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नौकरी छोड़ शुरू किया चॉकलेट का व्यवसाय, जानें कैसे मिली सफलता - Dakshina kannada district

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम की व्यस्तता के साथ और गृहकार्य से तंग आ चुकी एक महिला ने बेंगलुरु (Bengaluru) में नौकरी छोड़ने के बाद अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया जाे अब किसानों को जैविक कोको उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

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Published : Aug 4, 2021, 6:52 PM IST

बेंगलुरु : दक्षिण कन्नड़ जिले (Dakshina kannada district) के पुत्तूर तालुक के बेट्टम्पडी रेंजा की रहने वाली स्वाति कल्लुगुंडी ने प्रसव के बाद अपनी आईटी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. बाद में वह पति बालासुब्रमण्या के घर पुत्तूर में आ गई. उस समय उन्हाेंने चॉकलेट व्यवसाय शुरू करने के बारे में सोचा.

स्वाति ने लाइसेंस प्राप्त करने के साथ ही इसे बनाने की गुणवत्ता के बारे में जानकारी इकट्ठा की. उनके पति भी मैकेनिकल इंजीनियर हैं. पति-पत्नी दोनों ने चॉकलेट बनाने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली. उन्होंने अपनी बचत की हुई राशि का इसमें निवेश किया है और ऑनलाइन मशीन टूल्स खरीदे हैं. फिर उन्होंने ऑनलाइन चॉकलेट बनाना सीखकर बिजनेस शुरू किया.

अनुत्तमा (Anuttama)नाम से चॉकलेट बनाना शुरू किया. चॉकलेट बनाने के साथ-साथ स्वाति परिवार की अन्य सारी जिम्मेदारियां भी संभालती हैं. ऑनलाइन मार्केट पर ज्यादा निर्भर रहने वाली स्वाति इंस्टाग्राम, फेसबुक और अमेजन पर चॉकलेट बेचती हैं. ये चॉकलेट बिना किसी केमिकल और चीनी के सिर्फ गुड़ का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं.

चॉकलेट का एक अलग स्वाद है और वर्तमान में एक महीने में 800 चॉकलेट (बार) की मांग है. जब से उन्होंने चॉकलेट बनाना शुरू किया है, स्वाति आसपास के किसानों को जैविक कोको उगाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

वर्तमान में चॉकलेट की लगभग 14 किस्में उपलब्ध हैं. चॉकलेट का स्वाद बढ़ाने के लिए स्वाति आगे के शोध में लगी हुई हैं.

स्वाति कलेगुंडी ने कहा कि चॉकलेट बनाना अब मेरा व्यवसाय है. मैंने इंस्टाग्राम, अमेजन और फेसबुक के जरिए मार्केटिंग शुरू की. बाद में हमने इसी उद्देश्य से वेबसाइट शुरू की. वहीं बालासुब्रह्मण्य ने कहा कि हम अपनी कृषि भूमि में कोको को अंतर-फसल ( inter-crop) के रूप में उगाते हैं.

इसे भी पढ़ें : युवाओं ने पीले व भूरे अंडे का बिजनेस शुरू किया, बन रहे आत्मनिर्भर

महामारी के दौरान बाजार बंद होने के कारण, हमने अपना कुछ लाने के बारे में सोचा. बाद में हमने चॉकलेट बनाने की योजना बनाई तो अब हम सफल हैं.

बेंगलुरु : दक्षिण कन्नड़ जिले (Dakshina kannada district) के पुत्तूर तालुक के बेट्टम्पडी रेंजा की रहने वाली स्वाति कल्लुगुंडी ने प्रसव के बाद अपनी आईटी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. बाद में वह पति बालासुब्रमण्या के घर पुत्तूर में आ गई. उस समय उन्हाेंने चॉकलेट व्यवसाय शुरू करने के बारे में सोचा.

स्वाति ने लाइसेंस प्राप्त करने के साथ ही इसे बनाने की गुणवत्ता के बारे में जानकारी इकट्ठा की. उनके पति भी मैकेनिकल इंजीनियर हैं. पति-पत्नी दोनों ने चॉकलेट बनाने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली. उन्होंने अपनी बचत की हुई राशि का इसमें निवेश किया है और ऑनलाइन मशीन टूल्स खरीदे हैं. फिर उन्होंने ऑनलाइन चॉकलेट बनाना सीखकर बिजनेस शुरू किया.

अनुत्तमा (Anuttama)नाम से चॉकलेट बनाना शुरू किया. चॉकलेट बनाने के साथ-साथ स्वाति परिवार की अन्य सारी जिम्मेदारियां भी संभालती हैं. ऑनलाइन मार्केट पर ज्यादा निर्भर रहने वाली स्वाति इंस्टाग्राम, फेसबुक और अमेजन पर चॉकलेट बेचती हैं. ये चॉकलेट बिना किसी केमिकल और चीनी के सिर्फ गुड़ का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं.

चॉकलेट का एक अलग स्वाद है और वर्तमान में एक महीने में 800 चॉकलेट (बार) की मांग है. जब से उन्होंने चॉकलेट बनाना शुरू किया है, स्वाति आसपास के किसानों को जैविक कोको उगाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

वर्तमान में चॉकलेट की लगभग 14 किस्में उपलब्ध हैं. चॉकलेट का स्वाद बढ़ाने के लिए स्वाति आगे के शोध में लगी हुई हैं.

स्वाति कलेगुंडी ने कहा कि चॉकलेट बनाना अब मेरा व्यवसाय है. मैंने इंस्टाग्राम, अमेजन और फेसबुक के जरिए मार्केटिंग शुरू की. बाद में हमने इसी उद्देश्य से वेबसाइट शुरू की. वहीं बालासुब्रह्मण्य ने कहा कि हम अपनी कृषि भूमि में कोको को अंतर-फसल ( inter-crop) के रूप में उगाते हैं.

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महामारी के दौरान बाजार बंद होने के कारण, हमने अपना कुछ लाने के बारे में सोचा. बाद में हमने चॉकलेट बनाने की योजना बनाई तो अब हम सफल हैं.

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