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सुविधाओं के अभाव में भिवानी क्लर्क परीक्षा बनी आफत, परीक्षार्थियों को हुई मुश्किल

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Published : Sep 23, 2019, 3:05 PM IST

Updated : Sep 23, 2019, 3:57 PM IST

प्रदेश में क्लर्क परीक्षा परीक्षार्थियों के लिए आफत का सबब बनी हुई है. परीक्षा केंद्र जाने के लिए इन्हें बहुत मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है.

क्लर्क परीक्षा भिवानी

भिवानी: आमतौर पर भिवानी रेलवे स्टेशन पर शांति रहती है. भीड़ के नाम पर कुछ नहीं होता. लेकिन जिले में क्लर्क की परीक्षा के चलते क्या बस स्टैंड और क्या रेलवे स्टेशन, कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं है. स्टेशन पर टिकट लेना जितना मुश्किल है, उससे ज्यादा मुश्किल गाड़ी में चढ़ना है.

रेलवे ट्रैक पर दौड़ते नजर आए परीक्षार्थी
क्लर्क की परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन के सभी दावे हवा हवाई हो गए. पहले जहां ट्रैक पर खड़े होने पर रेलवे पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर लेती थी. वहीं आज रेलवे ट्रैक पर परीक्षार्थियों की भीड़ खड़ी थी, जो गाड़ी आने पर ट्रैक पर दौड़ते नजर आए.

ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं
इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने वादा किया था कि अब से हर परीक्षा अपने गृह जिले में होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. परीक्षार्थियों का कहना है कि गाड़ी कम है और जो आती भी है, चढ़ने की जगह नहीं होती, न ही उसके पास दूसरे जिलों में ठहरने की कोई व्यवस्था भी नहीं है.

ये भी पढ़ें: क्लर्क भर्ती परीक्षा के दौरान बड़ी लापरवाही, परीक्षार्थियों की बदल दी गई आंसर शीट, दोबारा होगी परीक्षा

स्टेशन पर रूकने को मजबूर लोग
भिवानी शहर में 50 से अधिक परीक्षा केंद्र हैं. जहां हर रोज 25 से 30 हजार बच्चे परीक्षा देने पहुंच रहे हैं और ज्यादातर लोगों के साथ उनके अभिभावक भी हैं. ऐसे में आर्थिक तौर से कमजोर लोगों को स्टेशन पर ही रूकना पड़ रहा है.

भिवानी: आमतौर पर भिवानी रेलवे स्टेशन पर शांति रहती है. भीड़ के नाम पर कुछ नहीं होता. लेकिन जिले में क्लर्क की परीक्षा के चलते क्या बस स्टैंड और क्या रेलवे स्टेशन, कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं है. स्टेशन पर टिकट लेना जितना मुश्किल है, उससे ज्यादा मुश्किल गाड़ी में चढ़ना है.

रेलवे ट्रैक पर दौड़ते नजर आए परीक्षार्थी
क्लर्क की परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन के सभी दावे हवा हवाई हो गए. पहले जहां ट्रैक पर खड़े होने पर रेलवे पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर लेती थी. वहीं आज रेलवे ट्रैक पर परीक्षार्थियों की भीड़ खड़ी थी, जो गाड़ी आने पर ट्रैक पर दौड़ते नजर आए.

ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं
इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने वादा किया था कि अब से हर परीक्षा अपने गृह जिले में होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. परीक्षार्थियों का कहना है कि गाड़ी कम है और जो आती भी है, चढ़ने की जगह नहीं होती, न ही उसके पास दूसरे जिलों में ठहरने की कोई व्यवस्था भी नहीं है.

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स्टेशन पर रूकने को मजबूर लोग
भिवानी शहर में 50 से अधिक परीक्षा केंद्र हैं. जहां हर रोज 25 से 30 हजार बच्चे परीक्षा देने पहुंच रहे हैं और ज्यादातर लोगों के साथ उनके अभिभावक भी हैं. ऐसे में आर्थिक तौर से कमजोर लोगों को स्टेशन पर ही रूकना पड़ रहा है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 23 सितंबर।
तीसरे दिन भी हालात रहे खराब
सुविधाओं के अभाव में आफत बनी क्लर्क की परीक्षा 
तीसरे दिन भी शहर में परीक्षार्थियों को उठानी पङी भारी परेशानी
यातायात के अभाव में रेलवे स्टेशन पर रही अफरा-तफरी
रेलवे कर्मी बार-बार करते रहे छत पर यात्रा ना करने की अपील
भीङ के चलते सभी कानून ताक पर, ट्रैक पर जमा रही भीङ
ट्रेन पकङने के लिए परीक्षार्थी ट्रेक पर ही लगाते दिखे दौङ
परेशान परीक्षार्थियों ने दिलाया भाजपा को गृह जिला में परीक्षा का वादा
कहा : यातायात की व्यवस्था नहीं तो वादे मुताबीक गृह जिले में करते परीक्षा
     सरकारी नौकरी और नौकरी की सुविधा किसे मिलेगी यो तो योग्यता तय करेगी, लेकिन नौकरी की चाह में क्लर्क की परीक्षा देने के लिए दूर दराज जिलों में पहुंच रहे परीक्षार्थियों की परेशानी का कोई अंदाजा नहीं है। बात करें भिवानी की तो यहां रेलवे स्टेशन का हाल देख कर रोंगटे खङे हो जाएं। भीङ को देख हालात ये थे कि रेलवे कर्मी बार-बार छात पर सफर ना करने की नशीहत देते रहे।
Body:     आमतौर पर भिवानी रेलवे स्टेशन पर शांति रहती है। भीङ के नाम पर कुछ नहीं होता। पर एचएसएसएस की क्लर्क की परीक्षा के चलते क्या बस स्टैंड और क्या रेलवे स्टेशन, कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं। टिकट लेना किसी जंग जितने से कम नहीं। किसी ने जैसे तैसे टिकट ले भी ली तो फिर गाङी में चढना चंद मिनट बाद दूसरी जंग लङने बराबर है।
     क्लर्क की परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों की भीङ इतनी ज्यादा थी कि सभी कानून हवा हवाई हो गए। पहले जहां ट्रेक पर खङा होना जुर्म था और रेलवे पुलिस ये जुर्म करने पर गिरफ्तार कर लेती थी, वहीं रेलवे ट्रेक पर ये परीक्षार्थी गाङी के इंतजार में भीङ के रूप में खङे थे। गाङी आने पर ये परीक्षार्थी मजबूरन ट्रेक पर ही दौङते नजर आए।
    परेशान परीक्षार्थियों ने बताया कि वो दूर दराज से आए हैं। सैंकङों किलोमीटर दूर से आना और फिर वापस जाना बङी परेशानी है। क्योंकि यातायात के साधन प्रयाप्त नहीं हैं। इन परीक्षार्थियों ने कहा कि ये परीक्षाएं गृह जिलों में होनी चाहिए। साथ ही कहा कि भाजपा ने वादा भी किया था कि सरकार बनने पर हर परीक्षा गृह जिले में होगी। परीक्षार्थियों ने कहा कि गाङी कम हैं और जो आती है चढने की जगह नहीं होती। ना ही उनके पास दूसरे जिलों में ठहरने का कोई प्रबंध है।
     Conclusion:भिवानी शहर में 50 से अधिक परीक्षा केन्द्र हैं। जहां हर रोज 25 से 30 हजार बच्चे परीक्षा देने पहुंच रहे हैं। ज्यादातर के साथ में उनके अभिभावक भी होते हैं। ऐसे में आर्थिक तौर से कमजोर बच्चे व उनके अभिभावक गाङी ना आने या भीङ के कारण छुटने पर स्टेशन पर ही सोने पर मजबूर हैं। स्टेशन पर जहां पैर रखने की जगह नहीं वहीं ये लोग स्टेशन के बाहर सङक पर ही सोने को मजबूर हैं।
बाइट : रणजीत व विजय परीक्षार्थी।
Last Updated : Sep 23, 2019, 3:57 PM IST
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