अंबाला: देशभर में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर बेड और कोरोना की जरूरी दवाइयों की कमी की खबरें सामने आ रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा का भी है. यहां भी अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर बेड की कमी की खबरें सामने आ रही हैं. हाल ही में ऑक्सीजन की कमी के चलते रेवाड़ी के निजी हस्पताल में 4 मरीजों की मृत्यु हो गई.
आलम ये है कि निजी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी के चलते कोरोना मरीजों को एडमिट करें या नहीं इस उलझन से जूझ रहे हैं. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत के संवाददाता ने अंबाला जिले के सबसे बड़े निजी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बातचीत की और स्थिति का जायजा लिया.
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पार्क हीलिंग टच के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. आरएन अग्रवाल ने बताया कि ऑक्सीजन को लेकर जिला प्रशासन ने हमें पूर्ण रूप से आश्वस्त किया है कि वह हमें डिमांड के मुताबिक ऑक्सीजन मुहैया करवाएंगे, लेकिन इस स्थिति में लगातार ये डर बना रहता है कि क्या हम अतिरिक्त कोरोना मरीजों को एडमिट करें या नहीं.
मौजूदा हालातों में हमारे अस्पताल में रोजाना औसतन डेढ़ से 2 टन ऑक्सीजन की खपत होती है. अभी फिलहाल हमारे पास डेढ़ दिन की ऑक्सीजन बाकी है, स्थिति बहुत भयावह बनी हुई है.
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वहीं उन्होंने बताया कि रेमडेसिविर और एक्टरमेरे दवाई जिसको लेकर बाजारों में खूब कालाबाजारी हो रही है, ये दवाइयां सिर्फ और सिर्फ गंभीर स्थिति के कोरोना मरीजों को ही दी जाती हैं. मौजूदा समय में रेमडेसिविर का रिटेल प्राइस गवर्नमेंट द्वारा निर्धारित 3400 रुपये है, लेकिन ये मार्केट में इससे ज्यादा कीमत पर बिक रहा है. सरकार कालाबाजारी पर नकेल कसने की कोशिश कर रही है.
डॉ. आरएन अग्रवाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में इस बार हमारे पास 3 से 4 साल के नवजात बच्चे और 10 साल की कम आयु के बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले देखने को मिले हैं. हालात बहुत ज्यादा गंभीर हैं.
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