20 अगस्त 1987 को डॉ. रोनाल्ड रॉस ने इस बात की खोज की थी कि मादा एनॉफिलीज मच्छर मलेरिया रोग के संवाहक यानी जिम्मेदार होते हैं। इस खोज ने मच्छरों से होने वाले रोगों के उपचार में क्रांति ला दी थी। डॉ. रॉस के इसी योगदान को सम्मान देने के लिये लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने 1930 में प्रतिवर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाने की घोषणा की थी। गौरतलब है की डॉ. रोनाल्ड रॉस की इस खोज के बाद दुनिया भर में व्रहद स्तर पर मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए अभियान चलाए गए थे तथा उनकी इस खोज के लिये उन्हे 1902 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।
प्रतिवर्ष हजारो लोगों की जान लेते हैं मच्छर जनित लोग
आँकड़े बताते हैं की हमारे देश में ही हर साल 40 से 50 हजार लोगों की मौत मच्छरों के काटने से होने वाले रोगों के कारण हो जाती है, और तक़रीबन 10 लाख लोग इन बीमारियों का शिकार बन जाते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के आंकड़ों के अनुसार 2010 में 46,800 लोगों को मलेरिया के चलते जान गवानी पड़ी थी।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की मलेरिया रिपोर्ट-2017 के अनुसार दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों में से मलेरिया के सबसे ज्यादा (87 फीसदी ) मामले भारत में संज्ञान में आए थे । वहीं, 2019 के आंकड़ों की माने तो उस वर्ष डेंगू से करीब 1.35 लाख मामले संज्ञान में आए थे जिनमे से 132 लोगों की मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि हुई थी।
कई प्रकार के होते हैं मच्छर
नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार मच्छर कई प्रकार के होते हैं, जो कि अलग-अलग रोगों के संवाहक हो सकते हैं। आमतौर पर एडीज, एनोफेल्स और क्यूलेक्स मच्छर को रोगों के लियए जिम्मेदार माना जाता है। इन मच्छरों से फैलने वाले रोग इस प्रकार हैं:
- एडीज: चिकनगुनिया, डेंगू बुख़ार, लिम्फेटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार, पीला बुखार (पीत ज्वर), ज़ीका।
- एनोफेलीज़: मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया (अफ्रीका में)।
- क्यूलेक्स: जापानी इन्सेफेलाइटिस, लिम्फेटिक फाइलेरिया, वेस्ट नाइल फ़ीवर।
कैसे बचे मच्छरों से फैले वाले संक्रमण से
हैदराबाद के वीएनएन अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. राजेश वुक्काला बताते हैं की निम्न सावधानियों को बरत कर मच्छरों से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
- मच्छरों द्वारा नए अंडे देने को रोकने के लिए घर में पानी के सभी कंटेनरों को ढककर रखें।
- पानी के टैंक, कंटेनर, कूलर, पक्षियों और पालतू जानवरों के पानी पीने के बर्तनों को हर सप्ताह कम से कम एक बार अवश्य खाली करें और सुखाएं।
- बेकार या बिना उपयोग की वस्तुएं खुले स्थान से हटाएं।
- नालियों और छतों की सफाई रखें और ध्यान दें की कहीं पानी तो इकट्ठा नहीं हो रहा है।
- बैक्टीरिया, बेसिलस थुरिनजेनेसिस (बीटी एच -14) का उपयोग निर्देशों के अनुसार स्थिर पानी में जैविक कीटनाशी (लार्वीसाइड) के रूप में करें।
- जिन क्षेत्रों में डेंगू, चिकनगुनिया और/या ज़ीका वायरस संक्रमण के मामलों का पता लगता है, उन क्षेत्रों में वयस्क मच्छरों को नियंत्रण के लिए पाइरेथ्रम स्प्रे या मैलाथियन फॉगिंग या अल्ट्रा-लो वॉल्यूम (यूएलवी) स्प्रे का उपयोग करने की सिफ़ारिश की जाती है।
- मलेरिया नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का इंडोर रेसिड्यूअल स्प्रे भी उपयोग में लाया जा सकता है।
- कीट दूर भागने वाले उत्पादों का उपयोग करें।
- सुबह शाम के समय घर से बाहर निकलने पर ऐसे कपड़ों को प्राथमिकता दें जिनसे हाथ और पाँव पूरी तरह ढके हुए हों।
- खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं। या सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
भ्रमित कर सकती हैं कोरोना व डेंगू, मलेरिया के लक्षणों में समानता
दुनिया भर के चिकित्सकों के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस बात की पुष्टि करता है की कोरोना संक्रमण मनुष्यों में मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है। लेकिन कोविड-19 और डेंगू, मलेरिया के लक्षणों में समानता, रोग की जांच में समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। दरअसल मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी के लक्षण भी कोरोना संक्रमण से मिलते-जुलते हैं| जैसे कोरोना के अतिरिक्त डेंगू व मलेरिया में भी पीड़ित को सिर व शरीर में दर्द होता है और तेज बुखार आता है। ऐसे में बहुत जरूरी है की किसी भी प्रकार का कोई भी लक्षण हो, तो तत्काल चिकित्सक से सलाह और जांच जरूरी है।
पढ़ें: कीटनाशकों से नहीं बल्कि पौधों से भगायें मच्छरों को दूर