कृषि कानूनों पर बोले सीपीएम सांसद, अब किसानों के सामने सिर्फ 'करो या मरो' का विकल्प - किसान संगठन अपनी मांगों के साथ समझौता नहीं करने जा रहे
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भारत सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच शुक्रवार को 11 वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही. राज्यसभा में सीपीएम सांसद केके रागेश ने ईटीवी भारत को एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि किसानों के सामने केवल 'करो या मरो' का विकल्प ही बचा है. रागेश ने कहा कि मैं जबसे विरोध शुरू हुआ है तब से मैं किसानों के साथ था. मैंने किसानों का गुस्सा देखा है. सभी किसान संगठन एक ही मांग पर एकजुट हैं कि इन तीन कानूनों को रद्द करने की आवश्यकता है. किसान संगठन अपनी मांगों के साथ समझौता नहीं करने जा रहे हैं. केरल के सांसद रागेश को सात अन्य सांसदों के साथ संसद के पिछले सत्र से निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने तीन कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के साथ सरकार केवल कॉर्पोरेट्स और बड़े व्यापारिक घरानों के लिए एकाधिकार वाला बाजार प्रदान करने का इरादा रखती है. उन्होंने सवाल किया कि सरकार बताए कि सरकार बताए कि इन कानूनों के संबंध में किन किसान संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया गया ?