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अब तक के गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्षों का इतिहास, जानें कौन-कब रहा कांग्रेस अध्यक्ष ?

1947 से अब तक कांग्रेस में कुल 18 अध्यक्ष हुए, जिनमें से 13 बार गैर गांधी परिवार के लोग कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए.

कांग्रेस
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Published : Jul 4, 2019, 3:54 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 6:38 PM IST

चंडीगढ़: राहुल गांधी ने बुधवार को ट्विटर पर एक चिट्ठी जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिया. ऐसे में साफ है कि राहुल गांधी अपने फैसले पर अडिग हैं. अब राहुल गांधी के इस्तीफे पर फैसला कांग्रेस की वर्किंग कमेटी लेगी. बता दें कि 1947 से अब तक कांग्रेस में कुल 18 अध्यक्ष हुए, जिनमें से 13 बार गैर गांधी परिवार के लोग कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए.

जेबी कृपलानी (1947-1948)

जेबी कृपलानी
जेबी कृपलानी

साल 1947 में आजादी के बाद जेबी कृपलानी कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. महात्मा गांधी के करीबी और भरोसेमंद माने जाने वाले कृपलानी को मेरठ में कांग्रेस अधिवेशन के वक्त ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हालांकि 1950 में कृपलानी ने कांग्रेस छोड़कर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई, जिसे बाद में सोशलिस्ट प्रजा पार्टी में विलय कर दिया गया.

पट्टाभि सीतारमैया (1948-1949)

पट्टाभि सीतारमैया
पट्टाभि सीतारमैया

1948-49 तक पंडित जवाहर लाल नेहरू के सहयोग से कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया ने संभाली. वे पहले राज्यसभा के सदस्य रहे और 1952-57 तक मध्य प्रदेश के गवर्नर भी रहे.

पुरषोत्तम दास टंडन (1950)

पुरषोत्तम दास टंडन
पुरषोत्तम दास टंडन

1950 में पुरषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. भारत रत्न टंडन ने 1950 के चुनावों में जेबी कृपलानी को हराया. हालांकि नेहरू से मतभेद के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 1952 में टंडन लोकसभा एमपी बने और 1956 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुना गया. पुरषोत्तम टंडन ही वो शख्स थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की थी.

यूएन ढेबर (1955-1959)

यूएन ढेबर
यूएन ढेबर

1955 में यूएन ढेबर कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. 1962 में ढेबर राजकोट से लोकसभा सांसद बने. हालांकि 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं.

नीलम संजीव रेड्डी (1960-1963)

नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी

वहीं 1960 के बीच नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति बने और तीन बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 1967 में संजीव रेड्डी लोकसभा स्पीकर बने और पार्टी से इस्तीफा दिया. 1969 में रेड्डी राष्ट्रपति चुनाव हार गए, जिसके बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया. हालांकि 1975 में रेड्डी जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में दोबारा राजनीति में आए और लोकसभा चुनाव जीता.

के. कामराज (1964-1967)

के. कामराज
के. कामराज

1964-1967 में भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के. कामराज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की. कहा जाता है कि के. कामराज ही वो शख्स थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई.

एस. निजलिंगप्पा (1968-1969 )

एस. निजलिंगप्पा
एस. निजलिंगप्पा

1968-1969 तक एस. निजलिंगप्पा ने कांग्रेस की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था. 1952 में वे चित्रादुर्गा क्षेत्र से पहले लोकसभा सांसद भी बने.

बाबू जगजीवन राम (1970-1971)

बाबू जगजीवन राम
बाबू जगजीवन राम

1970 से 1971 के बीच बाबू जगजीवन राम बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे. बाबू जगजीवन राम भी कांग्रेस के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने बाद में जनता पार्टी का दामन थामा और मोरारजी देसाई की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने.

शंकर दयाल शर्मा (1972-1974)

1972-74 तक शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला.

देवकांत बरुआ (1975-1977)

देवकांत बरुआ
देवकांत बरुआ

1975 से 77 के बीच देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. इमरजेंसी के वक्त देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था. 1971-73 तक वे बिहार के गवर्नर भी रहे.

कासु ब्रह्मनंद रेड्डी (1977-1978)

1977-78 के वक्त कासु ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया. जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं. वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं. उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

पी.वी नरसिम्हा राव (1992-1996)

पी.वी नरसिम्हा राव
पी.वी नरसिम्हा राव

राजीव गांधी की हत्या के बाद पी.वी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी. राव नॉन हिन्दी क्षेत्र से आने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे.

सीताराम केसरी (1996-1998)

सीताराम केसरी
सीताराम केसरी

वहीं 1996-1998 तक सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे. सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा.

इसके बाद 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं. 2017 में राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कुछ खास कमाल नहीं कर पाई और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.

चंडीगढ़: राहुल गांधी ने बुधवार को ट्विटर पर एक चिट्ठी जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिया. ऐसे में साफ है कि राहुल गांधी अपने फैसले पर अडिग हैं. अब राहुल गांधी के इस्तीफे पर फैसला कांग्रेस की वर्किंग कमेटी लेगी. बता दें कि 1947 से अब तक कांग्रेस में कुल 18 अध्यक्ष हुए, जिनमें से 13 बार गैर गांधी परिवार के लोग कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए.

जेबी कृपलानी (1947-1948)

जेबी कृपलानी
जेबी कृपलानी

साल 1947 में आजादी के बाद जेबी कृपलानी कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. महात्मा गांधी के करीबी और भरोसेमंद माने जाने वाले कृपलानी को मेरठ में कांग्रेस अधिवेशन के वक्त ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हालांकि 1950 में कृपलानी ने कांग्रेस छोड़कर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई, जिसे बाद में सोशलिस्ट प्रजा पार्टी में विलय कर दिया गया.

पट्टाभि सीतारमैया (1948-1949)

पट्टाभि सीतारमैया
पट्टाभि सीतारमैया

1948-49 तक पंडित जवाहर लाल नेहरू के सहयोग से कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया ने संभाली. वे पहले राज्यसभा के सदस्य रहे और 1952-57 तक मध्य प्रदेश के गवर्नर भी रहे.

पुरषोत्तम दास टंडन (1950)

पुरषोत्तम दास टंडन
पुरषोत्तम दास टंडन

1950 में पुरषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. भारत रत्न टंडन ने 1950 के चुनावों में जेबी कृपलानी को हराया. हालांकि नेहरू से मतभेद के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 1952 में टंडन लोकसभा एमपी बने और 1956 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुना गया. पुरषोत्तम टंडन ही वो शख्स थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की थी.

यूएन ढेबर (1955-1959)

यूएन ढेबर
यूएन ढेबर

1955 में यूएन ढेबर कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. 1962 में ढेबर राजकोट से लोकसभा सांसद बने. हालांकि 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं.

नीलम संजीव रेड्डी (1960-1963)

नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी

वहीं 1960 के बीच नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति बने और तीन बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 1967 में संजीव रेड्डी लोकसभा स्पीकर बने और पार्टी से इस्तीफा दिया. 1969 में रेड्डी राष्ट्रपति चुनाव हार गए, जिसके बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया. हालांकि 1975 में रेड्डी जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में दोबारा राजनीति में आए और लोकसभा चुनाव जीता.

के. कामराज (1964-1967)

के. कामराज
के. कामराज

1964-1967 में भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के. कामराज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की. कहा जाता है कि के. कामराज ही वो शख्स थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई.

एस. निजलिंगप्पा (1968-1969 )

एस. निजलिंगप्पा
एस. निजलिंगप्पा

1968-1969 तक एस. निजलिंगप्पा ने कांग्रेस की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था. 1952 में वे चित्रादुर्गा क्षेत्र से पहले लोकसभा सांसद भी बने.

बाबू जगजीवन राम (1970-1971)

बाबू जगजीवन राम
बाबू जगजीवन राम

1970 से 1971 के बीच बाबू जगजीवन राम बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे. बाबू जगजीवन राम भी कांग्रेस के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने बाद में जनता पार्टी का दामन थामा और मोरारजी देसाई की सरकार में उपप्रधानमंत्री बने.

शंकर दयाल शर्मा (1972-1974)

1972-74 तक शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला.

देवकांत बरुआ (1975-1977)

देवकांत बरुआ
देवकांत बरुआ

1975 से 77 के बीच देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. इमरजेंसी के वक्त देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था. 1971-73 तक वे बिहार के गवर्नर भी रहे.

कासु ब्रह्मनंद रेड्डी (1977-1978)

1977-78 के वक्त कासु ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया. जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं. वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं. उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

पी.वी नरसिम्हा राव (1992-1996)

पी.वी नरसिम्हा राव
पी.वी नरसिम्हा राव

राजीव गांधी की हत्या के बाद पी.वी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी. राव नॉन हिन्दी क्षेत्र से आने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे.

सीताराम केसरी (1996-1998)

सीताराम केसरी
सीताराम केसरी

वहीं 1996-1998 तक सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे. सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा.

इसके बाद 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं. 2017 में राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कुछ खास कमाल नहीं कर पाई और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.

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Last Updated : Jul 4, 2019, 6:38 PM IST
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