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महाराष्ट्र में MVA को कितनी सीटें मिल सकती हैं? क्या कहता है कांग्रेस का आंतरिक सर्वेक्षण

कांग्रेस के आंतरिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि महाराष्ट्र में एमवीए 150 से अधिक सीटें जीत सकती है.

महाराष्ट्र में एमवीए को 150 से अधिक सीटें
महाराष्ट्र चुनाव के लिए एमवीए संयुक्त घोषणापत्र जारी करते हुए (फाइल) (ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : 21 hours ago

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान काफी तेज हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस के एक आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में महाविकास अघाड़ी को 288 विधानसभा सीटों में से 150 से अधिक सीटें जीतने की संभावना है. सर्वेक्षण के मुताबिक चुनाव में गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है.

चुनाव प्रचार के अंतिम चरण से पहले किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि, स्थानीय हितों को तरजीह देना और दिल्ली (बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) द्वारा 'गुजरात में बड़े निवेश को स्थानांतरित करना' तथा राज्य सरकार द्वारा कथित भ्रष्टाचार सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के खिलाफ जाने वाले प्रमुख कारण थे.

विपक्षी एमवीए की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने वाला एक और कारक दो बड़े क्षेत्रीय नेताओं शरद पवार और उद्धव ठाकरे की कथित तौर पर भाजपा द्वारा 'पीठ में छुरा घोंपना' था, जिसने महायुति विरोधी भावना को बढ़ावा दिया. महाराष्ट्र के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षक टीएस सिंह देव ने ईटीवी भारत से बातचीत में दावा करते हुए कहा कि,संभव है कि, एमवीए 150 से अधिक सीटों का आंकड़ा पार कर सकती है और गठबंधन के भीतर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस के सहयोगी पार्टियां कैसा प्रदर्शन करती है. टीएस सिंह देव ने कहा कि, उनके पास जो फीडबैक है, उसके अनुसार कांग्रेस जिन 102 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 50 या 60 सीटें, शिवसेना यूबीटी 95 में से 50 और एनसीपी-एसपी 85 में से 50 सीटें लड़ रही है, जो एक सही स्कोर है. इसके अलावा, कांग्रेस अपने सहयोगियों द्वारा लड़ी जा रही सात सीटों में से 3 या 4 सीटें जीतेगी.

छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के अनुसार, "मतदाताओं के बीच यह प्रबल धारणा थी कि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के हितों की अनदेखी की है, जिसने अवैध तरीकों से सत्ता हासिल करने के लिए दो मजबूत क्षेत्रीय दलों शिवसेना और एनसीपी को तोड़ दिया. साथ ही, वे इस तथ्य को भी स्वीकार करते हैं कि, पिछले दो सालों में महाराष्ट्र ने बहुत बड़ा निवेश खो दिया है, जो पड़ोसी गुजरात में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा कर सकता था.

पश्चिमी राज्य के प्रमुख हिस्सों में यात्रा कर रहे सिंह देव ने कहा कि, उन्होंने देखा कि स्थानीय एमवीए कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग भी हो रहा है, इसके अलावा कभी-कभार शीर्ष नेताओं का एक साथ आना भी देखने को मिल रहा है. चुनिंदा रैलियों में शीर्ष नेताओं के एकत्र होने के अलावा स्थानीय गठबंधन कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग भी हो रहा है.

टीएस सिंहदेव ने कहा कि, हाल ही में, उन्होंने पुणे क्षेत्र में स्थानीय एनसीपी-एसपी कार्यालय से एक कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय को संचालित होते देखा. अगले कुछ दिनों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी मुंबई की वर्ली सीट पर शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे के लिए प्रचार करने की संभावना है, जहां उनका मुकाबला शिवसेना शिंदे के मिलिंद देवड़ा से है, जो पूर्व कांग्रेसी हैं.

कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि, एमवीए का अभियान पॉजिटिव रहा है, जबकि महायुति के नेता भी महाराष्ट्र कार्ड खेलकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. सिंहदेव ने कहा, "एमवीए महायुति के खिलाफ जमीनी स्तर पर अच्छी लड़ाई लड़ रहा है, जिसे मतदाताओं के बीच इस भावना से निपटना है कि भगवा पार्टी ने महाराष्ट्र के गौरव से समझौता किया है और शिवसेना शिंदे और एनसीपी-एपी जैसे अलग हुए समूह भाजपा की तरफ हैं. मूल शिवसेना और एनसीपी का निर्माण बाला साहेब ठाकरे और शरद पवार जैसे दिग्गजों ने महाराष्ट्र के गौरव को बढ़ावा देने के लिए किया था, लेकिन उनके अपने नेताओं ने ही उनकी पीठ में छुरा घोंपा.

ये भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे के आरोप के बीच अधिकारियों ने की CM शिंदे के बैग की जांच, अजित पवार-आठवले की भी हुई चेकिंग

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान काफी तेज हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस के एक आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में महाविकास अघाड़ी को 288 विधानसभा सीटों में से 150 से अधिक सीटें जीतने की संभावना है. सर्वेक्षण के मुताबिक चुनाव में गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है.

चुनाव प्रचार के अंतिम चरण से पहले किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि, स्थानीय हितों को तरजीह देना और दिल्ली (बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) द्वारा 'गुजरात में बड़े निवेश को स्थानांतरित करना' तथा राज्य सरकार द्वारा कथित भ्रष्टाचार सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के खिलाफ जाने वाले प्रमुख कारण थे.

विपक्षी एमवीए की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने वाला एक और कारक दो बड़े क्षेत्रीय नेताओं शरद पवार और उद्धव ठाकरे की कथित तौर पर भाजपा द्वारा 'पीठ में छुरा घोंपना' था, जिसने महायुति विरोधी भावना को बढ़ावा दिया. महाराष्ट्र के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षक टीएस सिंह देव ने ईटीवी भारत से बातचीत में दावा करते हुए कहा कि,संभव है कि, एमवीए 150 से अधिक सीटों का आंकड़ा पार कर सकती है और गठबंधन के भीतर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस के सहयोगी पार्टियां कैसा प्रदर्शन करती है. टीएस सिंह देव ने कहा कि, उनके पास जो फीडबैक है, उसके अनुसार कांग्रेस जिन 102 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 50 या 60 सीटें, शिवसेना यूबीटी 95 में से 50 और एनसीपी-एसपी 85 में से 50 सीटें लड़ रही है, जो एक सही स्कोर है. इसके अलावा, कांग्रेस अपने सहयोगियों द्वारा लड़ी जा रही सात सीटों में से 3 या 4 सीटें जीतेगी.

छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के अनुसार, "मतदाताओं के बीच यह प्रबल धारणा थी कि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के हितों की अनदेखी की है, जिसने अवैध तरीकों से सत्ता हासिल करने के लिए दो मजबूत क्षेत्रीय दलों शिवसेना और एनसीपी को तोड़ दिया. साथ ही, वे इस तथ्य को भी स्वीकार करते हैं कि, पिछले दो सालों में महाराष्ट्र ने बहुत बड़ा निवेश खो दिया है, जो पड़ोसी गुजरात में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा कर सकता था.

पश्चिमी राज्य के प्रमुख हिस्सों में यात्रा कर रहे सिंह देव ने कहा कि, उन्होंने देखा कि स्थानीय एमवीए कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग भी हो रहा है, इसके अलावा कभी-कभार शीर्ष नेताओं का एक साथ आना भी देखने को मिल रहा है. चुनिंदा रैलियों में शीर्ष नेताओं के एकत्र होने के अलावा स्थानीय गठबंधन कार्यकर्ताओं के बीच सहयोग भी हो रहा है.

टीएस सिंहदेव ने कहा कि, हाल ही में, उन्होंने पुणे क्षेत्र में स्थानीय एनसीपी-एसपी कार्यालय से एक कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय को संचालित होते देखा. अगले कुछ दिनों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी मुंबई की वर्ली सीट पर शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे के लिए प्रचार करने की संभावना है, जहां उनका मुकाबला शिवसेना शिंदे के मिलिंद देवड़ा से है, जो पूर्व कांग्रेसी हैं.

कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि, एमवीए का अभियान पॉजिटिव रहा है, जबकि महायुति के नेता भी महाराष्ट्र कार्ड खेलकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. सिंहदेव ने कहा, "एमवीए महायुति के खिलाफ जमीनी स्तर पर अच्छी लड़ाई लड़ रहा है, जिसे मतदाताओं के बीच इस भावना से निपटना है कि भगवा पार्टी ने महाराष्ट्र के गौरव से समझौता किया है और शिवसेना शिंदे और एनसीपी-एपी जैसे अलग हुए समूह भाजपा की तरफ हैं. मूल शिवसेना और एनसीपी का निर्माण बाला साहेब ठाकरे और शरद पवार जैसे दिग्गजों ने महाराष्ट्र के गौरव को बढ़ावा देने के लिए किया था, लेकिन उनके अपने नेताओं ने ही उनकी पीठ में छुरा घोंपा.

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