Todays Motivation : जैसे धुएं से अग्नि, धूल से दर्पण ढंक जाता है, वैसे ही काम के द्वारा ज्ञान छिप जाता है - shiva bhajan

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Published : Jul 18, 2022, 8:05 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:25 PM IST

सहसा ही अपने नियत कर्म त्याग कर तथाकथित योगी या कृत्रिम अध्यात्मवादी नहीं बन जाना चाहिए. बल्कि हठ त्यागकर, यथास्थिति में ही, श्रेष्ठ प्रशिक्षण के अन्तर्गत कर्मयोग का प्रयत्न करना चाहिए.अपने नियत कर्मों को दोषपूर्ण ढंग से सम्पन्न करना भी अन्य के कर्मों को भलीभांति करने से श्रेयस्कर है. स्वधर्म के लिए मरना कल्याणकारी है किन्तु परधर्म का अनुसरण भयावह होता है. इन्द्रियों के विषय के प्रति मन में राग द्वेष रहते हैं, उनको व्यवस्थित करने के नियम होते हैं. मनुष्य को चाहिए कि वह उनके वश में न हो क्योंकि वे आत्म-साक्षात्कार के मार्ग में अवरोधक हैं. रजोगुण के कारण काम उत्पन्न होता है, जो बाद में क्रोध का रूप धारण करता है और फिर मनुष्य पापकर्मों के लिए प्रेरित होता है. यह संसार का सर्वभक्षी पापी शत्रु है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:25 PM IST

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