ETV Bharat / sukhibhava

सही नहीं है कैंसर से जुड़े सभी भ्रम : विश्व कैंसर दिवस

कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 4 फरवरी को 'विश्व कैंसर दिवस' मनाया जाता है. इस दिवस को मनाए जाने का एक उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को कैंसर जैसे रोग से लड़ने के लिए एक साथ मिलकर प्रयास करने के लिए प्रेरित करना भी है.

World Cancer Day
विश्व कैंसर दिवस
author img

By

Published : Feb 4, 2021, 11:07 AM IST

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेनशन (सीडीसी) के अनुसार कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसमें हमारे शरीर के संक्रमित तन्तु अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते है तथा दूसरे तंतुओं को भी प्रभावित करने लगते है. दरअसल कैंसर सेल सिर्फ एक स्थान पर ही एकत्रित नहीं रहते है, बल्कि ये विभाजित होकर रक्त तथा लासीका तंत्र के जरिए दूसरे अंगों को भी संक्रमित करना शुरू कर देते है.

यू तो कैंसर जैसे रोग की गंभीरता से सभी लोग वाकिफ है, लेकिन इस रोग के लक्षणों तथा उससे जुड़ी अन्य जानकारियों को लेकर अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है, जिसके चलते कैंसर को लेकर लोगों में कई भ्रम भी है. विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर हम आपके साथ सांझा कर रहे है कैंसर से जुड़े भ्रम तथा उनकी सच्चाई.

दुनिया की दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी

समय के साथ-साथ कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण फिलहाल कैंसर दुनिया की दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी है. जिसके कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग काल के ग्रास में समा जाते है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में कैंसर के कारण लगभग 9.6 मिलियन लोगों ने अपनी जान गवाई थी. डब्ल्यूएचओ की माने तो किसी भी रोग के कारण होने वाली मृत्यु में 6 में से 1 कैंसर के कारण होती है. विश्व भर में कैंसर के सबसे प्रचलित प्रकार तथा उनके पजीकृत मामलों की संख्या इस प्रकार है;

  1. फेफड़ों का कैंसर (लगभग 2.09 मिलियन)
  2. स्तन कैंसर (लगभग 2.09 मिलियन)
  3. बड़ी आंत का कैंसर (लगभग 1.80 मिलियन)
  4. प्रोस्टेट कैंसर (लगभग 1.28 मिलियन)
  5. त्वचा का कैंसर (मेलानीम रहित) (लगभग 1.04 मिलियन)
  6. पेट का कैंसर (लगभग 1.03 मिलियन)

कैंसर को लेकर समाज में व्याप्त भ्रम तथा उनकी सच्चाई

⦁ कैंसर फैलने वाला संक्रमण है

आमतौर पर कैंसर रोग एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला नहीं होता है. लेकिन यदि यह रोग किसी ऐसे जीवाणु के कारण हो जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता हो, तो कैंसर संक्रमण की भांति फैल सकता है. इंडियन जनरल मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) के अनुसार ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से फैलने वाले सर्विकल कैंसर तथा हेपेटाइटिस बी तथा सी वायरस से होने वाले लीवर कैंसर के अलावा किसी भी प्रकार का कैंसर फैलने वाला नहीं होता है. इन दोनों प्रकार के कैंसर में भी संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किया गया इंजेक्शन लगाने, तथा संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से ही संक्रमण फैलने की आशंका होती है.

⦁ कैंसर हमेशा जानलेवा होता है

यह पूरी तरह से सच नहीं है. चिकित्सा जगत में काफी प्रगति हुई है, जिसके चलते कैंसर जैसे रोग से बचाव के लिए भी उपचार संभव है. कैंसर की बहुत सी विधाये है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करती है. इनमें से कुछ जटिल भी है, जिनका इलाज आसान नहीं है. लेकिन आमतौर पर कैंसर की पहचान सही समय पर हो जाने पर उसे बढ़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है. सही समय पर पता चलने तथा सही इलाज की मदद से कैंसर की अधिकांश विधाओं का उपचार संभव है. लेकिन कैंसर के उपचार में यह बात भी काफी महत्वपूर्ण है की यह किस गति से फैल रहा है तथा शरीर के किस हिस्से को ज्यादा प्रभावित कर रहा है.

⦁ प्रतिस्वेदक यानी एंटीपरस्पिरेंट तथा डियोड्रेंट के कारण स्तन कैंसर होता है

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार अब तक किसी भी शोध में अभी तक यह बात सामने नहीं आई है. एंटीपरस्पिरेंट तथा डियोड्रेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के इस्तेमाल से स्तन कैंसर हो सकता है.

⦁ केवल धूम्रपान करने वाले लोगों को लंग कैंसर होता है

यकीनन धूम्रपान करने वाले लोगों में फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन धूम्रपान ना करने वाले लोगों को भी यह रोग हो सकता है. आईजेएमआर के अनुसार अभ्रक, रेडॉन, यूरेनियम तथा आर्सिनिक के संपर्क में आने या आनुवंशिक प्रवत्तियों, तथा फेफड़ों के किसी पुराने रोग के कारण भी लंग यानी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.

⦁ चीनी के सेवन से कैंसर बिगड़ता है

यह सिर्फ भ्रम है, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार कई शोध के नतीजे बताते है, कैंसर सेल सामान्य सेल के मुकाबले ज्यादा शर्करा सोखते हैं. लेकिन किसी भी शोध के नतीजों ये नहीं बताते है की ज्यादा मीठा खाने से कैंसर बढ़ता है या फिर कम मीठा खाने से कैंसर कम फैलता है. हालांकि भोजन में ज्यादा शक्कर मोटापा तथा वजन जरूर बढ़ाती है, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर में ठीक होने की गति तथा उपचार के असर को प्रभावित करता है.

⦁ पुरुषों को स्तन कैंसर नहीं होता है

यह भी एक भ्रम ही है. चूंकि पुरुषों में भी स्तन होते है, इसलिए उनमें भी स्तन कैंसर होने की आशंका रहती है. लेकिन यह भी सत्य है की महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले काफी कम होते है.

⦁ सकारात्मक सोच से कैंसर ठीक हो सकता है

कैंसर के इलाज के दौरान सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है. हालांकि यह रोग को ठीक नहीं कर सकती है, लेकिन उपचार के दौरान मन को शांत तथा साहस बनाए रखने में मदद करती है. लेकिन कैंसर से ठीक होने के लिए उपचार तथा थेरेपी बहुत जरूरी है.

⦁ कैंसर के दौरान लगातार जी मिचलाना, दर्द तथा उल्टी होती है

आईजेएमआर के अनुसार कैंसर के उपचार का हर रोगी के शरीर पर अलग असर हो सकता है. साथ ही उपचार के दौरान लोगों को अलग-अलग परेशानियां भी हो सकती है. हालांकि कैंसर का उपचार सरल नहीं है,लेकिन इस क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की की है. जिससे उपचार के दौरान होने वाली जी मिचलाने या उबकाई जैसी अवस्थाओं से काफी हद तक बचा जा सकता है. वहीं दर्द निरोधक दवाइयों की मदद से उपचार के दौरान रोगियों की स्थिति भी पहले के मुकाबले काफी बेहतर रहती है.

हमारे समाज में कैंसर तथा कैंसर रोगियों को लेकर बहुत से भ्रम व्याप्त है, लेकिन इन भ्रामक बातों का लोगों की सोच पर गलत असर ना पड़े तथा उनमें इस रोग को लेकर ज्यादा डर ना बढ़े, इसके लिए जरूरी है की कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता हो. जिसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेनशन (सीडीसी) के अनुसार कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसमें हमारे शरीर के संक्रमित तन्तु अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते है तथा दूसरे तंतुओं को भी प्रभावित करने लगते है. दरअसल कैंसर सेल सिर्फ एक स्थान पर ही एकत्रित नहीं रहते है, बल्कि ये विभाजित होकर रक्त तथा लासीका तंत्र के जरिए दूसरे अंगों को भी संक्रमित करना शुरू कर देते है.

यू तो कैंसर जैसे रोग की गंभीरता से सभी लोग वाकिफ है, लेकिन इस रोग के लक्षणों तथा उससे जुड़ी अन्य जानकारियों को लेकर अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है, जिसके चलते कैंसर को लेकर लोगों में कई भ्रम भी है. विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर हम आपके साथ सांझा कर रहे है कैंसर से जुड़े भ्रम तथा उनकी सच्चाई.

दुनिया की दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी

समय के साथ-साथ कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण फिलहाल कैंसर दुनिया की दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी है. जिसके कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग काल के ग्रास में समा जाते है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में कैंसर के कारण लगभग 9.6 मिलियन लोगों ने अपनी जान गवाई थी. डब्ल्यूएचओ की माने तो किसी भी रोग के कारण होने वाली मृत्यु में 6 में से 1 कैंसर के कारण होती है. विश्व भर में कैंसर के सबसे प्रचलित प्रकार तथा उनके पजीकृत मामलों की संख्या इस प्रकार है;

  1. फेफड़ों का कैंसर (लगभग 2.09 मिलियन)
  2. स्तन कैंसर (लगभग 2.09 मिलियन)
  3. बड़ी आंत का कैंसर (लगभग 1.80 मिलियन)
  4. प्रोस्टेट कैंसर (लगभग 1.28 मिलियन)
  5. त्वचा का कैंसर (मेलानीम रहित) (लगभग 1.04 मिलियन)
  6. पेट का कैंसर (लगभग 1.03 मिलियन)

कैंसर को लेकर समाज में व्याप्त भ्रम तथा उनकी सच्चाई

⦁ कैंसर फैलने वाला संक्रमण है

आमतौर पर कैंसर रोग एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला नहीं होता है. लेकिन यदि यह रोग किसी ऐसे जीवाणु के कारण हो जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता हो, तो कैंसर संक्रमण की भांति फैल सकता है. इंडियन जनरल मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) के अनुसार ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से फैलने वाले सर्विकल कैंसर तथा हेपेटाइटिस बी तथा सी वायरस से होने वाले लीवर कैंसर के अलावा किसी भी प्रकार का कैंसर फैलने वाला नहीं होता है. इन दोनों प्रकार के कैंसर में भी संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किया गया इंजेक्शन लगाने, तथा संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से ही संक्रमण फैलने की आशंका होती है.

⦁ कैंसर हमेशा जानलेवा होता है

यह पूरी तरह से सच नहीं है. चिकित्सा जगत में काफी प्रगति हुई है, जिसके चलते कैंसर जैसे रोग से बचाव के लिए भी उपचार संभव है. कैंसर की बहुत सी विधाये है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करती है. इनमें से कुछ जटिल भी है, जिनका इलाज आसान नहीं है. लेकिन आमतौर पर कैंसर की पहचान सही समय पर हो जाने पर उसे बढ़ने से काफी हद तक रोका जा सकता है. सही समय पर पता चलने तथा सही इलाज की मदद से कैंसर की अधिकांश विधाओं का उपचार संभव है. लेकिन कैंसर के उपचार में यह बात भी काफी महत्वपूर्ण है की यह किस गति से फैल रहा है तथा शरीर के किस हिस्से को ज्यादा प्रभावित कर रहा है.

⦁ प्रतिस्वेदक यानी एंटीपरस्पिरेंट तथा डियोड्रेंट के कारण स्तन कैंसर होता है

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार अब तक किसी भी शोध में अभी तक यह बात सामने नहीं आई है. एंटीपरस्पिरेंट तथा डियोड्रेंट में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के इस्तेमाल से स्तन कैंसर हो सकता है.

⦁ केवल धूम्रपान करने वाले लोगों को लंग कैंसर होता है

यकीनन धूम्रपान करने वाले लोगों में फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका ज्यादा होती है, लेकिन धूम्रपान ना करने वाले लोगों को भी यह रोग हो सकता है. आईजेएमआर के अनुसार अभ्रक, रेडॉन, यूरेनियम तथा आर्सिनिक के संपर्क में आने या आनुवंशिक प्रवत्तियों, तथा फेफड़ों के किसी पुराने रोग के कारण भी लंग यानी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.

⦁ चीनी के सेवन से कैंसर बिगड़ता है

यह सिर्फ भ्रम है, राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार कई शोध के नतीजे बताते है, कैंसर सेल सामान्य सेल के मुकाबले ज्यादा शर्करा सोखते हैं. लेकिन किसी भी शोध के नतीजों ये नहीं बताते है की ज्यादा मीठा खाने से कैंसर बढ़ता है या फिर कम मीठा खाने से कैंसर कम फैलता है. हालांकि भोजन में ज्यादा शक्कर मोटापा तथा वजन जरूर बढ़ाती है, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर में ठीक होने की गति तथा उपचार के असर को प्रभावित करता है.

⦁ पुरुषों को स्तन कैंसर नहीं होता है

यह भी एक भ्रम ही है. चूंकि पुरुषों में भी स्तन होते है, इसलिए उनमें भी स्तन कैंसर होने की आशंका रहती है. लेकिन यह भी सत्य है की महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में स्तन कैंसर के मामले काफी कम होते है.

⦁ सकारात्मक सोच से कैंसर ठीक हो सकता है

कैंसर के इलाज के दौरान सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है. हालांकि यह रोग को ठीक नहीं कर सकती है, लेकिन उपचार के दौरान मन को शांत तथा साहस बनाए रखने में मदद करती है. लेकिन कैंसर से ठीक होने के लिए उपचार तथा थेरेपी बहुत जरूरी है.

⦁ कैंसर के दौरान लगातार जी मिचलाना, दर्द तथा उल्टी होती है

आईजेएमआर के अनुसार कैंसर के उपचार का हर रोगी के शरीर पर अलग असर हो सकता है. साथ ही उपचार के दौरान लोगों को अलग-अलग परेशानियां भी हो सकती है. हालांकि कैंसर का उपचार सरल नहीं है,लेकिन इस क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की की है. जिससे उपचार के दौरान होने वाली जी मिचलाने या उबकाई जैसी अवस्थाओं से काफी हद तक बचा जा सकता है. वहीं दर्द निरोधक दवाइयों की मदद से उपचार के दौरान रोगियों की स्थिति भी पहले के मुकाबले काफी बेहतर रहती है.

हमारे समाज में कैंसर तथा कैंसर रोगियों को लेकर बहुत से भ्रम व्याप्त है, लेकिन इन भ्रामक बातों का लोगों की सोच पर गलत असर ना पड़े तथा उनमें इस रोग को लेकर ज्यादा डर ना बढ़े, इसके लिए जरूरी है की कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता हो. जिसके लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करना होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.