पहले माना जाता था कि बालों का सफेद होना बुढ़ापे की निशानी है. लेकिन आजकल युवा वयस्कों और टीनएजर्स में भी सफेद बालों की समस्या काफी ज्यादा देखने में आने लगी है. चिकित्सक इसके लिए खान पान में असंयमितता, अस्वस्थ जीवनशैली तथा बालों की स्टाइलिंग को लेकर ज्यादा प्रयोग को जिम्मेदार मानते हैं.
आयुर्वेद में भी बालों के सफेद होने के लिए पित्त और वात में गड़बड़ी को जिम्मेदार माना जाता है. सभी जानते हैं कि आयुर्वेद के मुताबिक शरीर के तीन दोष, वात, कफ और पित्त हमारे शरीर को नियंत्रित करते हैं. जोकि वातावरण ,भौगोलिक परिस्थितियां और अनुवांशिकता पर निर्भर करते हैं. इन सभी का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग अलग हो सकता है. जो उस व्यक्ति के शरीर के शरीर की प्रकृति निर्धारित करता हैं.
क्या हैं कारण
मुंबई के निरोग आयुर्वेदिक चिकित्सालय की विशेषज्ञ डॉ मनीषा काले के अनुसार यदि बाल समय से पहले सफेद होने लगे तो आयुर्वेद में इसे अकाल पालित्य यानी पित्त और वात दोष में गड़बड़ी माना जाता है. वह बताती हैं कि पित्त में गड़बड़ी शरीर में मेलानोसाइट्स को प्रभावित करती है और मेलानोसाइट्स ही मेलानिन (वह पिगमेंट जो बालों का रंग निर्धारित करता है) उत्पादन का कार्य करता है. ऐसे में जब मेलानोसाइट्स प्रभावित होने लगते हैं तो मेलेनिन के उत्पादन पर असर पड़ता है और बाल सफेद होने लगते हैं।
डॉ मनीषा बताती हैं कि समय से पहले बाल सफेद होने के लिए कई बार अनुवांशिकता को भी जिम्मेदार माना जाता है. इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी है जो बालों में असमय सफेदी का कारण माने जाते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- शरीर में पोषण की कमी
खान पान में असंतुलन , अस्वास्थकारी भोजन जैसे जंक फूड, चीनी, मैदे से बने आहार, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड आहार, अन्य प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन तथा पौष्टिक आहार के सेवन में कमी जैसे कारणों के चलते ना सिर्फ हमारे पाचन तंत्र में समस्याएं होती हैं बल्कि उसका कार्य भी प्रभावित होता है. पाचन में समस्या के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में दोष ज्यादा प्रभाव दिखाने लगते हैं. जिनका असर अन्य अंगों के कार्यों तथा विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं पर भी पड़ने लगता है. बालों के जल्दी सफेद होने की प्रक्रिया भी उन्ही में से एक है. - नींद की कमी
नींद की कमी का असर हमारे शरीर पर गंभीर रूप में नजर आता है. इसके चलते व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बालों के सफेद होने की बात करें तो नींद की कमी शरीर में सूजन पैदा करती है. जिसके चलते बालों के पिगमेंट (मेलेनिन) के निर्माण में समस्या होने लगती है और बाल कमजोर व सफेद होने लगते हैं. - खून की कमी होने पर
शरीर में आयरन की कमी के चलते हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर भी बाल सफेद होने लगते हैं. - ज्यादा तनाव
तनाव की अधिकता होने पर शरीर में नॉरपेनेफ्रिन हार्मोन का विस्तार होने लगता है. जो मेलानोसाइट कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. चूंकि मेलानोसाइट्स पिग्मेंट कोशिकाएं ही बालों का रंग निर्धारित करती हैं, ऐसे में यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक तनावग्रस्त रहता है उसके बालों का रंग अपेक्षाकृत जल्दी सफेद होने लगता है. - धूम्रपान
ज्यादा धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण ज्यादा मात्रा में होता है.जो शरीर के दोषों को ट्रिगर करते हैं. जिसके चलते शरीर के कई अंगों की सेहत , उनका कार्य तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी गंभीर रूप से प्रभावित होती है. इसका प्रभाव बालों की सेहत पर भी नजर आता है और बाल कमजोर व समय से पहले सफेद होने लगते हैं.
कैसे रखें देखभाल
डॉ मनीषा बताती हैं कि सिर्फ सेहत संबंधित कारणों से ही नही बल्कि वर्तमान समय में कम उम्र के लोगों द्वारा भी कठोर रसायनों से बने शैंपू , हेयर कलर, हेयर ब्लीच, जेल तथा अन्य प्रकार के बालों की स्टाइलिंग से जुड़े उत्पादों का जरूरत से ज्यादा उपयोग, बालों के पिगमेंट को नुकसान पहुंचाता है.
वह बताती हैं कि जहां तक संभव हों बालों पर हर्बल तथा सौम्य उत्पादों का उपयोग करना चाहिए. और जटिल रसायनों से बने उत्पादों का उपयोग कम से कम करना चाहिए. इसके अलावा आहार में आयरन, कॉपर, प्रोटीन तथा विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए. आयुर्वेद में बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई प्रकार के तेलों का उल्लेख मिलता है. साथ ही औषधि के रूप में भी कई प्रकार की जड़ी-बूटियों के सेवन की अनुशंसा की जाती है, जो बालों को जड़ से सेहतमंद तथा उनके सौन्दर्य को बढ़ाने में मदद करतीं हैं. जिनका उपयोग चिकित्सक से परामर्श तथा बालों की समस्या के अनुसार किया जा सकता है.
इसके अलावा समय पर नींद तथा संयमित आहार का पालन करना चाहिए. इसके बाद भी यदि बालों के असमय सफेद होने के साथ बालों की और भी समस्याएं ज्यादा परेशान करने लगें तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए.