आस्था : उत्तरकाशी के इस मेले में धारदार कुल्हाड़ियों पर चलते हैं
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गढ़ संस्कृति को संजोए रखने में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का अलग ही पहचान है. गंगा-यमुना, देवी-देवताओं और अपने विशेष संस्कृति के लिए पहचाने जाने वाले इस जिले में आज भी ऐसे कई चमत्कार देखने को मिलते हैं जो तकनीकी युग में भी देवभूमि शब्द को सार्थक करते हैं. उत्तरकाशी में सोमेश्वर देवता (Someshwara devta in Uttarkashi) को कष्टों को हरने वाला देवता माना जाता है. यहां आज भी पश्वों की आराधना पर देवता अवतरित होते हैं. यहां हर देवता को बुलाने की अलग और अनोखी विधि होती है. ऐसे ही सोमेश्वर देवता (Someshwara devta of Uttarkashi) हैं, जिनकी आराधना की विधि अलग ही है. सोमेश्वर देवता को उत्तरकाशी के सभी ब्लॉकों के सैकड़ों गांवों में पूजा जाता है. इनका आसन तेज धार की डांगरियों पर सीटियों के साथ लगता है. मांडौं गांव में ग्रामीणों के आराध्य देवता कंडार व तीलोथ गांव के नाग देवता की अगुवाई में दो दिन सोमेश्वर देवता के मेले (Someshwara devta seat in the fair) का आयोजन किया गया. अंतिम दिन भगवान सोमेश्वर देवता का आसन लगाया गया. इस दौरान मांडौं गांव सीटियों से गूंज उठा. देखते ही देखते पश्वा पर सोमेश्वर देवता अवतरित हुए. उसके बाद गांव के युवा अपने हाथों में तेज धार की डांगरियों, छोटी कुल्हाड़ियों पर नंगे पांव चलने लगे, जो अपने आप में काफी अलग था.