Positive Bharat Podcast: दो रुपये ने बदली अमिताभ बच्चन की जिंदगी, सुनिए महानायक के अनसुने किस्से
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अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में कदम रखने से पहले अलग-अलग कंपनियों में काम कर चुके हैं. वह अपने एक ब्लॉग में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि उन्हें उस दौरान करीब 480 रुपये सैलरी मिलती थी, जिसमें से 350 रूपये उनके हॉस्ल का रहने और खाने का खर्चा हुआ करता था. इससे उनके पास बहुत कम पैसे बचा करते थे. इस कारण वह ऑफिस का मुफ्त खाना खाते और शाम को 2 रुपये के गोलप्पे खाकर अपना गुजारा करते थे. अमिताभ इन हालातों में जैसे-तैसे अपना काम चला रहे थे. जब वो पहली बार मुंबई आए, उस दौरान उनके पास काम नहीं था. जलाल आगा ने एक विज्ञापन कंपनी खोल रखी थी, जो विविध भारती के लिए विज्ञापन बनाती थी. जलाल, अमिताभ को वर्ली के एक छोटे से रिकॉर्डिंग सेंटर में ले जाते थे और एक-दो मिनट के विज्ञापनों में वे अमिताभ की आवाज रिकॉर्ड करते और उन्हें इसके लिए 50 रुपये देते थे, लेकिन तब भी अमिताभ के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो पेट भर खाना खा सकें. हर दिन सुबह वो काम की तलाश में भटकते और रात को बचे पैसे से बेकरी के सस्ते बिस्कुट आधे दाम में खरीद लेते और वही खाया करते. अमिताभ ने एक बार अपने फैंस के साथ अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए एक किस्सा साझा किया. अमिताभ ने बताया कि वो क्रिकेट खेलना चाहते थे. अपने स्कूल में क्रिकेट टीम का हिस्सा बनना चाहते थे और इसके लिए उन्हें उस वक्त दो रुपये की जरूरत थी, जब उन्होंने इस बारे में अपनी मां को बताया था तो मां ने कहा था कि उनके पास स्कूल क्रिकेट टीम में उन्हें भेजने के पैसे नहीं हैं. इस कारण वह क्रिकेट नहीं खेल पाए. अमिताभ कहते हैं कि इस किस्से के कारण उन्हें आज भी दो रुपये की अहमियत का अंदाजा है. तो यह थे अमिताभ के जीवन और उनके संघर्ष से जुड़े कुछ अनसुने किस्से. अमिताभ अपने एक ट्विट में लिखते हैं, ' जीवन का कड़वा सच, संघर्ष के समय कोई नजदीक नहीं आता और सफलता के बाद किसी को आमंत्रित नहीं करना पड़ता. अमिताभ के यही शब्द आज हमारे लिए सीख हैं कि चाहे मुश्किल के वक्त आपके साथ कोई हो न हो, लेकिन आपका विश्वास आपके साथ होना चाहिए, पूरी लगन के साथ मेहनत करें और संघर्ष से बिल्कुल ना डरें. सफलता आपका इंतजार कर रही है.