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2 खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर सबसे प्रभावी है : रिसर्च

कर्नाटक के एक प्रतिष्ठित अस्पताल ने एक अध्ययन से कई महत्वपूर्ण मुद्दों का पता लगाया है. विशेष रूप से, यह रिसर्च दर्शाति है कि कोविड -19 वैक्सीन की दो खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर सबसे प्रभावी है. बाद दें यह बात शॉर्ट टाइम में वैक्सीन पावर को लेकर चल रही बहस के बीच सामने आई है. पढ़ें पूरी खबर...

कोविड -19 वैक्सीन
कोविड -19 वैक्सीन
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Published : Sep 25, 2021, 8:17 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के एक प्रतिष्ठित अस्पताल ने एक अध्ययन से कई महत्वपूर्ण मुद्दों का पता लगाया है. विशेष रूप से, यह रिसर्च दर्शाति है कि कोविड -19 वैक्सीन की दो खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर सबसे प्रभावी है. बाद दें यह बात शॉर्ट टाइम में वैक्सीन पावर को लेकर चल रही बहस के बीच सामने आई है.

जयदेव अस्पताल (श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च) ने वैक्सीन एंटीबॉडी की शक्ति पर एक अध्ययन किया. जयदेव अस्पताल के निदेशक डॉ सीएन मंजूनाथ के नेतृत्व में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ नवीन, डॉ नंदिनी, डॉ कविता द्वारा अध्ययन किया गया था.

इस टीम ने अस्पताल के 250 स्वास्थ्य कर्मियों पर एलिसा (enzyme-linked immunosorbent assay) परीक्षण पद्धति का उपयोग करके अध्ययन किया, जिन्होंने कोविशील्ड की दूसरी खुराक प्राप्त की.

टीके की दो खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर अधिक प्रभावी पाया गया है. क्योंकि 4 सप्ताह के अंतराल में दूसरी खुराक लेने वालों में अधिक एंटीबॉडी बनी है. इसलिए यह अध्ययन खुराक के बीच के अंतर को कम करने के महत्व पर प्रकाश डालता है.

कोविड संक्रमित व्यक्तियों में 99% एंटीबॉडी बनी

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि टीकाकरण के कई महीनों के बाद एंटीबॉडी में वृद्धि हुई है. टीकाकरण के दो से तीन महीने बाद एंटीबॉडी बनने वालों को 'डिलेड रेस्पॉन्डर' कहा जाता है. कोविड से ठीक होने के बाद टीका लगवाने वाले लोगों में गैर-संक्रमित लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी (99%) बनी.

पढ़ें : कोरोना से मौतों को रोकने में पहला टीका 96.6% प्रभावी : ICMR महानिदेशक

अस्पताल राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है. हालांकि निर्णय केंद्र सरकार के हाथ में है.

बेंगलुरु : कर्नाटक के एक प्रतिष्ठित अस्पताल ने एक अध्ययन से कई महत्वपूर्ण मुद्दों का पता लगाया है. विशेष रूप से, यह रिसर्च दर्शाति है कि कोविड -19 वैक्सीन की दो खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर सबसे प्रभावी है. बाद दें यह बात शॉर्ट टाइम में वैक्सीन पावर को लेकर चल रही बहस के बीच सामने आई है.

जयदेव अस्पताल (श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च) ने वैक्सीन एंटीबॉडी की शक्ति पर एक अध्ययन किया. जयदेव अस्पताल के निदेशक डॉ सीएन मंजूनाथ के नेतृत्व में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ नवीन, डॉ नंदिनी, डॉ कविता द्वारा अध्ययन किया गया था.

इस टीम ने अस्पताल के 250 स्वास्थ्य कर्मियों पर एलिसा (enzyme-linked immunosorbent assay) परीक्षण पद्धति का उपयोग करके अध्ययन किया, जिन्होंने कोविशील्ड की दूसरी खुराक प्राप्त की.

टीके की दो खुराक के बीच 4 सप्ताह का अंतर अधिक प्रभावी पाया गया है. क्योंकि 4 सप्ताह के अंतराल में दूसरी खुराक लेने वालों में अधिक एंटीबॉडी बनी है. इसलिए यह अध्ययन खुराक के बीच के अंतर को कम करने के महत्व पर प्रकाश डालता है.

कोविड संक्रमित व्यक्तियों में 99% एंटीबॉडी बनी

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि टीकाकरण के कई महीनों के बाद एंटीबॉडी में वृद्धि हुई है. टीकाकरण के दो से तीन महीने बाद एंटीबॉडी बनने वालों को 'डिलेड रेस्पॉन्डर' कहा जाता है. कोविड से ठीक होने के बाद टीका लगवाने वाले लोगों में गैर-संक्रमित लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी (99%) बनी.

पढ़ें : कोरोना से मौतों को रोकने में पहला टीका 96.6% प्रभावी : ICMR महानिदेशक

अस्पताल राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है. हालांकि निर्णय केंद्र सरकार के हाथ में है.

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