नई दिल्ली : कांग्रेस ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को सरकार के अहंकार की हार और किसानों के संघर्ष की जीत करार देते हुए शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से अपना 'अपराध' स्वीकार किया है और अब '700 कृषकों की मौत एवं किसानों के दमन' के लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए.
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि देश की जनता को समझ में आ गया है कि भाजपा की हार के आगे ही देश की जीत है. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसके लिए समुचित विधायी उपाय किए जाएंगे.
कृषि कानूनों के रद्द होने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि 700 से अधिक किसान परिवारों के सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपनी जान गंवाई, आज उनका बलिदान रंग लाया है. आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!'
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, 'आज मोदी जी और उनकी सरकार के अहंकार की हार का दिन है. आज किसान विरोधी भाजपा और उनके पूंजीपति मित्रों की हार का दिन है. खेती को बेचने के षड्यंत्र की हार का दिन है. आज किसान, मंडी, मजदूर और दुकानदार की जीत का दिन है. आज 700 किसानों की शहादत की जीत का दिन है.'
उन्होंने यह भी कहा, 'एक साल के संघर्ष के बाद भाजपा और अहंकारी प्रधानमंत्री को किसानों के सामने झुकना पड़ा. देश अब नहीं भूलेगा कि किसानों को कुचलने, झुकाने और दमन करने के बाद यह निर्णय लिया गया है. अब जनता समझ गई कि भाजपा की हार के आगे ही जनहित, किसान, मजदूर और देश की जीत है.'
सुरजेवाला ने दावा किया, 'मोदी जी ने आज सार्वजनिक रूप से अपना अपराध स्वीकार किया है. अब देश की जनता इस अपराध की सजा देगी. जितना श्रेय किसानों को जाता है उतना ही श्रेय पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के डर को भी जाता है.'
उन्होंने सवाल किया, 'मोदी जी यह भी बताइए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का रोडमैप और रास्ता क्या है? आपने किसान की आय फरवरी, 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था और यह कब तक होगी? क्या पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी करने का इरादा है? खेती के उपकरणों पर जीएसटी से राहत देने का इरादा क्या है?'
सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि अगर दो जांच एजेंसियों के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए आनन-फानन में अध्यादेश लाए जा सकते हैं तो फिर सरकार इन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अध्यादेश क्यों नहीं ला सकती थी? उन्होंने कहा, '700 किसानों की मौत के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं. प्रधानमंत्री आगे आकर माफी मांगें.'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि चुनाव में आसन्न हार को देखते हुए प्रधानमंत्री को सच्चाई समझ आने लगी है, लेकिन उनकी नीयत एवं बदलते रुख पर विश्वास करना मुश्किल है.
उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, 'आपकी नीयत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है. किसान की सदैव जय होगी. जय जवान, जय किसान, जय भारत.' पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, 'लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन से क्या हासिल नहीं किया जा सकता. प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करना नीति में बदलाव और हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव की डर से फैसला किया गया है.'
उन्होंने कहा, 'बहरहाल, यह किसानों के लिए बड़ी जीत है और कांग्रेस पार्टी के लिए भी जीत है जो इन कानूनों का पुरजोर विरोध कर रही थी.'
वहीं रांची से 50 किमी दूर मुरहू में एक जनसभा में तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी केंद्र की भाजपा सरकार की अहंकार की हार है. यह सरकार मान बैठी थी कि चुनाव जीतने से उसे अपनी मर्जी से कोई भी फैसला लेने और कुछ भी करने का अधिकार मिल गया है. लोकतंत्र ऐसे नहीं चलता है. जनता की भावनाओं और उनके हितों को समझना जरूरी होता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'पहले संसद में जोर-जबरदस्ती से कानून पारित करवाते हैं. फिर अप्रत्याशित विरोध का सामना करते हैं. फिर उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में चुनाव का सामना करते हैं. आखिरकार कानून निरस्त करते हैं. आखिर में किसान की जीत हुई. मैं अपने किसानों की दृढ़ता को सलाम करता हूं जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी.'
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि अब सरकार को यह सबक ले लेना चाहिए कि संसद को दरकिनार नहीं करना है और विपक्ष के साथ सार्थक संवाद के जरिए उन कानूनों को पारित कराना है जिनके दूरगामी असर होते हैं.
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा को 'सही दिशा में उठाया गया कदम' करार दिया. उन्होंने यह भी कहा, 'किसानों के बलिदान का लाभ मिला है.'