बठिंडा: आरटीआई एक्टिविस्ट राजनदीप सिंह ने पंजाब के कृषि विभाग से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी, जिसमें पंजाब को आए सीआरएम फंड के इस्तेमाल और इस फंड का इस्तेमाल किन-किन जिलों में किया गया, इसकी जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था.
सीआरएम फंड के बारे में आरटीआई में खुलासा: आरटीआई कार्यकर्ता राजनदीप सिंह ने कहा कि कृषि विभाग के पास कोई डेटा न होने पर पंजाब के सभी जिलों से सीआरएम फंड के बारे में जानकारी मांगी गई थी. पंजाब के जिन आठ जिलों ने आरटीआई के जरिए जानकारी दी है, उनमें से बरनाला जिले को 13.51 करोड़ रुपये भेजे गए थे, जिसमें से 9.67 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. जिला संगरूर को 39.45 करोड़ रुपये भेजे गए थे, जिसमें से 31.68 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. जिला फिरोजपुर को 38.21 करोड़ रुपये भेजे गए थे, जिनमें से 34.88 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.
इस बीच जिला जालंधर को 17.05 करोड़ रुपये भेजे गए, जिनमें से 11.96 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जिला होशियारपुर को 11.92 करोड़ रुपये भेजे गए थे, जिसमें से 5.26 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस बीच, जिला फतेहगढ़ साहिब को 06.92 करोड़ रुपये भेजे गए, जिसमें से 4.54 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जिला फाजिल्का को 18.36 करोड़ रुपये भेजे गए, जिसमें से रु. 16.86 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. जिला बठिंडा को 19.51 करोड़ रुपये भेजे गए थे, जिनमें से 14.90 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इन 8 जिलों को 164.93 करोड़ रुपये भेजे गए, जिसमें से 129.75 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
सवालों के घेरे में मान की AAP सरकार: अब सवाल उठता है कि जब पराली के रखरखाव के लिए 165 करोड़ रुपये भेजे गए थे तो उसे खर्च क्यों नहीं किया गया? करीब 35 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को वापस चले गए. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसानों के हितों के लिए पराली के रख-रखाव के लिए कोई मशीनरी क्यों नहीं बनाई? पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल कहते रहे कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब जिम्मेदार है, लेकिन अब पंजाब सरकार ने केंद्र से भेजे गए फंड का पूरा इस्तेमाल तक नहीं किया है. दूसरी ओर, केंद्र सरकार की ओर से एचआरडी फंड को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं.
पराली जलाने का मामला: यहां बता दें कि धान की पराली को लेकर पंजाब में लगातार राजनीति गरमा रही है और किसान पराली के समाधान के लिए लगातार प्रदर्शन भी कर रहे हैं. पिछले कई सालों से किसान लगातार पराली जलाते आ रहे हैं. साल 2021 में पराली जलाने के 7,648 मामले सामने आए. साल 2022 में पराली जलाने के मामले बढ़कर 10 हजार 214 हो गए थे. अगर केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए फंड का पूरा इस्तेमाल किया जाता तो ये मामले कम हो सकते थे.
यह भी पढ़ें: