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ध्यान ना देने पर गंभीर परिणाम दे सकती है ओक्युलर प्रूराइटस जैसी समस्या

आंखों की पलकों में खुजली होने एक आम समस्या है. ज्यादातर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते है और सामान्यतः ऐसा होने पर साफ पानी से आंखें धो लेते हैं. आंखों की पलकों में खुजली की समस्या के लिए ज्यादातर 'ओक्युलर प्रूराइटस' को जिम्मेदार माना जाता है, जोकि आxखों का एक आम रोग है, लेकिन चूंकि हमारी आंखे काफी संवेदनशील होती हैं इसलिए कई बार इस समस्या को लेकर अनदेखी करना आंखों के स्वास्थ्य पर भारी भी पड़ सकता है.

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ध्यान ना देने पर गंभीर परिणाम भी दे सकती है ओक्युलर प्रूराइटस जैसी आम समस्या
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Published : Apr 16, 2022, 7:30 PM IST

ओक्युलर प्रूराइटस वैसे तो हर उम्र के लोगों में नजर आ सकने वाली आम समस्या है. जिसके लिए आंखों पर प्रदूषण व धूल मिट्टी के प्रभाव, साफ सफाई के अभाव या किसी प्रकार के संक्रमण, एलर्जी, जीवनशैली जनित समस्याओं या रोग के प्रभावों सहित कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है. इस रोग में जब तक लक्षण ज्यादा गंभीर ना हो तो लोग इसे सिर्फ आंखों में खुजली समझकर इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नही देते हैं, लेकिन उनका ऐसा करना और इस रोग की अनदेखी करना कई बार आंखों पर भारी भी पड़ सकती है.

ओक्युलर प्रूराइटस के कारणों और इस समस्या से बचाव के तरीकों के बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखिभवा ने दिल्ली के एक 'आई सेंटर' की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राधा चौधरी से जानकारी ली.

क्या है ओक्युलर प्रूराइटस व उसके कारण

डॉक्टर राधा बताती हैं कि ओक्युलर प्रूराइटस वैसे तो एक आम समस्या है जिसमें पलकों में खुजली महसूस होने लगती है, लेकिन समस्या के ज्यादा बढ़ने पर आxखों में खुजली के साथ जलन व दर्द आदि समस्याएं भी हो सकती है.

ओक्युलर प्रूराइटस होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से आम कारण इस प्रकार हैं.

  • धूल-मिट्टी या प्रदूषण के कणों के आंखों में जाना
  • बालों में इस्तेमाल किए जाने वाले शैंपू या हेयर डाई में मौजूद रसायनिक तत्वों का आंखों में जाना
  • आँखों के मेकअप विशेषकर काजल का खराब गुणवत्ता वाला होना या उनका लंबी अवधि तक लगे रहना
  • आंखों में सूखापन
  • आँखों में किसी प्रकार की ओक्युलर एलर्जी या कंजेक्टिवाइटिस आदि संक्रमण का प्रभाव
  • पलकों में सेबोरीक डर्मेटाइटिस होना
  • खराब क्वालिटी के कांटेक्ट लेंस लगाना
  • आहार में आँखों के लिए जरूरी पोषण की कमी
  • कोमोरबीटी समस्याएं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग या अन्य चिकित्सीय कारणों का प्रभाव

डॉक्टर राधा बताती हैं कि इनके अलावा और भी कई कारण हैं जिनके चलते आंखों विशेषकर पलकों में खुजली की समस्या हो सकती है.

वह बताती है धूल-मिट्टी या प्रदूषण के प्रभाव के चलते या किसी प्रकार के रासायनिक तत्वों के आंख में जाने पर साफ पानी से उन्हें धोने और चिकित्सक द्वारा बताई गई आई ड्रॉप डालने से ज्यादातर मामलों में तत्काल राहत मिल जाती है. लेकिन कई बार कांटेक्ट लेंस से होने वाली या अन्य कारणों से होने वाली एलर्जी, किसी प्रकार के कंजेक्टिवाइटिस, अलग अलग प्रकार की ओक्युलर एलर्जी या त्वचा संबंधी रोग होने पर बहुत जरूरी है कि चिकित्सक से परामर्श तथा इलाज लिया जाए.

नजरअंदाज ना करें आंखों की समस्या

वह बताती हैं कि पलकों में खुजली के अलावा यदि पीड़ित को आंखों में लगातार दर्द तथा सूजन हो, उसकी आंखों का रंग लाल होने लगे, उसकी नजर कमजोर या धुंधली होने लगे या फिर आंखों से ज्यादा मात्रा में डिस्चार्ज या पानी निकलने लगे तो इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तत्काल चिकित्सक से आंखों की जांच करानी चाहिए. वरना आँखों को नुकसान पहुँच सकता है.

कैसे करें आंखों की देखभाल

डॉक्टर राधा बताती है कि सामान्य अवस्था में होने वाले ओक्युलर प्रूराइटस से बचाव के लिए कुछ सावधानियों को अपनाया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • दिन के समय घर से बाहर निकलते समय या तेज धूप में धूप का चश्मा पहन कर ही घर से निकले. इसके अलावा दिन हो या रात यदि आप किसी ऐसे स्थान पर जा रही हैं जहां धूल-मिट्टी और प्रदूषण की मात्रा ज्यादा हो सकती है सामान्य बिना नजर वाले चश्मे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • कहीं भी बाहर से आने के बाद या दिन में कम से कम 2 बार आंखों को साफ और ताजे पानी से अवश्य धोएं.
  • बालों या त्वचा पर किसी भी प्रकार के रसायनिक उत्पाद का उपयोग करते समय ध्यान रहे कि उसके कण आंखों में ना जा पाए.
  • विशेष तौर पर महिलाएं आंखों में इस्तेमाल करने वाले मेकअप उत्पादों का चयन बहुत सोच समझ कर करें. खराब गुणवत्ता वाले मेकअप उत्पाद विशेष तौर पर काजल आंखों में एलर्जी या संक्रमण का कारण भी बन सकता है.
  • लंबे समय तक कंप्यूटर के समक्ष बैठकर कार्य करने वाले लोग जहां तक संभव हो ऐसे चश्मों का उपयोग करें, जो उनकी आंखों को स्क्रीन की सीधी रोशनी के दुष्प्रभावों से बचा सके. इसके अलावा लंबे समय तक कंप्यूटर की तरफ देखने की बजाए बीच-बीच में कुछ क्षणों का अंतराल लेते रहें.
  • पढ़ते समय या किसी भी ऐसे कार्य को करते समय जहां आंखों से ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत हो ,इस बात का ध्यान रखें कि वहां रोशनी पर्याप्त मात्रा में हो.
  • बिना चिकित्सीय परामर्श आंखों में किसी भी प्रकार की ड्राप या दवाई ना डालें.
  • हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले कांटेक्ट लेंस ही पहने.
  • आहार में हर प्रकार के फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं तथा शरीर के साथ आंखों में भी नमी बनी रहे इसके लिए दिन भर में जरूरी मात्रा में पानी पीते रहें.
  • आंखों से जुड़े व्यायामों का नियमित अभ्यास करें.
  • ध्यान रहे कि प्रतिदिन जरूरी मात्रा में नींद अवश्य ले. नींद पूरी ना होने पर भी आंखों में समस्याएं हो सकती हैं.

पढ़ें: नजरअंदाज न करें नवजात या छोटे बच्चों में आँखों के बार बार चिपकने की समस्या

ओक्युलर प्रूराइटस वैसे तो हर उम्र के लोगों में नजर आ सकने वाली आम समस्या है. जिसके लिए आंखों पर प्रदूषण व धूल मिट्टी के प्रभाव, साफ सफाई के अभाव या किसी प्रकार के संक्रमण, एलर्जी, जीवनशैली जनित समस्याओं या रोग के प्रभावों सहित कई कारणों को जिम्मेदार माना जाता है. इस रोग में जब तक लक्षण ज्यादा गंभीर ना हो तो लोग इसे सिर्फ आंखों में खुजली समझकर इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नही देते हैं, लेकिन उनका ऐसा करना और इस रोग की अनदेखी करना कई बार आंखों पर भारी भी पड़ सकती है.

ओक्युलर प्रूराइटस के कारणों और इस समस्या से बचाव के तरीकों के बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखिभवा ने दिल्ली के एक 'आई सेंटर' की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राधा चौधरी से जानकारी ली.

क्या है ओक्युलर प्रूराइटस व उसके कारण

डॉक्टर राधा बताती हैं कि ओक्युलर प्रूराइटस वैसे तो एक आम समस्या है जिसमें पलकों में खुजली महसूस होने लगती है, लेकिन समस्या के ज्यादा बढ़ने पर आxखों में खुजली के साथ जलन व दर्द आदि समस्याएं भी हो सकती है.

ओक्युलर प्रूराइटस होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से आम कारण इस प्रकार हैं.

  • धूल-मिट्टी या प्रदूषण के कणों के आंखों में जाना
  • बालों में इस्तेमाल किए जाने वाले शैंपू या हेयर डाई में मौजूद रसायनिक तत्वों का आंखों में जाना
  • आँखों के मेकअप विशेषकर काजल का खराब गुणवत्ता वाला होना या उनका लंबी अवधि तक लगे रहना
  • आंखों में सूखापन
  • आँखों में किसी प्रकार की ओक्युलर एलर्जी या कंजेक्टिवाइटिस आदि संक्रमण का प्रभाव
  • पलकों में सेबोरीक डर्मेटाइटिस होना
  • खराब क्वालिटी के कांटेक्ट लेंस लगाना
  • आहार में आँखों के लिए जरूरी पोषण की कमी
  • कोमोरबीटी समस्याएं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग या अन्य चिकित्सीय कारणों का प्रभाव

डॉक्टर राधा बताती हैं कि इनके अलावा और भी कई कारण हैं जिनके चलते आंखों विशेषकर पलकों में खुजली की समस्या हो सकती है.

वह बताती है धूल-मिट्टी या प्रदूषण के प्रभाव के चलते या किसी प्रकार के रासायनिक तत्वों के आंख में जाने पर साफ पानी से उन्हें धोने और चिकित्सक द्वारा बताई गई आई ड्रॉप डालने से ज्यादातर मामलों में तत्काल राहत मिल जाती है. लेकिन कई बार कांटेक्ट लेंस से होने वाली या अन्य कारणों से होने वाली एलर्जी, किसी प्रकार के कंजेक्टिवाइटिस, अलग अलग प्रकार की ओक्युलर एलर्जी या त्वचा संबंधी रोग होने पर बहुत जरूरी है कि चिकित्सक से परामर्श तथा इलाज लिया जाए.

नजरअंदाज ना करें आंखों की समस्या

वह बताती हैं कि पलकों में खुजली के अलावा यदि पीड़ित को आंखों में लगातार दर्द तथा सूजन हो, उसकी आंखों का रंग लाल होने लगे, उसकी नजर कमजोर या धुंधली होने लगे या फिर आंखों से ज्यादा मात्रा में डिस्चार्ज या पानी निकलने लगे तो इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तत्काल चिकित्सक से आंखों की जांच करानी चाहिए. वरना आँखों को नुकसान पहुँच सकता है.

कैसे करें आंखों की देखभाल

डॉक्टर राधा बताती है कि सामान्य अवस्था में होने वाले ओक्युलर प्रूराइटस से बचाव के लिए कुछ सावधानियों को अपनाया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • दिन के समय घर से बाहर निकलते समय या तेज धूप में धूप का चश्मा पहन कर ही घर से निकले. इसके अलावा दिन हो या रात यदि आप किसी ऐसे स्थान पर जा रही हैं जहां धूल-मिट्टी और प्रदूषण की मात्रा ज्यादा हो सकती है सामान्य बिना नजर वाले चश्मे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • कहीं भी बाहर से आने के बाद या दिन में कम से कम 2 बार आंखों को साफ और ताजे पानी से अवश्य धोएं.
  • बालों या त्वचा पर किसी भी प्रकार के रसायनिक उत्पाद का उपयोग करते समय ध्यान रहे कि उसके कण आंखों में ना जा पाए.
  • विशेष तौर पर महिलाएं आंखों में इस्तेमाल करने वाले मेकअप उत्पादों का चयन बहुत सोच समझ कर करें. खराब गुणवत्ता वाले मेकअप उत्पाद विशेष तौर पर काजल आंखों में एलर्जी या संक्रमण का कारण भी बन सकता है.
  • लंबे समय तक कंप्यूटर के समक्ष बैठकर कार्य करने वाले लोग जहां तक संभव हो ऐसे चश्मों का उपयोग करें, जो उनकी आंखों को स्क्रीन की सीधी रोशनी के दुष्प्रभावों से बचा सके. इसके अलावा लंबे समय तक कंप्यूटर की तरफ देखने की बजाए बीच-बीच में कुछ क्षणों का अंतराल लेते रहें.
  • पढ़ते समय या किसी भी ऐसे कार्य को करते समय जहां आंखों से ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत हो ,इस बात का ध्यान रखें कि वहां रोशनी पर्याप्त मात्रा में हो.
  • बिना चिकित्सीय परामर्श आंखों में किसी भी प्रकार की ड्राप या दवाई ना डालें.
  • हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले कांटेक्ट लेंस ही पहने.
  • आहार में हर प्रकार के फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं तथा शरीर के साथ आंखों में भी नमी बनी रहे इसके लिए दिन भर में जरूरी मात्रा में पानी पीते रहें.
  • आंखों से जुड़े व्यायामों का नियमित अभ्यास करें.
  • ध्यान रहे कि प्रतिदिन जरूरी मात्रा में नींद अवश्य ले. नींद पूरी ना होने पर भी आंखों में समस्याएं हो सकती हैं.

पढ़ें: नजरअंदाज न करें नवजात या छोटे बच्चों में आँखों के बार बार चिपकने की समस्या

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