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पहली बार Chat GPT की मदद से पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनाया जमानत अर्जी पर फैसला, जानें भविष्य में कितना होगा कारगर

चैट जीपीटी इन दिनों अपनी खूबियों की वजह से काफी धूम मचा रहा है. अभी तक इसका इस्तेमाल कंटेंट, आर्टिकल, समाचार लेख, कविता जैसे कामों के लिए किया जा रहा था. अब पहली बार इसका इस्तेमाल हाई कोर्ट की कार्यवाही में किया गया है. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत के फैसले के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया है.

punjab haryana high court
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Published : Mar 28, 2023, 10:44 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल किया गया है. हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल हत्या के केस में जमानत अर्जी पर फैसले के लिए किया है. मतलब ये कि हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर न्यायिक विधि में एक नई पहल की है. मंगलवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने चैट जीपीटी से मिले जवाब पर हत्या के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया है.

हाई कोर्ट ने पूछा था ये सवाल: आरोपी की जमानत याचिका पर आदेश देने से पहले हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी से पूछा था कि जब हमलावरों ने क्रूर हमला किया है, तो जमानत पर न्यायशास्त्र क्या है? इसके जवाब में चैट जीपीटी ने बताया कि जहां हमलावरों ने क्रूरता की है, मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और कानूनों और नियमों पर निर्भर करेगा. यदि हमलावरों पर हिंसक अपराध का आरोप लगाया जाता है. जिसमें क्रूरता शामिल है, तो समुदाय के लिए खतरा माना जा सकता है.

ऐसे मामलों में, न्यायाधीश जमानत देने से परहेज कर सकता है या ये सुनिश्चित करने के लिए जमानत की राशि बहुत अधिक निर्धारित कर सकता है कि आरोपी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं करता है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

कानूनी मामले के जानकार वरदान मल्होत्रा ने इस बारे में बताया कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार किसी मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है. उनका मानना है कि कानून के मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से बहुत सारे रास्ते खुल जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके कई विपरीत असर भी हो सकते हैं. इसलिए हमें बड़े ही बारीकी से ये देखना होगा कि इसके क्या फायदे होंगे और क्या नुकसान.

ये भी पढ़ें- यूपी में हरियाणा STF से मारपीट, शामली पुलिस के सहयोग से बदमाश जबरूद्दीन को किया गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों के लिए भी लाभप्रद है. जिन कामों में इंसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उसमें बहुत मदद मिल रही है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ह्यूमन क्रिएटिविटी पर भी असर पड़ सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर अभी तक जो देखने को मिला है. उससे तो ये साफ है कि ये लिमिटलेस है. चैट जीपीटी जो अभी एडवांस वर्जन है. उसने कानून की बड़ी परीक्षाओं को पास किया है. चैट जीपीटी ऑलमोस्ट ऐसे एग्जाम में टॉप 20 में आया है.

क्या चैट जीपीटी से लंबित मामलों का होगा निपटारा? कानून मामलों के जानकार वरदान ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कानून में करना नई क्रांति है. इसके इस्तेमाल की वजह से आने वाले दिनों में कोर्ट के अंदर जो लाखों लंबित मामले हैं. इनके निपटारे में इसका फायदा मिल सकता है. इससे रूटीन केस और बैकलॉग को कम किया जा सकता है. अगर हम इसे प्रॉपर चेक एंड बैलेंस के साथ इस्तेमाल करें, तो ये हमारे लिए एक बेहतरीन टूल हो सकता है.

क्या है चैट जीपीटी? चैट जीपीटी एक चैटबॉट है, जो Generative Pre-Trend Transformer है. ये Artificial Intelligence पर काम करता है. चैट जीपीटी किसी भी सवाल का जवाब डाटा के आधार पर रिसर्च करके देता है. ये मौजूदा डाटा के आधार पर सैंपल जनरेट करता है. ये पुरानी बातों को Reference के तौर पर याद रखता है. उदाहरण के तौर परअगर आपने इससे पहले कुछ पूछा है, तो ये भविष्य में इस बात का Reference दे सकता है.

चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल किया गया है. हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल हत्या के केस में जमानत अर्जी पर फैसले के लिए किया है. मतलब ये कि हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल कर न्यायिक विधि में एक नई पहल की है. मंगलवार को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने चैट जीपीटी से मिले जवाब पर हत्या के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया है.

हाई कोर्ट ने पूछा था ये सवाल: आरोपी की जमानत याचिका पर आदेश देने से पहले हाई कोर्ट ने चैट जीपीटी से पूछा था कि जब हमलावरों ने क्रूर हमला किया है, तो जमानत पर न्यायशास्त्र क्या है? इसके जवाब में चैट जीपीटी ने बताया कि जहां हमलावरों ने क्रूरता की है, मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और कानूनों और नियमों पर निर्भर करेगा. यदि हमलावरों पर हिंसक अपराध का आरोप लगाया जाता है. जिसमें क्रूरता शामिल है, तो समुदाय के लिए खतरा माना जा सकता है.

ऐसे मामलों में, न्यायाधीश जमानत देने से परहेज कर सकता है या ये सुनिश्चित करने के लिए जमानत की राशि बहुत अधिक निर्धारित कर सकता है कि आरोपी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं करता है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

कानूनी मामले के जानकार वरदान मल्होत्रा ने इस बारे में बताया कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पहली बार किसी मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है. उनका मानना है कि कानून के मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से बहुत सारे रास्ते खुल जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके कई विपरीत असर भी हो सकते हैं. इसलिए हमें बड़े ही बारीकी से ये देखना होगा कि इसके क्या फायदे होंगे और क्या नुकसान.

ये भी पढ़ें- यूपी में हरियाणा STF से मारपीट, शामली पुलिस के सहयोग से बदमाश जबरूद्दीन को किया गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों के लिए भी लाभप्रद है. जिन कामों में इंसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उसमें बहुत मदद मिल रही है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ह्यूमन क्रिएटिविटी पर भी असर पड़ सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर अभी तक जो देखने को मिला है. उससे तो ये साफ है कि ये लिमिटलेस है. चैट जीपीटी जो अभी एडवांस वर्जन है. उसने कानून की बड़ी परीक्षाओं को पास किया है. चैट जीपीटी ऑलमोस्ट ऐसे एग्जाम में टॉप 20 में आया है.

क्या चैट जीपीटी से लंबित मामलों का होगा निपटारा? कानून मामलों के जानकार वरदान ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कानून में करना नई क्रांति है. इसके इस्तेमाल की वजह से आने वाले दिनों में कोर्ट के अंदर जो लाखों लंबित मामले हैं. इनके निपटारे में इसका फायदा मिल सकता है. इससे रूटीन केस और बैकलॉग को कम किया जा सकता है. अगर हम इसे प्रॉपर चेक एंड बैलेंस के साथ इस्तेमाल करें, तो ये हमारे लिए एक बेहतरीन टूल हो सकता है.

क्या है चैट जीपीटी? चैट जीपीटी एक चैटबॉट है, जो Generative Pre-Trend Transformer है. ये Artificial Intelligence पर काम करता है. चैट जीपीटी किसी भी सवाल का जवाब डाटा के आधार पर रिसर्च करके देता है. ये मौजूदा डाटा के आधार पर सैंपल जनरेट करता है. ये पुरानी बातों को Reference के तौर पर याद रखता है. उदाहरण के तौर परअगर आपने इससे पहले कुछ पूछा है, तो ये भविष्य में इस बात का Reference दे सकता है.

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