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मां और बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर रखता है गर्भावस्था में नियमित टहलना

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Published : Nov 27, 2021, 2:13 PM IST

चिकित्सक और जानकार मानते हैं कि गर्भावस्था के पूरे नौ महीने की अवधि के दौरान यदि माता शारीरिक रूप से सक्रिय रहती है तो सामान्य प्रसव को दौरान होने वाली पीड़ा या समस्याओं से उसे कुछ हद तक राहत मिल जाती है. गर्भवती महिलाओं के लिए टहलने को सर्वोत्तम व सुरक्षित व्यायाम माना जाता है. आइए जानते हैं क्यों ?

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गर्भावस्था में नियमित टहलना

सामान्य गर्भावस्था के दौरान महिला रोग विशेषज्ञ महिलाओं को स्वस्थ खानपान अपनाने, जरूरी सावधानियाँ बरतने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए नियमित रूप से टहलने की सलाह देते हैं. ना सिर्फ चिकित्सक बल्कि घर की बुजुर्ग महिलायें भी गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से टहलने की सलाह देती हैं जिससे माँ का शरीर सक्रिय रहे, गर्भ में शिशु भी स्वस्थ रहे तथा प्रसव के दौरान महिलाओं को कम पीड़ा झेलनी पड़े.

चेन्नई की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ लता नैयर बताती हैं कि स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिए गर्भवती महिला को चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार तथा उनके द्वारा बताई गई सावधानियों को मानते हुए प्रतिदिन 30 से 45 मिनट तक टहलना चाहिए.

गर्भावस्था में सर्वोत्तम व्यायाम है टहलना

डॉ लता नैयर बताती हैं कि नियमित रूप से टहलना गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित तथा सरल व्यायाम हैं. इसलिए गर्भावस्था के पूरे नौ महीने की अवधि में चिकित्सक से सलाह लेकर गर्भवती महिला को नियमित रूप से सुबह या शाम तथा यदि संभव हो तो दोनों समय टहलना चाहिए. ऐसा करना ना सिर्फ महिला बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचाता है, तथा प्रसव के दौरान महिलाओं की मुश्किलों को कुछ हद तक कम कर सकता है.

वह बताती हैं कि टहलने को कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम की श्रेणी में रखा जाता है. गर्भावस्था में टहलने से माता के ह्रदय का स्वास्थ्य बना रहता है साथ ही उनकी मांसपेशियाँ भी मजबूत होती हैं. दरअसल गर्भावस्था की दूसरी तथा तीसरी तिमाही में कई बार वजन बढ़ने तथा अन्य कारणों से कुछ महिलाओं के पैरों में सूजन आ जाती है, ऐसे में यदि मांसपेशियां मजबूत हों तो पैरों में सूजन की समस्या में आराम मिल सकता है.

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में न सिर्फ कई प्रकार की पाचन संबंधी (गैस,कब्ज)व अन्य समस्याएं होने तथा अलग-अलग कॉमिरबीटी विशेषकर मधुमेह होने का जोखिम बढ़ जाता है. नियमित वॉक से इन समस्याओं में भी राहत मिल सकती है. और जब माता स्वस्थ होती है तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ भी अच्छा रहता है.

गर्भावस्था के दौरान टहलने के दौरान बरते विशेष सावधानी

  • टहलते समय गर्भवती महिलाओं को आरामदायक और बिना ऊंची एडी वाले जूते विशेषकर स्पोर्ट्स शू (sports shoes) पहनने चाहिए. गर्भवती महिलाओं को सिर्फ टहलने के लिए ही नही बल्कि सामान्य अवस्था में भी बिना एडी वाले जूते पहनने को प्राथमिकता देनी चाहिए. क्योंकि ऊंची एडी के जूते पाँव मुड़ने के खतरे को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही कई अन्य प्रकार के नुकसान भी पहुँचा सकते हैं.
  • गर्भवती महिलाओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके शरीर में पानी की कमी ना हो. साथ ही उनके शरीर का तापमान भी ज्यादा ना बढ़े. इसलिए न सिर्फ टहलते समय बल्कि घर से बाहर जाने पर भी उन्हे हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखनी चाहिए. और थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ घूंट पानी पीते रहना चाहिए.
  • अकेले टहलने की बजाय यदि संभव हो तो गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा के मद्देनजर किसी के साथ टहलना चाहिए.
  • चिकित्सक की सलाह पर टहलने से 30 या 40 मिनट पहले हल्का-फुल्का आहार या स्नेक्स ग्रहण किया जाना फायदेमंद होता हैं.
  • जहां तक संभव हो टहलने के लिए सुबह के समय का चुनाव करें. वहीं रात के खाने के बाद 15 मिनट से 30 मिनट तक टहलना फायदेमंद हो सकता है.
  • टहलने के दौरान किसी भी प्रकार की असहजता ता दर्द होने पर चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है.

पढ़ें: मां बनने से पहले भावनात्मक तैयारी जरूरी

सामान्य गर्भावस्था के दौरान महिला रोग विशेषज्ञ महिलाओं को स्वस्थ खानपान अपनाने, जरूरी सावधानियाँ बरतने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए नियमित रूप से टहलने की सलाह देते हैं. ना सिर्फ चिकित्सक बल्कि घर की बुजुर्ग महिलायें भी गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से टहलने की सलाह देती हैं जिससे माँ का शरीर सक्रिय रहे, गर्भ में शिशु भी स्वस्थ रहे तथा प्रसव के दौरान महिलाओं को कम पीड़ा झेलनी पड़े.

चेन्नई की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ लता नैयर बताती हैं कि स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिए गर्भवती महिला को चिकित्सक के निर्देशों के अनुसार तथा उनके द्वारा बताई गई सावधानियों को मानते हुए प्रतिदिन 30 से 45 मिनट तक टहलना चाहिए.

गर्भावस्था में सर्वोत्तम व्यायाम है टहलना

डॉ लता नैयर बताती हैं कि नियमित रूप से टहलना गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित तथा सरल व्यायाम हैं. इसलिए गर्भावस्था के पूरे नौ महीने की अवधि में चिकित्सक से सलाह लेकर गर्भवती महिला को नियमित रूप से सुबह या शाम तथा यदि संभव हो तो दोनों समय टहलना चाहिए. ऐसा करना ना सिर्फ महिला बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचाता है, तथा प्रसव के दौरान महिलाओं की मुश्किलों को कुछ हद तक कम कर सकता है.

वह बताती हैं कि टहलने को कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम की श्रेणी में रखा जाता है. गर्भावस्था में टहलने से माता के ह्रदय का स्वास्थ्य बना रहता है साथ ही उनकी मांसपेशियाँ भी मजबूत होती हैं. दरअसल गर्भावस्था की दूसरी तथा तीसरी तिमाही में कई बार वजन बढ़ने तथा अन्य कारणों से कुछ महिलाओं के पैरों में सूजन आ जाती है, ऐसे में यदि मांसपेशियां मजबूत हों तो पैरों में सूजन की समस्या में आराम मिल सकता है.

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में न सिर्फ कई प्रकार की पाचन संबंधी (गैस,कब्ज)व अन्य समस्याएं होने तथा अलग-अलग कॉमिरबीटी विशेषकर मधुमेह होने का जोखिम बढ़ जाता है. नियमित वॉक से इन समस्याओं में भी राहत मिल सकती है. और जब माता स्वस्थ होती है तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ भी अच्छा रहता है.

गर्भावस्था के दौरान टहलने के दौरान बरते विशेष सावधानी

  • टहलते समय गर्भवती महिलाओं को आरामदायक और बिना ऊंची एडी वाले जूते विशेषकर स्पोर्ट्स शू (sports shoes) पहनने चाहिए. गर्भवती महिलाओं को सिर्फ टहलने के लिए ही नही बल्कि सामान्य अवस्था में भी बिना एडी वाले जूते पहनने को प्राथमिकता देनी चाहिए. क्योंकि ऊंची एडी के जूते पाँव मुड़ने के खतरे को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही कई अन्य प्रकार के नुकसान भी पहुँचा सकते हैं.
  • गर्भवती महिलाओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके शरीर में पानी की कमी ना हो. साथ ही उनके शरीर का तापमान भी ज्यादा ना बढ़े. इसलिए न सिर्फ टहलते समय बल्कि घर से बाहर जाने पर भी उन्हे हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखनी चाहिए. और थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ घूंट पानी पीते रहना चाहिए.
  • अकेले टहलने की बजाय यदि संभव हो तो गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा के मद्देनजर किसी के साथ टहलना चाहिए.
  • चिकित्सक की सलाह पर टहलने से 30 या 40 मिनट पहले हल्का-फुल्का आहार या स्नेक्स ग्रहण किया जाना फायदेमंद होता हैं.
  • जहां तक संभव हो टहलने के लिए सुबह के समय का चुनाव करें. वहीं रात के खाने के बाद 15 मिनट से 30 मिनट तक टहलना फायदेमंद हो सकता है.
  • टहलने के दौरान किसी भी प्रकार की असहजता ता दर्द होने पर चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है.

पढ़ें: मां बनने से पहले भावनात्मक तैयारी जरूरी

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