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जानिए कहां पेड़ का अंतिम संस्कार कर जताया विरोध

कर्नाटक में पेड़ों की कटाई से आहत पर्यावरणप्रेमियों ने रोष जताने के लिए अनोखा तरीका अपनाया. पर्यावरणप्रेमियों ने कटे हुए पेड़ों का अंतिम संस्कार (funeral for felled trees ) कर कड़ा संदेश दिया कि हरे-भरे वृक्षों को काटा न जाए. घटना मैसूर की है. पढ़ें पूरी खबर.

पेड़ का अंतिम संस्कार
पेड़ का अंतिम संस्कार
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Published : Dec 27, 2021, 5:50 PM IST

मैसूर : पर्यावरण प्रेमियों ने यादवगिरी में पेड़ों की कटाई पर आक्रोश जताया है. यहां रातभर जिन पेड़ों की कटाई की गई, उन्हीं में से एक का अंतिम संस्कार कर विरोध प्रदर्शन किया.

दरअसल यादवगिरि के पास विवेकानंद रोड पर एक अस्पताल के सामने लगे चार पेड़ काट दिए गए. प्रकृति प्रेमियों ने एक पुजारी की मदद से एक पेड़ का अंतिम संस्कार किया और पेड़ को फूलों की माला अर्पित की.

उन्होंने संदेश के रूप में पेड़ से बात की और कहा, 'जब आप वहां थे, आपने कई लोगों, जानवरों और सैकड़ों कीड़ों को आश्रय दिया, ऑक्सीजन दी. हमने आज आपको खो दिया, यह दर्दनाक है, आपको फिर से जन्म लेना चाहिए.' उन्होंने मैसूर में पेड़ों की कटाई के खिलाफ लड़ने का भी संकल्प लिया.

पढ़ें- 102 साल पुराने बरगद के पेड़ का मनाया जन्मदिन, केक काटा

यहां वर्षों से रह रहे कुछ लोगों ने बताया कि इन चार पेड़ों में एक 40 साल पुराना पेड़ था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, 'इस पेड़ ने अस्पताल में आने वाले नागरिकों और मरीजों को आश्रय प्रदान किया है. 40 से अधिक वर्षों से आसपास के वातावरण में स्वच्छ हवा प्रदान की और रातोंरात काट दिया गया. वन विभाग और अन्य संबंधित अधिकारी पूरी तरह से विकसित पेड़ों को काटने की अनुमति कैसे दे सकते हैं ?. अधिकारियों के पास अनधिकृत रूप से पेड़ों को काटने वालों पर प्रति पेड़ 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने की शक्ति है. इन पर इससे तीन गुना अधिक जुर्माना लगाया जाए और कड़ी कार्रवाई की जाए.'

मैसूर : पर्यावरण प्रेमियों ने यादवगिरी में पेड़ों की कटाई पर आक्रोश जताया है. यहां रातभर जिन पेड़ों की कटाई की गई, उन्हीं में से एक का अंतिम संस्कार कर विरोध प्रदर्शन किया.

दरअसल यादवगिरि के पास विवेकानंद रोड पर एक अस्पताल के सामने लगे चार पेड़ काट दिए गए. प्रकृति प्रेमियों ने एक पुजारी की मदद से एक पेड़ का अंतिम संस्कार किया और पेड़ को फूलों की माला अर्पित की.

उन्होंने संदेश के रूप में पेड़ से बात की और कहा, 'जब आप वहां थे, आपने कई लोगों, जानवरों और सैकड़ों कीड़ों को आश्रय दिया, ऑक्सीजन दी. हमने आज आपको खो दिया, यह दर्दनाक है, आपको फिर से जन्म लेना चाहिए.' उन्होंने मैसूर में पेड़ों की कटाई के खिलाफ लड़ने का भी संकल्प लिया.

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यहां वर्षों से रह रहे कुछ लोगों ने बताया कि इन चार पेड़ों में एक 40 साल पुराना पेड़ था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, 'इस पेड़ ने अस्पताल में आने वाले नागरिकों और मरीजों को आश्रय प्रदान किया है. 40 से अधिक वर्षों से आसपास के वातावरण में स्वच्छ हवा प्रदान की और रातोंरात काट दिया गया. वन विभाग और अन्य संबंधित अधिकारी पूरी तरह से विकसित पेड़ों को काटने की अनुमति कैसे दे सकते हैं ?. अधिकारियों के पास अनधिकृत रूप से पेड़ों को काटने वालों पर प्रति पेड़ 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने की शक्ति है. इन पर इससे तीन गुना अधिक जुर्माना लगाया जाए और कड़ी कार्रवाई की जाए.'

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