भिवानी: हरियाणा के कृषि मंत्री के गृह जिला भिवानी में बाजरे की कालाबाजारी की आशंका से परेशान अन्नदातों को दो बार रोड पर आकर जाम लगाना पड़ा. अंत में एसडीएम के आश्वासन के बाद जाम तो खुल गया लेकिन कोई स्थाई समाधान नहीं हो पाया. बता दें कि बाजरे की खरीद एक अक्टूबर से शुरू हुई थी. कोरोना काल के चलते शुरूआती दौर में हर रोज मंडी में पंजीकृत 40-50 किसानों को बाजरा लेकर बुलाया जाता था. लेकिन खरीद धीमी होने के चलते समय समय पर किसानों को अधिक संख्या में बुलाया जाने लगा.
आज 250 किसानों को मैसेज करके बुलाया गया. लेकिन खरीद एक भी किसान की नहीं हुई. कोई भी अधिकारी या कर्मचारी किसानों से नहीं मिला. सुबह से भूखे प्यासे किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. गुस्साए किसानों ने मंडी के बाहर ही रोड जाम कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. बताया जाता है कि सरकार ने साथ लगते प्रदेशों से बाजरे की कालाबाजारी की आसंका के चलते बाजरे की फिजिकल वेरिफिकेशन करने के आदेश जारी किये हैं और ये वेरिफिकेशन ना होने तक खरीद रोक दी गई है.
बाजरे की खरीद ना होने पर किसानों द्वारा रोड जाम किया गया. जाम की सूचना पाकर सिटी थाना प्रभारी भारी पुलिस बल सहित मौके पर पहुंचे और खरीद शुरू करवाने का आश्वासन देकर जाम खुलवाया. कोई समाधान ना होने पर कुछ देर बाद किसानों ने दौबारा जाम लगा दिया जिसके बाद एसडीएम महेश कुमार खुद मौके पर पहुंचे. एसडीएम ने काफी देर किसानों को समझा बुझाकर जाम को खुलवाया. एसडीएम के आश्वासन के बाद किसानों ने जाम तो खोल दिया. लेकिन खरीद ना होने से किसान परेशान ही रहे.
किसानों का कहना हैं कि उनकी बाजरे की फसल की खरीद नहीं हुई तो वो बर्बाद हो जाएंगे और परेशानी में कई किसान जान भी दे देंगे किसानों ने बताया कि किसी को बच्चों की शादी करनी है तो किसी को उधार चुका कर अगली फसल के लिए खाद बिज लेकर आना है जो बाजरे की बिक्री ना होने पर संभव नहीं. वहीं मौके पर पहुंचे एसडीएम महेश कुमार ने बताया कि सरकार को आशंका है कि पास लगते प्रदेशों से बाजरे की कालाबाज़ारी की जा रही है. जिसको रोकने के लिए किसानों के बाजरे की फिजिकल वेरिफिकेशन की जाएगी और उसके बाद ही खरीद शुरू की जाएगी.
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उन्होंने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए बाजरे की खरीद का समय बढ़ा कर 27 नवंबर तक कर दिया गया है. वहीं उन्होंने आज मंडी पहुंचे किसानों के बाजरे की वैकल्पिक खरीद करने का भी भरोसा दिया. पड़ोसी राज्यों से बाजरे के कालाबाजारी की आशंका, खरीद से पहले ही खुद कृषि मंत्री जेपी दलाल भी जता चुके हैं. पर इसे रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति या उपाय ना होने पर अब सरकार और सिस्टम की खामियाजा का भुगतान अन्नदाता को करना पड़ रहा है.