युवा पीढ़ी के यौनिक व प्रजनन स्वास्थ्य तथा उनसे जुड़ी बधाओं, मान्यताओं, समस्याओं, तथा कंडोम की भारतीय बाजार में मांग पर आधारित एक कंडोमॉलोजी शोध कराया गया जिसमें युवाओं के यौनिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर लोगों से जानकारियां ली गई। इस शोध का एक मुख्य उद्देश्य यह रहा कि भारतीय जनता विशेषकर युवाओं में कंडोम को लेकर कितनी जानकारी है । कंडोम इस्तेमाल को लेकर सामने आई इस रिपोर्ट के नतीजे काफी चिंतनीय हैं। रिपोर्ट उपभोक्ता मनोविज्ञान व कंडोम के प्रति दृष्टिकोण का विश्लेषण करने वाली कंडोमोलॉजी रिपोर्ट को कंडोम एलायंस तथा बाजार में मौजूद कंपनियों व कई समूहों की ओर से तैयार किया गया है।
हमारे देश की आधी आबादी युवाओं की है । जिनमें 65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। ऐसे में युवाओं की भलाई तथा उनके विकास के लिए सही कदम उठाना बहुत जरूरी है। इस कंडोमोलॉजी रिपोर्ट में युवाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं को जानने, समझने तथा उन्हे दूर करने करने के प्रयासों की ओर लोगों का आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में पूरी कोशिश की गई है की भारत में कंडोम के इस्तेमाल के बारे में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर किया जा सके ।
जानकारी का अभाव
बदलते समय के साथ समाज में सेक्सुअल हेल्थ तथा कंडोम जैसे मुद्दों को लेकर हालांकि लोगों ने खुलकर बात करना धीरे धीरे शुरू कर दिया है लेकिन बावजूद इसके आज भी युवा सामाजिक सोच तथा परिस्थिति के चलते सुरक्षित सेक्स तथा गर्भनिरोधक के सही उपयोग तथा उनकी जरूरत को लेकर जरूरी जानकारी नहीं रखते है । रिपोर्ट में बताए गए आंकड़े हिंदुस्तान में प्रजनन और सेक्सुअल हेल्थ समस्याओं को लेकर चिंताजनक स्थिति दर्शा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार अनियोजित गर्भधारण की संख्या, असुरक्षित गर्भपात और एसटीआई यानी यौन संक्रमित रोगों की संख्या में वृद्धि युवाओं के लिए सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक अहम बाधा के तौर पर सामने आ रही है, क्योंकि प्रजनन स्वास्थ्य तथा यौनिक स्वास्थ्य भी युवाओं के प्रगतिशील भविष्य में भागेदारी सुनिश्चित करने वाले अहम कारक है।
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चौंकाते हैं आँकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एनएफएचएस 4) के आंकड़ों और इस रिपोर्ट की माने तो 20 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के करीब 78 फीसदी पुरुषों ने , 24 वर्ष से कम उम्र वाले 50% लोग तथा 35 से कम उम्र वाले 65% पुरुषों ने पुरुषों ने अपने अंतिम यौन साथी के साथ संबंधों के दौरान गर्भनिरोधक का इस्तेमाल नहीं किया। रिपोर्ट से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो केवल 7% युवा महिलाएं तथा 27% युवा पुरुष विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। वही पॉपुलेशन काउंसिल द्वारा वर्ष 2011 में कराए गए एक शोध “कंडोम यूज़ बिफोर मैरिज एंड इट्स कोर इंडिया- एविडेंस फ्रॉम इंडिया” के अनुसार केवल 3% महिलाएं और 13% पुरुष विवाह पूर्व संबंधों के दौरान हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कंडोम का इस्तेमाल बेहद ही कम है। भारत में केवल 5.6 प्रतिशत लोग ही शारीरिक संबंधों के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। सबसे चिंता की बात है कि यूनाइटेड नेशंस की तरफ से जारी दुनिया के ज्यादा एचआईवीए एड्स पॉजिटिव मामलों वाले देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर हैं। यह वैश्विक डेटा भारतीय युवा वर्ग व पश्चिमी युवा वर्ग के बीच सेक्स व गर्भ निरोधकों के संबंध में सांस्कृतिक व सामाजिक अंतर को सामने रखता है।
वर्ष 2014-15 में एनएफएचएस-4 द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार तमाम सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों के बावजूद भारत के कंडोम बाजार में बीते कुछ सालों में सिर्फ 2 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर देखी गई है।
कंडोम एलायंस के सदस्य तथा एशिया, मिडल ईस्ट तथा साउथ अफ्रीका में एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप में रेककेट निदेशक रवि भटनागर बताते हैं कि इस शोध के दौरान इस अभियान में भाग ले रहे सभी लोगों को इस समस्या को दूर करने तथा लोगों के व्यवहार में परिवर्तन के लिए जरूरी मुद्दों को सबके समक्ष रखने की बात कही गई थी । सभी मुद्दों पर चर्चाओं के उपरांत हाल ही में युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है, जिसके तहत साथ ही कंडोम की खरीद बढ़ाने के लिए विभिन्न माध्यमों पर कंडोम के विज्ञापनों पर लगी रोग को हटाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
कंडोम एलायंस के सदस्य तथा टीटीके प्रोटेक्टिव डिवाइस लिमिटेड के वाईज प्रेजिडेंट ऑपरेशन श्री बालाजी के अनुसार यह रिपोर्ट के जरिया है युवाओं के सम्पूर्ण विकास में बाधा बनने वाले ऐसे मुद्दों की और लोगों का ध्यान आकर्षित करने का , जिन्हे लेकर लोग बात करने में भी सकुचाते हैं।
संवाद व संचार जरूरी है
रिपोर्ट के अनुसार भारत में गर्भ निरोधक के कम इस्तेमाल के पीछे एक कारण यह भी है की लोग कंडोम की जरूरत के बारें में जागरूक नहीं है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल करने का सही तरीका जानने व इसे खरीदने में भी लोग झिझक महसूस करते हैं। जिसे दूर किया जाना बहुत जरूरी है। इसलिए न सिर्फ युवाओं के लिए के गर्भनिरोधक के इस्तेमाल बल्कि इससे जुड़े और भी मुद्दों को लेकर स्वस्थ संवाद, तथा हर संभव तरीके से संचार की जरूरत है।
इस रिपोर्ट में वैश्विक पटल पर चिंतित करने वाले कुछ तथ्यों के बारें में भी जानकारी दी गई है जैसे वर्ष 1994 से लेकर 201 9 तक गैर सरकारी और सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद गर्भनिरोधक के लिए पुरुषों द्वारा कंडोम के इस्तेमाल पर निर्भर रहने वाली महिलाओं का आंकड़ा 64 मिलियन से 189 मिलियन तक पहुंच गया है।