जब भारत ने रचा इतिहास, बना अंतरिक्ष का सिरमौर
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आज के पॉडकास्ट में भारत द्वारा 6 वर्ष पहले किये गए उस कारनामे की बात करेंगे, जिसने पूरे विश्व को भारत का लोहा मानने पर मजबूर कर दिया था. इस कारनामे को भारत ने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक पूरा किया और अंतरिक्ष में ऐसी उपलब्धी हासिल की, जिसने आने वाले कई समय तक भारत को पूरे विश्व के लिये एक मिसाल बना दिया. हम बात कर रहे हैं, भारत के पहले मंगलयान के सफर की. दरअसल, 24 सितंबर 2014 को भारत ने अंतरिक्ष यान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करके एक बड़े कार्य को अंजाम दिया था. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की यह उपलब्धि इतिहास के पन्नों में दर्ज है. भारत मंगल पर पहुंचने के साथ ही पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया. एशिया के दो दिग्गज चीन और जापान को भारत ने पीछे छोड़ दिया था, क्योंकि दोनों देश पहले मंगल अभियान में सफल नहीं हो पाए थे. इस उपलब्धि के बाद सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है. ये मंगल पर भेजा गया अब तक का सबसे सस्ता मिशन भी है. मंगलयान मिशन की लागत 450 करोड़ रुपए आई थी. यह नासा के पहले मंगल मिशन का दसवां और चीन-जापान के नाकाम मंगल अभियानों का एक चौथाई भर है. प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने मंगलयान को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था. तो भारत का विश्व पटल पर किया गया यह कारनामा सभी भारतीयों के लिये प्रेरणास्रोत है, जो असफलता के बाद हारकर बैठ जाते हैं. भारत ने यह कारनामा अमेरिका, रूस, जापान व अन्य विकसित देशों के काफी बाद किया, लेकिन ऐसी इबारत लिखी कि आज भी सभी देश भारत को नमन करते हैं.