विश्व अस्थमा दिवस : दुनिया भर से अस्थमा को खत्म करने के लिए हर साल विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. World Asthma Day मई के पहले मंगलवार को मनाया जाता है.इस दिन को Global Initiative for Asthma - GINA (ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा)द्वारा एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जा रहा है. World Asthma Day को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोगी संगठन www.ginasthma.org - GINA द्वारा आयोजित किया जाता है, जो 1993 में स्थापित हुआ था . World Asthma Day - WAD का मुख्य उद्देश्य लोगों को अस्थमा के प्रति जागरूक करना है.
GINA ने 2023 विश्व अस्थमा दिवस WAD 2023 के लिए थीम के रूप में Asthma care for All - अस्थमा केयर फॉर ऑल को चुना है. सन 1998 में पहली बार मनाया गया था विश्व अस्थमा दिवस. World Health Organisation - WHO के अनुसार,भारत में लगभग 20 मिलियन अस्थमा रोगी हैं.इसमें हर उम्र के लोग शामिल हैं.यह एक श्वसन रोग है जिसमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है.कोविड जैसी बीमारी से बचने के लिए अस्थमा का इलाज जरूरी है, जिसमें सावधानी और जागरूकता की जरूरत है.
अस्थमा एक श्वसन रोग है, जिसे आमतौर पर सांस की समस्या के रूप में जाना जाता है. आजकल विभिन्न कारणों से हर उम्र के लोगों में इन बीमारियों की संख्या बढ़ती जा रही है. अस्थमा के कई लक्षण सिर्फ बड़ों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी देखे जाते हैं. अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें वायुमार्ग में सूजन हो जाती है और श्वसन संक्रमण हो जाता है.नतीजतन,रोगी को सांस लेने में परेशानी होने लगती है.Asthma एक ऐसी समस्याहै जो 6 महीने के बच्चे सेलेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक को होसकती है.
अस्थमा के लिए आनुवंशिकता, स्वास्थ्य समस्याएं, एलर्जी, संक्रमण, मौसमी परिवर्तन और प्रदूषण आदि जैसे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. ज्यादातर मामलों में बच्चों में अस्थमा के लिए जेनेटिक कारक भी जिम्मेदार होते हैं. आनुवंशिकता के अलावा, कभी-कभी शारीरिक परिस्थितियां और पर्यावरणीय कारक भी अस्थमा के लिए जिम्मेदार होते हैं.उदाहरण के लिए, यदि बच्चे के माता-पिता दोनों को दमा है,तो बच्चे में Asthma रोग के विकसित होने की संभावनाअधिक होती है.इसके अलावा, अस्थमा कुछ शारीरिक बीमारियों, यों जानवरों के संपर्क में आने, एलर्जी, संक्रमणऔर कुछ दवाओं केदुष्प्रभाव के कारण हो सकता है.इसके अतिरिक्त प्रदूषण को भी अस्थमा के बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.उम्र, स्थिति और अवस्था के आधार पर अस्थमा कई प्रकार का हो सकता है जैसे:
- एलर्जिक अस्थमा. Allergic asthma
- नॉन-एलर्जिक अस्थमा. Non-allergic asthma
- ऑक्यूपेशनल अस्थमा. Occupational asthma
- मिमिक अस्थमा. Mimic asthma
- चाइल्ड अस्थमा. Child Asthma
- एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा. Adult-onset asthma
- ड्राई कफ अस्थमा. Dry cough asthma
- ड्रग रिएक्शन अस्थमा. Drug reaction asthma
अस्थमा से पीड़ित लोगों को डॉक्टरी सलाह के बिना जटिल, तेज गति वाले और उच्च तीव्रता वाले व्यायाम से बचना चाहिए. इसके अलावा भी कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि जरा सी लापरवाही या लापरवाही स्थिति को जटिल बना सकती है. इतना ही नहीं कुछ खास मामलों में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है. इनमें से कुछ स्थितियाँ हैं:
- सांस लेने में तकलीफ के दौरान खांसी और लंबे समय तक सर्दी. Cough and cold .
- सीने में दर्द. Chest pain.
- बार-बार होने वाली एलर्जी. Recurrent allergies.
- नींद के दौरान बड़ी बेचैनी, सीने में दर्द. discomfort during sleep, chest pain
- नींद न आना या सांस लेने में तकलीफ होना. Sleeplessness or difficulty in breathing
अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इस बीमारी के साथ भी व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है. लेकिन इलाज और दवा के साथ-साथ मरीज को कई तरह की सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं, नहीं तो कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है. अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति अगर समय पर दवाई ले, डॉक्टर के निर्देशों का पालन करे, स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाए और उचित आहार का पालन करे तो अस्थमा काफी हद तक ठीक हो सकता है.
Ayurvedic Precautions for Asthma : अस्थमा से बचना है तो औषधि व सही आहार के साथ सावधानियां भी है जरूरी