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किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष - agricultural bills and protest of farmers

किसानों का हितैषी होने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कई कृषि संगठनों में आक्रोश देखा जा रहा है. यह गुस्सा कृषि सुधार विधेयकों को लेकर है. पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे. आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद.

किसानों से जुड़े कानून पर मोदी सरकार
किसानों से जुड़े कानून पर मोदी सरकार
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Published : Sep 18, 2020, 1:37 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 4:16 PM IST

नई दिल्ली : किसानों के हित में काम न करने को लेकर मोदी सरकार पर विपक्षी दल अक्सर हमलावर रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में पीएम मोदी की कैबिनेट सहयोगी हरसिमरत कौर बादल ने भी सरकार की नीतियों पर असंतोष जाहिर किया है. उन्होंने किसानों के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है. इन विधेयकों में किए गए प्रावधानों पर देशभर के किसान संगठन भड़क उठे हैं. हालांकि, सरकार ने कहा है कि केंद्र का फैसला किसानों के हित में है. लोक सभा में विधेयक पारित होने के बाद खुद पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक करार दिया है.

कई किसान संगठनों ने इस आशंका से विरोध किया है इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किया गया सुरक्षा कवच कमजोर होगा. दूसरी ओर किसानों के हित में होने का दावा कर रहीं विपक्षी पार्टियों की ओर से सरकार पर हमले किए जा रहे हैं. पंजाब में पैठ रखने वाली पार्टी अकाली दल ने लोक सभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान किसानों के हित से खिलवाड़ का आरोप लगाया.

संसद के बाहर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों का विरोध करते हुए संवाददाताओं से कहा कि शिअद किसानों और उनके कल्याण के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब विधान सभा सत्र के ठीक एक दिन पहले को 28 अगस्त, 2020 को कहा था कि किसानों को मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रभावित नहीं होगा.

बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चिट्ठी जारी करते हुए सीएम अमरिंदर सिंह पर किसानों को बहकाने का ठीकरा भी फोड़ा था. गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद सुखबीर ने कहा कि उनकी पार्टी राजग में रहने या नहीं रहने को लेकर बाद में निर्णय लेगी.

हरसिमरत के इस्तीफे के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह 'और कुछ नहीं बल्कि एक नौटंकी' है. उन्होंने कहा कि इस्तीफे की घोषणा अकाली दल की एक और 'नौटंकी' है.

अमरिंदर ने कहा कि अकाली दल ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि संबंधी विधेयक लाये जाने के बावजूद अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है. उन्होंने केंद्र में भाजपा नीत राजग गठबंधन में बने रहने के शिरोमणि अकाली दल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि हरसिमरत कौर का इस्तीफा और कुछ नहीं बल्कि पंजाब के किसानों को 'मूर्ख' बनाने की एक और 'नौटंकी' है.

किसानों के मुद्दे सुर्खियों में होने का एक कारण बिहार विधानसभा चुनाव भी माना जा रहा है. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि नौजवान के बाद किसान अब सरकार के निशाने पर है. उन्होंने केंद्र सरकार को किसान विरोधी करार दिया. तेजस्वी ने एक ट्वीट में लिखा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) किसान विरोधी डबल इंजन सरकार द्वारा लोकसभा में पारित किसान विरोधी अध्यादेशों पर मुखरता से अपना पुरजोर विरोध प्रकट करती है. उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवा और किसान मिलकर इस निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे.

तमाम राजनीतिक बयानबाजी के बीच यह जानना अहम है कि जिन विधेयकों को लेकर मोदी सरकार से सवाल हो रहे हैं इनमें क्या प्रावधान किए गए हैं.

कौन से हैं तीन विधेयक-

  1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020
  2. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  3. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

गुरुवार को लोक सभा से कौन से दो विधेयक पारित हुए

केंद्र सरकार का कहना है कि देश में कृषि सुधार के दृष्टिकोण से लोक सभा से दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयकों के पारित होने के बाद कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.

कृषि कानून में बदलाव का घटनाक्रम

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जून को विधेयकों से जुड़े अध्यादेश स्वीकृत किए
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में 15 सितंबर को इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रखा
  • विधेयकों पर चर्चा के बाद संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन 17 सितंबर को लोक सभा में दो विधेयकों को मंजूरी मिली.

1. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के कानून बनने पर होने वाले बदलाव

  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को 'अवसर की स्‍वतंत्रता'
  • लेन-देन की लागत में कमी
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें

2. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक के कानून बनने पर प्रमुख लाभ

  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव

कानून में बदलाव के समर्थन में केंद्र का कहना है कि किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार का कहना है कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है. सरकार का कहना है कि प्रावधान में बदलाव के बाद किसानों को कई बंधनों से आजादी मिलेगी.

कृषि मंत्री की दलीलें

  • विधेयकों के कानून के माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा
  • राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी
  • विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा
  • खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा
  • रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी

प्रावधानों पर सरकार का पक्ष-

  • किसानों को परिवहन लागत के लिए ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है
  • ऐसी कठिनाइयों से किसानों को बचाते हुए अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी
  • वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए किसानों को उनकी उपज के गुणवत्ता आधारित मूल्य के रूप में अनुबंधित भुगतान किया जाता है
  • कृषि उपज के लिए करारों को बढ़ावा मिलेगा
  • इससे किसानों की उच्च गुणवत्ता तथा निर्धारित आमदनी की प्रक्रिया मजबूत बनेगी
  • बदलाव का मुख्य उद्देश्य विभिन्न चरणों में कृषि को जोखिम से बचाना है
  • करार से उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
  • प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों द्वारा निवेश को बढ़ाने में मदद मिलेगी
  • निर्यात को बढ़ावा देने में भी मिलेगी मदद
  • कृषि समझौते के तहत विवाद होने पर सुलह व विवाद निपटान तंत्र भी काम करेगा

नई दिल्ली : किसानों के हित में काम न करने को लेकर मोदी सरकार पर विपक्षी दल अक्सर हमलावर रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में पीएम मोदी की कैबिनेट सहयोगी हरसिमरत कौर बादल ने भी सरकार की नीतियों पर असंतोष जाहिर किया है. उन्होंने किसानों के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है. इन विधेयकों में किए गए प्रावधानों पर देशभर के किसान संगठन भड़क उठे हैं. हालांकि, सरकार ने कहा है कि केंद्र का फैसला किसानों के हित में है. लोक सभा में विधेयक पारित होने के बाद खुद पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक करार दिया है.

कई किसान संगठनों ने इस आशंका से विरोध किया है इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किया गया सुरक्षा कवच कमजोर होगा. दूसरी ओर किसानों के हित में होने का दावा कर रहीं विपक्षी पार्टियों की ओर से सरकार पर हमले किए जा रहे हैं. पंजाब में पैठ रखने वाली पार्टी अकाली दल ने लोक सभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान किसानों के हित से खिलवाड़ का आरोप लगाया.

संसद के बाहर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि से जुड़े विधेयकों का विरोध करते हुए संवाददाताओं से कहा कि शिअद किसानों और उनके कल्याण के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब विधान सभा सत्र के ठीक एक दिन पहले को 28 अगस्त, 2020 को कहा था कि किसानों को मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रभावित नहीं होगा.

बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चिट्ठी जारी करते हुए सीएम अमरिंदर सिंह पर किसानों को बहकाने का ठीकरा भी फोड़ा था. गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद सुखबीर ने कहा कि उनकी पार्टी राजग में रहने या नहीं रहने को लेकर बाद में निर्णय लेगी.

हरसिमरत के इस्तीफे के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह 'और कुछ नहीं बल्कि एक नौटंकी' है. उन्होंने कहा कि इस्तीफे की घोषणा अकाली दल की एक और 'नौटंकी' है.

अमरिंदर ने कहा कि अकाली दल ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि संबंधी विधेयक लाये जाने के बावजूद अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है. उन्होंने केंद्र में भाजपा नीत राजग गठबंधन में बने रहने के शिरोमणि अकाली दल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि हरसिमरत कौर का इस्तीफा और कुछ नहीं बल्कि पंजाब के किसानों को 'मूर्ख' बनाने की एक और 'नौटंकी' है.

किसानों के मुद्दे सुर्खियों में होने का एक कारण बिहार विधानसभा चुनाव भी माना जा रहा है. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि नौजवान के बाद किसान अब सरकार के निशाने पर है. उन्होंने केंद्र सरकार को किसान विरोधी करार दिया. तेजस्वी ने एक ट्वीट में लिखा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) किसान विरोधी डबल इंजन सरकार द्वारा लोकसभा में पारित किसान विरोधी अध्यादेशों पर मुखरता से अपना पुरजोर विरोध प्रकट करती है. उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवा और किसान मिलकर इस निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे.

तमाम राजनीतिक बयानबाजी के बीच यह जानना अहम है कि जिन विधेयकों को लेकर मोदी सरकार से सवाल हो रहे हैं इनमें क्या प्रावधान किए गए हैं.

कौन से हैं तीन विधेयक-

  1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020
  2. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
  3. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020

गुरुवार को लोक सभा से कौन से दो विधेयक पारित हुए

केंद्र सरकार का कहना है कि देश में कृषि सुधार के दृष्टिकोण से लोक सभा से दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयकों के पारित होने के बाद कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.

कृषि कानून में बदलाव का घटनाक्रम

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जून को विधेयकों से जुड़े अध्यादेश स्वीकृत किए
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में 15 सितंबर को इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रखा
  • विधेयकों पर चर्चा के बाद संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन 17 सितंबर को लोक सभा में दो विधेयकों को मंजूरी मिली.

1. कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के कानून बनने पर होने वाले बदलाव

  • कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्‍यापारियों को 'अवसर की स्‍वतंत्रता'
  • लेन-देन की लागत में कमी
  • मंडियों के अतिरिक्‍त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्‍करण यूनिटों पर व्‍यापार के लिए अतिरिक्‍त चैनलों का सृजन
  • किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्‍स्‍थता में कमी आएं
  • देश में प्रतिस्‍पर्धी डिजिटल व्‍यापार का माध्‍यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
  • अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें

2. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक के कानून बनने पर प्रमुख लाभ

  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन
  • उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट
  • अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद
  • अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति
  • क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति
  • शीघ्र वितरण/प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद
  • अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान
  • सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव

कानून में बदलाव के समर्थन में केंद्र का कहना है कि किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार का कहना है कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें अपनी कम मात्रा की उपज को बाजारों में ले जाने और उसका अच्छा मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है. सरकार का कहना है कि प्रावधान में बदलाव के बाद किसानों को कई बंधनों से आजादी मिलेगी.

कृषि मंत्री की दलीलें

  • विधेयकों के कानून के माध्यम से अब किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा
  • राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी
  • विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा
  • खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा
  • रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी

प्रावधानों पर सरकार का पक्ष-

  • किसानों को परिवहन लागत के लिए ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है
  • ऐसी कठिनाइयों से किसानों को बचाते हुए अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी
  • वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए किसानों को उनकी उपज के गुणवत्ता आधारित मूल्य के रूप में अनुबंधित भुगतान किया जाता है
  • कृषि उपज के लिए करारों को बढ़ावा मिलेगा
  • इससे किसानों की उच्च गुणवत्ता तथा निर्धारित आमदनी की प्रक्रिया मजबूत बनेगी
  • बदलाव का मुख्य उद्देश्य विभिन्न चरणों में कृषि को जोखिम से बचाना है
  • करार से उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
  • प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों द्वारा निवेश को बढ़ाने में मदद मिलेगी
  • निर्यात को बढ़ावा देने में भी मिलेगी मदद
  • कृषि समझौते के तहत विवाद होने पर सुलह व विवाद निपटान तंत्र भी काम करेगा
Last Updated : Sep 18, 2020, 4:16 PM IST
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