बच्चे के जन्म के उपरांत सही देखभाल का अभाव उसकी जान को खतरे में डाल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में बड़ी संख्या में बच्चे अपने जन्म के 28 दिन के भीतर लापरवाही या विभिन्न प्रकार की अस्वस्थता के चलते अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। नवजात बच्चों की देखभाल के सही तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दुनिया भर में 15 नवंबर से 21 नवंबर तक नवजात देखभाल सप्ताह मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा नवजात की देखभाल, उसके तथा उसकी माता के स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखा जाए गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिए किस तरह के कदम उठाने चाहिए विषयों पर जानकारी देने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं ।
नवजात मृत्यु के कारण
माता के गर्भ से बाहर निकल कर जब बच्चा इस दुनिया में आता है उसका शरीर विभिन्न प्रकार के रोगों तथा संक्रमण को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। विशेष तौर पर जन्म के उपरांत के 28 दिन काफी कठिन होते हैं क्योंकि नवजात का शरीर बाहरी वातावरण के साथ सामंजस्य बैठाने का प्रयास कर रहा होता है। ऐसे भी समय में किसी भी प्रकार की बीमारी कमजोरी या संक्रमण बच्चे की जान पर खतरा पैदा कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार नवजात की मृत्यु के मुख्य कारण इस प्रकार हैं।
- बच्चे का प्रीमेच्योर यानी नवे महीने से पहले जन्म
- बच्चे के जन्म के दौरान होने वाली समस्याएं या दुर्घटनाएं
- निओनेटल यानी जन्म के 28 दिन के भीतर होने वाले संक्रमण
- प्रसव पूर्व माता के गर्भ में होने वाली समस्याए
- माता में एचआईवी जैसा कोई गंभीर संक्रमण
- जन्म के उपरांत प्रथम 5 वर्ष के भीतर निमोनिया डायरिया और कुपोषण जैसी विभिन्न रोगों का होना
कैसे करें नवजात की देखभाल
जन्म के उपरांत नवजात की सही तरीके से देखभाल बहुत जरूरी होती है। उसकी शारीरिक साफ-सफाई, आसपास का वातावरण तथा उसका स्वास्थ्य, यह सभी कारक बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए बहुत जरूरी है। नवजात बच्चों की विशेष देखभाल के लिए डब्ल्यूएचओ ने गाइडलाइन जारी की है जो इस प्रकार है।
- थर्मल प्रोटेक्शन यानी माता तथा शिशु के बीच त्वचा का संपर्क होना चाहिए जिससे बच्चे को घबराहट महसूस ना हो।
- गर्भनाल कटने के उपरांत संक्रमण से बचने के लिए शरीर से जुड़े गर्भनाल के हिस्से की देखभाल करनी जरूरी है।
- जन्म के तुरंत उपरांत माता को नवजात को पहला दुग्ध पान कराना चाहिए, मां का पहला दूध बच्चे को कई रोगों से बचा कर रखता है।
- स्तनपान कराते समय बच्चे के सही तरीके से घुटने पकड़ने तथा सांस लेने सहित सभी जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- जन्म के समय यदि बच्चा कमजोर है, उसका वजन कम है या उसकी माता एचआईवी जैसे किसी फिर संक्रमण से पीड़ित है तो बच्चे को जन्म के तुरंत उपरांत तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए
- बच्चें का सही समय पर टीकाकरण बहुत जरूरी है।