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कोरोना तीसरी लहर से निपटने के लिए किन चीजों पर देना होगा ध्यान ? जाने एक्सपर्ट की राय

कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरे देश में अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन तीसरी लहर की चचार्ओं का बाजार गर्म है। तीसरी लहर कब आएगी इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। लेकिन किस तरह की तैयारी होनी चाहिए इस पर गौर जरूर किया जा सकता है।

expert third wave, तीसरी लहर , बच्चों में गंभीर बीमारी
कोरोना तीसरी लहर
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Published : Jun 4, 2021, 12:12 PM IST

Updated : Jun 4, 2021, 12:22 PM IST

डॉक्टरों के अनुसार इस लहर से निपटने के लिए मैन पावर एक बड़ा अहम रोल अदा कर सकता है। कोरोना महामारी की जिस वक्त शुरूआत हुई तो सबके के लिए एक अनोखा अनुभव था। कोरोना बीमारी की पहली लहर में मास्क सेनिटाइजर आदि की किल्लत देखने को मिली। वहीं दूसरी लहर में ऑक्सिजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड की भारी किल्लत हुई जिसके कारण कई लोगों को जान गवानी पड़ी।

लेकिन सवाल उठता है कि तीसरी लहर में ऐसा क्या किया जाए जिससे लोगों की जान बचाई जा सके ? या जिस तरह से दूसरी लहर में हालात गंभीर हुई, उस तरह के हालात फिर पैदा न हो।

जोधपुर एम्स के प्रोफेसर और हेड डॉ अमित गोयल ने आईएएनएस को बताया कि, तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की बात कही जा रही है, लेकिन बच्चों में इतनी गंभीर बीमारी नहीं होती है। दूसरी लहर में भी बच्चों में गंभीर बीमारी नहीं थी।

क्या अस्पतालों में मैन पावर को बढ़ाना चाहिए ? इस सवाल के जवाब में अमित गोयल कहते है, बेहद जरूरी है की अस्पतालों में मैन पावर बढ़ाई जाए। हमें पता है कि स्वास्थ्य कर्मी किन हालातों में काम कर रहें हैं। जिस तरह गांव में बीमारी पहुंची है उधर पहले से ही प्रयाप्त परीक्षण देकर जो स्वास्थ्य कर्मी है उन्हें बताना चाहिए। कब अस्पतालों में रेफर करना है मरीज को किस तरह से इलाज करना है।

ब्लैक फंगस के मामलों को देखते हुए मौजूदा वक्त में लगता है कि आम नागरिकों के अलावा हेल्थ वर्कर्स को भी सिखाना होगा कि इलाज का जो प्रोटोकॉल है, उसे देख कर ही इलाज करें।

कोरोना से निपटने की बेहतर तैयारी करके तीसरी लहर में मौतों को कम किया जा सकता है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर, दूसरी लहर की तरह की बेहद खतरनाक होगी। इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि तीसरी लहर 98 दिन तक चल सकती है।

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, सरकार को तुरंत छोटे -बड़े अस्पतालों में आईसीयू बेड बढाने चाहिए। सिर्फ बड़े अस्पताल में ही तैयारियां न कि जाएं, बल्कि छोटे अस्पतालों को अपने स्तर की तैयारी करनी होगी। वहीं इन अस्पतालों में कोविड इलाज की तैयारी करानी होगी।

यदि तीसरी लहर आए तो हम अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों को पाने यहां काम करा सकें। इस तरह की कोविड इलाज की ट्रेनिंग स्वास्थ्य कर्मियों को देनी होगी। आईसीयू बेड चालने की ट्रेनिंग देनी होगी। उन्होंने कहा, जिस तरह फायर सेफ्टी की ट्रेनिंग कराई जाती है उसी तर्ज पर अस्पताल में डॉक्टर, नर्स सुरक्षा कर्मी इन सभी लोगो को कोविड की ट्रेनिंग करानी चाहिए। इससे लहर से निपटने से आसानी होगी। हर व्यक्ति का इस्तेमाल होना चाहिए

ट्रेंड मैन पावर होना बहुत जरूरी होता है। डेंटिस्ट डॉकटरों की भी ट्रेनिंग कराई जाए, साथ ही एमबीबीएस के पढ़ाई करने वाले छात्रों की भी ट्रेनिंग करानी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें ड्यूटी पर लगाया जा सके।

देशभर में तीसरी लहर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर तैयारी कर रहीं हैं। दिल्ली सरकार के अनुसार, सरकार ने पहले ही तैयारियों को तेज कर दिया है। सरकार ने 13 लोगों की एक टीम बनाई है जो एक्शन प्लान तैयार करेगी और जो भी स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतें होंगी जिसे की बेड, ऑक्सिजन ड्रग्स आदि इनपर काम किया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने 8 सदस्यों की एक कमिटी और बनाई है जो तीसरी लहर पर अलग से काम करेगी।

पढ़ें: कोरोना संक्रमण के दौरान तथा उससे ठीक होने के उपरांत कैसा हो मरीज का भोजन

दिल्ली के अरदेंत गणपति अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अंकित ओम ने आईएएनएस को बताया, सबसे पहले डॉक्टर और मैन पावर की कमी पड़ेगी, डॉकटर चाहे जैसे भी काम कर लें लेकिन उन्हें नेगेटिव इम्पेक्ट से बचाना होगा। दूसरी लहर के दौरान स्टाफ, नर्स मैन पावर टूट गई थी। 30 फीसदी लोग 70 फीसदी लोगों का इलाज नहीं कर सकते।

हमें तीसरी लहर में अपनी कैपेसिटी से बढ़कर काम करना होगा। हमें बच्चों के इलाज के लिए इक्विपमेंट चाहिए होंगे। बच्चों के इक्विपमेंट इतने उपलब्ध नहीं हैं। वहीं वेंटिलेटर चलाने वाले टेक्नीशियन की कमी होगी। क्योंकि बच्चों की सेटिंग्स अलग होती हैं।

मैनपावर, इक्विपमेंट चाहिए होंगे और ऑक्सिजन एक अहम रोल अदा करेगा। वहीं बच्चों का होम आइसोलेशन किसी तरह से नहीं कराया जा सकता। क्योंकि बच्चे बता नहीं पाएंगे उन्हें क्या हो रहा है। बच्चों में लक्षण आते हैं और अस्पतालों के पास बच्चों के इलाज के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं है। जिन्हें करना बेहद जरूरी है।

कोरोना की तीसरी लहर आएगी ये बोलना फिलहाल गलत होगा। जब जब लॉकडाउन खोला जाएगा मरीज बढ़ेंगे। वहीं इकोनॉमी को बचाने के लिए लॉकडाउन खोले जाएंगे। कई डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। लेकिन फिलहाल जल्द से जल्द कोरोना महामारी की तीसरी लहर की तैयारी करनी चाहिए क्योंकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि ये वायरस भविष्य में किस तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।

-- आईएएनएस

डॉक्टरों के अनुसार इस लहर से निपटने के लिए मैन पावर एक बड़ा अहम रोल अदा कर सकता है। कोरोना महामारी की जिस वक्त शुरूआत हुई तो सबके के लिए एक अनोखा अनुभव था। कोरोना बीमारी की पहली लहर में मास्क सेनिटाइजर आदि की किल्लत देखने को मिली। वहीं दूसरी लहर में ऑक्सिजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड की भारी किल्लत हुई जिसके कारण कई लोगों को जान गवानी पड़ी।

लेकिन सवाल उठता है कि तीसरी लहर में ऐसा क्या किया जाए जिससे लोगों की जान बचाई जा सके ? या जिस तरह से दूसरी लहर में हालात गंभीर हुई, उस तरह के हालात फिर पैदा न हो।

जोधपुर एम्स के प्रोफेसर और हेड डॉ अमित गोयल ने आईएएनएस को बताया कि, तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की बात कही जा रही है, लेकिन बच्चों में इतनी गंभीर बीमारी नहीं होती है। दूसरी लहर में भी बच्चों में गंभीर बीमारी नहीं थी।

क्या अस्पतालों में मैन पावर को बढ़ाना चाहिए ? इस सवाल के जवाब में अमित गोयल कहते है, बेहद जरूरी है की अस्पतालों में मैन पावर बढ़ाई जाए। हमें पता है कि स्वास्थ्य कर्मी किन हालातों में काम कर रहें हैं। जिस तरह गांव में बीमारी पहुंची है उधर पहले से ही प्रयाप्त परीक्षण देकर जो स्वास्थ्य कर्मी है उन्हें बताना चाहिए। कब अस्पतालों में रेफर करना है मरीज को किस तरह से इलाज करना है।

ब्लैक फंगस के मामलों को देखते हुए मौजूदा वक्त में लगता है कि आम नागरिकों के अलावा हेल्थ वर्कर्स को भी सिखाना होगा कि इलाज का जो प्रोटोकॉल है, उसे देख कर ही इलाज करें।

कोरोना से निपटने की बेहतर तैयारी करके तीसरी लहर में मौतों को कम किया जा सकता है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर, दूसरी लहर की तरह की बेहद खतरनाक होगी। इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि तीसरी लहर 98 दिन तक चल सकती है।

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, सरकार को तुरंत छोटे -बड़े अस्पतालों में आईसीयू बेड बढाने चाहिए। सिर्फ बड़े अस्पताल में ही तैयारियां न कि जाएं, बल्कि छोटे अस्पतालों को अपने स्तर की तैयारी करनी होगी। वहीं इन अस्पतालों में कोविड इलाज की तैयारी करानी होगी।

यदि तीसरी लहर आए तो हम अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों को पाने यहां काम करा सकें। इस तरह की कोविड इलाज की ट्रेनिंग स्वास्थ्य कर्मियों को देनी होगी। आईसीयू बेड चालने की ट्रेनिंग देनी होगी। उन्होंने कहा, जिस तरह फायर सेफ्टी की ट्रेनिंग कराई जाती है उसी तर्ज पर अस्पताल में डॉक्टर, नर्स सुरक्षा कर्मी इन सभी लोगो को कोविड की ट्रेनिंग करानी चाहिए। इससे लहर से निपटने से आसानी होगी। हर व्यक्ति का इस्तेमाल होना चाहिए

ट्रेंड मैन पावर होना बहुत जरूरी होता है। डेंटिस्ट डॉकटरों की भी ट्रेनिंग कराई जाए, साथ ही एमबीबीएस के पढ़ाई करने वाले छात्रों की भी ट्रेनिंग करानी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें ड्यूटी पर लगाया जा सके।

देशभर में तीसरी लहर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर तैयारी कर रहीं हैं। दिल्ली सरकार के अनुसार, सरकार ने पहले ही तैयारियों को तेज कर दिया है। सरकार ने 13 लोगों की एक टीम बनाई है जो एक्शन प्लान तैयार करेगी और जो भी स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतें होंगी जिसे की बेड, ऑक्सिजन ड्रग्स आदि इनपर काम किया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने 8 सदस्यों की एक कमिटी और बनाई है जो तीसरी लहर पर अलग से काम करेगी।

पढ़ें: कोरोना संक्रमण के दौरान तथा उससे ठीक होने के उपरांत कैसा हो मरीज का भोजन

दिल्ली के अरदेंत गणपति अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अंकित ओम ने आईएएनएस को बताया, सबसे पहले डॉक्टर और मैन पावर की कमी पड़ेगी, डॉकटर चाहे जैसे भी काम कर लें लेकिन उन्हें नेगेटिव इम्पेक्ट से बचाना होगा। दूसरी लहर के दौरान स्टाफ, नर्स मैन पावर टूट गई थी। 30 फीसदी लोग 70 फीसदी लोगों का इलाज नहीं कर सकते।

हमें तीसरी लहर में अपनी कैपेसिटी से बढ़कर काम करना होगा। हमें बच्चों के इलाज के लिए इक्विपमेंट चाहिए होंगे। बच्चों के इक्विपमेंट इतने उपलब्ध नहीं हैं। वहीं वेंटिलेटर चलाने वाले टेक्नीशियन की कमी होगी। क्योंकि बच्चों की सेटिंग्स अलग होती हैं।

मैनपावर, इक्विपमेंट चाहिए होंगे और ऑक्सिजन एक अहम रोल अदा करेगा। वहीं बच्चों का होम आइसोलेशन किसी तरह से नहीं कराया जा सकता। क्योंकि बच्चे बता नहीं पाएंगे उन्हें क्या हो रहा है। बच्चों में लक्षण आते हैं और अस्पतालों के पास बच्चों के इलाज के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं है। जिन्हें करना बेहद जरूरी है।

कोरोना की तीसरी लहर आएगी ये बोलना फिलहाल गलत होगा। जब जब लॉकडाउन खोला जाएगा मरीज बढ़ेंगे। वहीं इकोनॉमी को बचाने के लिए लॉकडाउन खोले जाएंगे। कई डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। लेकिन फिलहाल जल्द से जल्द कोरोना महामारी की तीसरी लहर की तैयारी करनी चाहिए क्योंकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि ये वायरस भविष्य में किस तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।

-- आईएएनएस

Last Updated : Jun 4, 2021, 12:22 PM IST
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