चंडीगढ़: हरियाणा में साइबर क्राइम के लिए अपराधियों द्वारा व्हाट्सएप पर अधिकारियों की फोटो का इस्तेमाल कर ठगी (cyber crime cheated by WhatsApp) की वारदातों को अंजाम देना अब आसान नहीं होगा. राज्य अपराध शाखा ने इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए साइबर नोडल अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी है. उन्हें साइबर अपराध रोकने की नई तकनीक बताई गई हैं. बता दें कि कई राज्यों में अफसरों की फोटो लगाकर लोगों को ठगने के मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे मामलों के रोकने के लिए नए तौर-तरीकों को अपनाया जा रहा है.
दरअसल सीनियर आईएएस, आईपीएस और अन्य अधिकारियों की फोटो लगाकर होने वाले साइबर अपराध को रोकने के लिए स्टेट क्राइम ब्रांच नोडल एजेंसी, साइबर क्राइम हरियाणा द्वारा प्रदेश के साइबर नोडल अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया. इस तरह के होने वाले अपराधों की रोकथाम के व्हाट्सएप के नोडल अधिकारी के साथ हरियाणा पुलिस अधिकारियों की की गत दिनों मीटिंग हुई थी. जिसमें कंपनी से इस नई मोडस ऑपरेंडी पर समाधान के लिए कहा गया था. इसके लिए व्हाट्सएप की तरफ से अब एक नया फीचर को लागू किया गया (WhatsApp made a new feature) है. इस फीचर की मदद से इस तरह के अपराध की तुरंत रोकथाम की जा सकती है.
खरीदवाए जाते हैं गिफ्ट कार्ड, मांग लेते हैं पेमेंट- पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मोडस ऑपरेंडी में आईपीएस, आईएएस अधिकारियों की फोटो इंटरनेट से डाउनलोड की जाती है. वर्चुअल व्हाट्सएप नंबर के स्टेटस में डीपी लगा दी जाती है. साइबर अपराधी अक्सर अन्य जूनियर अधिकारियों को मैसेज करते हैं. जिसमें गिफ्ट कार्ड लेने के लिए या निजी जरूरतों के लिए पैसे मांगे जाते हैं. जिसे कुछ दिनों बाद वापस करने के लिए लिखा जाता है. सीनियर अधिकारी की फोटो होने के कारण अधिकारी अक्सर भ्रमित हो जाते हैं. देश के कई राज्यों में ऐसे अपराध संज्ञान में आये हैं
नए फीचर में कर सकेंगे ऐसे प्रोफाइल को निष्क्रिय- स्टेट क्राइम ब्रांच, नोडल एजेंसी, साइबर द्वारा प्रदेश भर के साइबर अधिकारियों और नोडल अफसरों के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया. इस सेशन में बताया गया कि लॉ एनफोर्समेंट रिस्पांस सिस्टम (Law Enforcement Response System) में ऐसे नए फीचर को लागू किया गया है जिसमें यदि कोई ऐसी व्हाट्सएप प्रोफाइल पुलिस के संज्ञान में आती है. उसे तुरंत बंद करवा सकते हैं. इस कार्यशाला में प्रदेश भर के जिलों से करीब 72 नोडल अधिकारियों व कर्मचारियों ने ऑनलाइन भाग लिया.
इस ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन में बताया गया कि यदि प्रोफाइल पर किसी अधिकारी कि फोटो लगा रखी है तो कैसे अनुसंधान करना है. किस तरह से कंप्लेन को ट्रेस करना है. कैसे जल्द से जल्द साइबर अपराधी को गिरफ्त में लाना है. पुलिस प्रवक्ता ने बताया की व्हाट्सएप हैक करने के लिए जिन मोबाइल अप्लीकेशन्स का इस्तेमाल किया जाता है उसकी क्या कार्यप्रणाली है. उसे कैसे रोका जाए. इसके अलावा नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal) पर आने वाली तकनीकी सवालों का जवाब दिया गया जिससे साइबर अपराध को और बेहतर तरीके से रोका जा सकता है.
उन्होंने बताया कि इस पोर्टल को भारत सरकार द्वारा लागू किया गया है जिसमें पीड़ित को थाने आने की ज़रूरत नहीं है. पोर्टल द्वारा शिकायत थाने में स्वत: ही पहुंच जाएगी. इसके अलावा यदि कोई पीड़ित अपनी निजी जानकारी उजागर नहीं करना चाहता है तो उसके लिए भी ऑप्शन है जहां वो अपनी जानकारी को गुप्त रख सकता है.
आईपीएस ओपी सिंह ने कहा कि इस तरह के साइबर अपराध की मोडस ऑपरेंडी को अपनाना साइबर अपराधियों के लिए आसान है. चूंकि सभी प्रदेश के सभी अधिकारियों के फोटो व नंबर ऑनलाइन आसानी से मिल जाते हैं. ऐसे में साइबर अपराधी झूठी प्रोफाइल बनाकर अन्य अधिकारियों के पास व्हाट्सएप पर मैसेज भेज देते है. उच्च अधिकारी की फोटो लगे होने के कारण, सामने वाला सवाल नहीं कर पाता है. जैसा कहा जाता है सामने वाला वैसे ही करता है. इस तरह के अपराधों में ध्यान देने की ज़रूरत है. कभी भी जल्दबाजी में फैसले ना लें.
यदि मैसेज पर कोई कुछ खरीदने को कहता है या अन्य कोई डिमांड करता है तो एक बार फ़ोन पर बात अवश्य करें. इस ट्रेनिंग सेशन में प्रदेश के सभी साइबर नोडल अधिकारीयों और साइबर डेस्क पर नियुक्त कर्मचारियों को इस नयी मोडस ऑपरेंडी में बारे में बताया जाए. जिस तरह से साइबर क्राइम अपना रूप बदल रहा है. उसी तरह से पुलिस भी हाईटेक हो रही है. भविष्य में भी साइबर कर्मचारियों के लिए इस तरह की ट्रेनिंग का आयोजन किया जाता रहेगा. आम जनता से भी कहा जाता है कि यदि कोई अनजान नंबर से कोई मैसेज आता है तो जांच पड़ताल अवश्य करें. किसी की बातों में ना आएं. साइबर अपराध होने पर तुरंत अपनी शिकायत 1930 पर ज़रूर दें.