चंडीगढ़ः हरियाणा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट 28 फरवरी को पेश करने जा रही है. जिससे लोग काफी उम्मीदें लगाकर बैठे हैं. कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने भी अपना बजट पेश किया था. और अब हरियाणा सरकार अपना बजट पेश कर रही है. ऐसे में हम आपको आसान भाषा में बता रहे हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बजट में क्या अंतर होता है.
केंद्र और राज्य सरकार के बजट में अंतर-:
- राज्य और केंद्र के बजट में काफी अंतर होता है
- सबसे बड़ा फर्क है बजट में खर्च होने वाले पैसे का
- राज्य के पास आधा पैसा अपने रेवेव्यू का होता है
- जबकि बाकी पैसा केंद्र सरकार मुहैया कराती है
- जो उसे अलग-अलग योजनाओं पर खर्च करना होता है
- राज्य के पास बजट के लिए सीमित पैसा होता है
- क्योंकि अपने रेवेन्यू और केंद्र के अलावा और कहीं से राज्य को पैसा नहीं मिलता
- जबकि केंद्र सरकार के पास पैसा जुटाने के कई साधन होते हैं
- पहला केंद्र का अपना रेवेन्यू होता है
- दूसरा केंद्र आरबीआई से पैसा ले सकता है
- केंद्र वर्ल्ड बैंक से भी पैसा ले सकता है जो राज्य नहीं ले सकता
- केंद्र दूसरे देशों से पैसा उधार ले सकता है लेकिन राज्य नहीं
- राज्य के पास केंद्र सरकार की योजनाओं पर हो रहे खर्च में बदलाव का कोई अधिकार नहीं है
- राज्य सरकार अपने स्तर पर कई चीजों में राहत दे सकती है
- जैसे वो फसलों का एमएसपी तय कर सकती है
- राज्य सरकार गरीबों के लिए राहत पैकेज दे सकती है
- राज्य सरकार अपने प्रदेश के बच्चों को स्कॉलरशिप दे सकती है
- अपने राज्य में बिजली दरें कम-ज्यादा कर सकती है
- ये सारी चीजें राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं
- हरियाणा में पहली बार कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करेगा
हरियाणा के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करने जा रहा है. मनोहर लाल अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बार के बजट से किसानों से लेकर युवाओं तक को खास आस है. अब देखना होगा कि उनके लिए राज्य सरकार क्या करती है.
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पिछले साल के बजट का लेखा-जोखा-:
- वित्त मंत्री ने 1,32,165.99 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था
- कृषि विभाग के लिए 3834.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था
- कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये दिए गए थे
- पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये दिए गए थे
- बागवानी के लिए 523.88 करोड़ रुपये दिए गए थे
- मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- सहकारिता के लिए 1396.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- राजस्व घाटा 12 हजार 22 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था
- खेल और युवा मामले में 401.17 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- शिक्षा में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए 12,307.46 करोड़ रुपये दिए गए थे
- स्वास्थ्य विभाग के लिए 5,040.65 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- रोज़गार के लिए 365.20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था
- बिजली विभाग के लिए 12,988.61 करोड़ रुपये का आवंटित किए गए थे