नौकरी से बर्खास्त होने के बाद नहीं खोयी हिम्मत, बनी दूसरों के लिए प्रेरणा - importance to art
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त्रिपुरा के अगरतला में रहने वाली तीस साल की गौरी सरकार देब एक दिन के लिए भी स्कूल से छुट्टी नहीं लेती. गौरी एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. गौरी को अपनी कला से कुछ इस कदर लगाव है कि वह स्कूल और अपने घर के सभी कामों को पूरा कर अपने लिए बचे समय में मूर्ति निर्माण का काम करती हैं. पहले वह सिर्फ शौक के तौर पर मूर्ती बनाती थी, लेकिन धीरे-धीरे वह इसके लिए पूरी तरह से समर्पित हो गईं. गौरी ने गर्व के साथ स्वीकार किया कि वह उन 10,323 शिक्षकों में शामिल हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी खो दी थी. कोर्ट के आदेश के बाद जहां बर्खास्त शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे, ऐसे में गौरी ने आंदोलन के बजाय अपनी कला को महत्व देना ज्यादा जरूरी समझा.