में भी कमी आई. आज उस समस्या से निपटने के लिए प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की अवधारणा को अपनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले इसके लिए हरियाणा में मेरा पानी मेरी विरासत योजना (Mera Pani Meri Virasat Yojna In Haryana) लागू की गई है. धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. उन्होंने कहा कि आज पीने के पानी को बचाना भी चुनौती बनता जा रहा है. अब एसटीपी के उपचारित पानी का पुनः उपयोग हो, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं. अब घरों में विशेषकर शहरों में पीने के पानी व अन्य जरूरतों के लिए उपचारित पानी के अलग उपयोग हेतु अलग-अलग पाइप लाइन की व्यवस्था करनी होगी. योजनाएं बनाने से पहले पुनः उपयोग किस प्रकार से हो इसके लिए पहले विचार करना होगा.

सीएम ने कहा कि नई तकनीक के अनुरूप योजनाएं बनानी होंगी जितना खर्च आवश्यक है, उतना ही करना चाहिए. हर छोटे शहर में ई-वेस्ट, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन के संयंत्र लगाने होंगे. उन्होंने कहा कि हरियाणा में लगभग 18 हजार तालाब हैं, जिनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 8 हजार ओवरफ्लो तालाब हैं. ऐसे तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई के लिए इसका उपयोग हो, इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई की योजनाएं बनाई जा रही हैं. तालाब के निकट के क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई के लिए तालाब के उपचारित पानी का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा. इसके लिए सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, विकास एवं पंचायत विभाग तथा मिकाडा मिलकर खाका तैयार कर रहे हैंय

एनजीटी के चेयरमैन ने पर्यावरण संरक्षण के लिए की गई पहल के लिए की हरियाणा की प्रशंसा- समारोह को संबोधित करते हुए एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण की पहल की है. उनकी यह पहल देश को एक नई दिशा देगी. उन्होंने कहा कि जिला पर्यावरण योजना संविधान के प्रावधानों में है और पंचायत से लेकर देश के हर जनप्रतिनिधि को इसके क्रियान्वयन में सहयोग करना है.

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि आज सीएम की भावनात्मक रूप से कार्य करने और समस्याओं का स्थाई हल निकालने के लिए योजनाएं तैयार करने की छवि बनी है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आने के बाद हरियाणा में पर्यावरण संरक्षण (Environment Conservation in Haryana) की दिशा में जितना काम हुआ है, वो इससे पहले कभी नहीं हुआ. राज्य में इससे पहले कभी भी तीव्र गति से न तो योजनाएं बनी, न ही जमीनी स्तर पर तेजी से लागू हो पाई.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर पर कचरा प्रबंधन व पर्यावरण संरक्षण की सोच एक ऐतिहासिक पहल है. पीने के पानी को सुरक्षित करने की पहल भी शायद ही किसी मुख्यमंत्री ने सोची है, इसके लिए पीने के पानी व अन्य उपयोग के लिए उपचारित पानी के अलग-अलग पाइप लाइन बिछाने की जो बात मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कही है, वह अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन भी एक दूसरी समस्या है. सूखा व गीले कचरे को घर से ही अलग-अलग करने की आदत हमें डालनी होगी. गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने के अधिक से अधिक प्लांट लगाने होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार व समाज दोनों को मिलकर चलना होगा और पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप देना होगा.

इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता, मेयर पंचकूला कुलभूषण गोयल, मुख्य सचिव संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी. राघवेंद्र राव, अंबाला मंडल आयुक्त रेणु एस फुलिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।Conclusion:

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