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भिवानी: देश संकट में है, राजनीति का समय नहीं- अशोक तंवर

भिवानी पहुंचे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने निकाले गए पीटीआई शिक्षकों ने मुलाकात की. और उन्हें समर्थन दिया.

Ashok Tanwar met with pti teachers in bhiwani
Ashok Tanwar met with pti teachers in bhiwani
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Published : Jun 23, 2020, 4:41 PM IST

भिवानी: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने मंगलवार को भिवानी में निकाले गए पीटीआई शिक्षकों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कोरोना संक्रमण, बर्खास्त पीटीआई टीचर्स व चीन सीमा विवाद को लेकर सरकार के साथ कांग्रेस पर भी निशाना साधा. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि देश संकट में हैं, ये समय राजनीति का नहीं है. लोग कांग्रेस-बीजेपी को आजमा चुके हैं. जनता विकल्प चाहती है.

भिवानी में तंवर ने सबसे पहले चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाने आए लोगों से मुलाकात की. उसके बाद वो बर्खास्त पीटीआई टीचर्स के धरने पर लघु सचिवालय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए कांग्रेस व बीजेपी पर निशाना साधा और कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रबंधों व प्रयासों को लेकर सरकार को विफल बताया. हालांकि वो नई पार्टी बनाने की चर्चा के सवाल को टाल गए.

पीटीआई शिक्षकों से मिले अशोक तंवर, देखें वीडियो

उन्होंने बर्खास्त पीटीआई को समर्थन देते हुए कहा कि कोर्ट में किसी भी मामले में सरकार का पक्ष अहम होता है. सरकार मजबूती से पीटीआई का पक्ष रखती तो ये बहाल हो सकते थे. उन्होंने कहा कि सरकार को एक बार फिर विचार करके मजबूती से पीटीआई का पक्ष रखना चाहिए.

कोरोना के बहाने बीजेपी के साथ कांग्रेस को निशाने पर लेने वाले तंवर ने इस दौरान अपनी अलग से पार्टी बनाने की चर्चाओं के सवाल को बड़ी सफाई से टाल दिया. साथ ही कहा कि देश व प्रदेश की जनता कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों से अलग विकल्प चाहती है. तंवर ने कहा कि हमने कांग्रेस को जीरो से उठा कर विकल्प दिया भी था पर कुछ लोग अपने पेट भरने में ही लगे रहे.

ये है पीटीआई शिक्षकों का मामला

साल 2010 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई शिक्षक भर्ती किए गए थे. भर्ती के बाद कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी थी. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. ऐसे में महज मौखिक परीक्षा के आधार पर नियुक्ति कर ली गई.

आरोप लगा था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में बुरी तरह असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं मिले. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके बाद पीटीआई सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. इसके बाद अब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट के फैसले को सहीं बताया था, और भर्ती को रद्द कर दिया था. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने पीटीआई को नौकरी से निकाल दिया था. इसी को लेकर पीटीआई शिक्षक पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करते हुए सरकार से बहाली की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- उद्योग नगरी फरीदाबाद को खल रही लेबर की कमी, मजदूर नहीं होने से आधा हुआ उत्पादन

भिवानी: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने मंगलवार को भिवानी में निकाले गए पीटीआई शिक्षकों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कोरोना संक्रमण, बर्खास्त पीटीआई टीचर्स व चीन सीमा विवाद को लेकर सरकार के साथ कांग्रेस पर भी निशाना साधा. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि देश संकट में हैं, ये समय राजनीति का नहीं है. लोग कांग्रेस-बीजेपी को आजमा चुके हैं. जनता विकल्प चाहती है.

भिवानी में तंवर ने सबसे पहले चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाने आए लोगों से मुलाकात की. उसके बाद वो बर्खास्त पीटीआई टीचर्स के धरने पर लघु सचिवालय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए कांग्रेस व बीजेपी पर निशाना साधा और कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रबंधों व प्रयासों को लेकर सरकार को विफल बताया. हालांकि वो नई पार्टी बनाने की चर्चा के सवाल को टाल गए.

पीटीआई शिक्षकों से मिले अशोक तंवर, देखें वीडियो

उन्होंने बर्खास्त पीटीआई को समर्थन देते हुए कहा कि कोर्ट में किसी भी मामले में सरकार का पक्ष अहम होता है. सरकार मजबूती से पीटीआई का पक्ष रखती तो ये बहाल हो सकते थे. उन्होंने कहा कि सरकार को एक बार फिर विचार करके मजबूती से पीटीआई का पक्ष रखना चाहिए.

कोरोना के बहाने बीजेपी के साथ कांग्रेस को निशाने पर लेने वाले तंवर ने इस दौरान अपनी अलग से पार्टी बनाने की चर्चाओं के सवाल को बड़ी सफाई से टाल दिया. साथ ही कहा कि देश व प्रदेश की जनता कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों से अलग विकल्प चाहती है. तंवर ने कहा कि हमने कांग्रेस को जीरो से उठा कर विकल्प दिया भी था पर कुछ लोग अपने पेट भरने में ही लगे रहे.

ये है पीटीआई शिक्षकों का मामला

साल 2010 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई शिक्षक भर्ती किए गए थे. भर्ती के बाद कुछ लोगों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी थी. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. ऐसे में महज मौखिक परीक्षा के आधार पर नियुक्ति कर ली गई.

आरोप लगा था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में बुरी तरह असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं मिले. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके बाद पीटीआई सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. इसके बाद अब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट के फैसले को सहीं बताया था, और भर्ती को रद्द कर दिया था. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने पीटीआई को नौकरी से निकाल दिया था. इसी को लेकर पीटीआई शिक्षक पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करते हुए सरकार से बहाली की मांग कर रहे हैं.

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