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विश्व सिकल सेल दिवस - Symptoms of sickle cell

सिकल सेल विकार विरासत में मिलने वाली बीमारी है. इस बीमारी में पीड़ित की लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार की हो जाती है. जिससे पीड़ित मरीज का शारीर कमजोर हो जाता है. इस बीमारी को खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन सही समय पर इलाज करने से इससे काफी हद तक बचा जा सकता है.

world sickle cell day
विश्व सिकल सेल दिवस
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Published : Jun 19, 2020, 4:43 PM IST

हर साल 19 जून को सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार की हो जाती है. लोगों में सिकल सेल को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2008 में इसकी शुरूआत की थी. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि हर साल लगभग 3 लाख शिशु मुख्य रूप से हीमोग्लोबिन के विकार (डिसॉर्डर) के साथ पैदा होते है. वहीं लगभग 100 मिलियन लोग सिकल सेल रोग से प्रभावित होते हैं.

सिकल सेल रोग एक विरासत में मिलने वाला रक्त विकार है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है. सिकल सेल सोसाइटी बताती है कि इस विकार के कारण सामान्य रूप से गोल और लचीली रक्त कोशिकाएं, कठोर और हंसिया आकार की हो जाती हैं. यह रक्त कोशिकाओं को रोकती हैं और उसकी ऑक्सीजन ले जाती है. यह शरीर के चारों ओर स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम होती है और दर्द का कारण बनती है. इस दर्द को सिकल सेल संकट के नाम से जाना जाता है. दर्द को नियंत्रित करने के लिए दर्द निवारक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है.

स्वास्थ पर इसका प्रभाव

इस विकार से ग्रसित मरीज और कई बीमारियों से भी घिरा रहता है. सिकल सेल सोसाइटी का कहना है कि इस बीमारी के मरीजों को स्ट्रोक, तीव्र चेस्ट सिंड्रोम, अंधापन, हड्डियों की क्षति और प्रतापवाद की जटिलताओं का खतरा होता है. समय के साथ इस बीमारी से पीड़ित मरीज के लीवर, किडनी, फेफड़े, हृदय और स्प्लीन जैसे अंगों को नुकसान हो सकता हैं. विकार की जटिलताओं से पीड़ित की मौत भी हो सकती है.

सिकल सेल विकार के लक्षण

  • क्रोनिक एनीमिया
  • अप्रत्याशित दर्द (संकट)
  • हाथ और पैरों में सूजन
  • जल्दी और अत्यधिक थकान होना
  • कमजोरी लगना
  • पीलिया
  • नजरों की समस्या
  • बार-बार संक्रमण होना
  • विकास या यौवन देर से आना

आपको बता दें कि यह बीमारी वंशानुगत है और संक्रामक नहीं, यानी संपर्क में आने से नहीं विरासत में मिलने वाली बीमारी है. शादी से पहले लड़का- लड़की थैलेसिमिया और सिकल सेल की जांच करा कर शिशुओं में इसबीमारी को जाने से रोक सकते है. इसका नाम खेती उपकरण हंसिया के नाम पर रखा गया है, क्योंकि कोशिकाएं सी-आकार के उपकरण की तरह दिखती हैं.

इस बीमारी को आने वाली पीढ़ी में जाने से रोका जा सकता है या इसके लक्षणों का इलाज इनके माध्यम से किया जा सकता है:

  • एंटीबायोटिक्स
  • रक्त का संचार करा कर
  • दर्द निवारक दवाइयां
  • टीकाकरण
  • नसों में तरल पदार्थ से पानी की कमी को दूर करना

इस बीमारी से लड़ना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन कम उम्र में इसकी पहचान हो जाने पर इससे होने वाली और स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है. मेडिकल ही नहीं इसका इलाज घर पर भी किया जा सकता है, जैसे कि खान-पान में फलों को शामिल करें, शरीर में पानी की कमी न होने दे, सब्जियां और गेहूं से बने भोजन का सेवन करें, कसरत करें आदि.

जानकार सलाह देते है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज को सिकल सेल के रिस्क को समझने के लिए गर्भ धारण करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. साथ ही, इस कोरोना महामारी के बीच, सभी रोगियों को उचित देखभाल और परिरक्षण के उपाय करने की सलाह दी जाती है.

हर साल 19 जून को सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार की हो जाती है. लोगों में सिकल सेल को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2008 में इसकी शुरूआत की थी. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि हर साल लगभग 3 लाख शिशु मुख्य रूप से हीमोग्लोबिन के विकार (डिसॉर्डर) के साथ पैदा होते है. वहीं लगभग 100 मिलियन लोग सिकल सेल रोग से प्रभावित होते हैं.

सिकल सेल रोग एक विरासत में मिलने वाला रक्त विकार है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है. सिकल सेल सोसाइटी बताती है कि इस विकार के कारण सामान्य रूप से गोल और लचीली रक्त कोशिकाएं, कठोर और हंसिया आकार की हो जाती हैं. यह रक्त कोशिकाओं को रोकती हैं और उसकी ऑक्सीजन ले जाती है. यह शरीर के चारों ओर स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम होती है और दर्द का कारण बनती है. इस दर्द को सिकल सेल संकट के नाम से जाना जाता है. दर्द को नियंत्रित करने के लिए दर्द निवारक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है.

स्वास्थ पर इसका प्रभाव

इस विकार से ग्रसित मरीज और कई बीमारियों से भी घिरा रहता है. सिकल सेल सोसाइटी का कहना है कि इस बीमारी के मरीजों को स्ट्रोक, तीव्र चेस्ट सिंड्रोम, अंधापन, हड्डियों की क्षति और प्रतापवाद की जटिलताओं का खतरा होता है. समय के साथ इस बीमारी से पीड़ित मरीज के लीवर, किडनी, फेफड़े, हृदय और स्प्लीन जैसे अंगों को नुकसान हो सकता हैं. विकार की जटिलताओं से पीड़ित की मौत भी हो सकती है.

सिकल सेल विकार के लक्षण

  • क्रोनिक एनीमिया
  • अप्रत्याशित दर्द (संकट)
  • हाथ और पैरों में सूजन
  • जल्दी और अत्यधिक थकान होना
  • कमजोरी लगना
  • पीलिया
  • नजरों की समस्या
  • बार-बार संक्रमण होना
  • विकास या यौवन देर से आना

आपको बता दें कि यह बीमारी वंशानुगत है और संक्रामक नहीं, यानी संपर्क में आने से नहीं विरासत में मिलने वाली बीमारी है. शादी से पहले लड़का- लड़की थैलेसिमिया और सिकल सेल की जांच करा कर शिशुओं में इसबीमारी को जाने से रोक सकते है. इसका नाम खेती उपकरण हंसिया के नाम पर रखा गया है, क्योंकि कोशिकाएं सी-आकार के उपकरण की तरह दिखती हैं.

इस बीमारी को आने वाली पीढ़ी में जाने से रोका जा सकता है या इसके लक्षणों का इलाज इनके माध्यम से किया जा सकता है:

  • एंटीबायोटिक्स
  • रक्त का संचार करा कर
  • दर्द निवारक दवाइयां
  • टीकाकरण
  • नसों में तरल पदार्थ से पानी की कमी को दूर करना

इस बीमारी से लड़ना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन कम उम्र में इसकी पहचान हो जाने पर इससे होने वाली और स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है. मेडिकल ही नहीं इसका इलाज घर पर भी किया जा सकता है, जैसे कि खान-पान में फलों को शामिल करें, शरीर में पानी की कमी न होने दे, सब्जियां और गेहूं से बने भोजन का सेवन करें, कसरत करें आदि.

जानकार सलाह देते है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीज को सिकल सेल के रिस्क को समझने के लिए गर्भ धारण करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. साथ ही, इस कोरोना महामारी के बीच, सभी रोगियों को उचित देखभाल और परिरक्षण के उपाय करने की सलाह दी जाती है.

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