ETV Bharat / sukhibhava

किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकती है वेरीकोस वेन्स - prevention for varicose veins

'वेरीकोस वेन्स' नसों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पांव में नसों के गुच्छें बनने लगते हैं. वैसे तो यह एक साधारण बीमारी है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सेहत पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकती है.

Varicose veins
वेरीकोस वेन्स
author img

By

Published : Nov 5, 2020, 3:30 PM IST

Updated : Nov 6, 2020, 10:13 AM IST

क्या आपने महसूस किया है कि जो लोग ज्यादा देर तक खड़े रहकर कार्य करते हैं, उनके पांव की पिंडलियों यानी घुटने के नीचे वाले हिस्से में नसों के गुच्छे बनने लग जाते हैं, जो कई बार दर्द दायक भी होते हैं. वेरीकोस वेन्स नामक यह रोग नसों की बीमारी कहलाता है. क्यों होता है वेरीकोज वेन्स और इससे शरीर पर क्या-क्या असर हो सकते हैं. इस बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने फिजियोथेरेपिस्ट तथा अल्टरनेट चिकित्सा पद्धति की चिकित्सक व योग इंस्ट्रक्टर डॉक्टर जान्हवी काथरानी से बात की.

क्या है वेरीकोज वेन्स

डॉक्टर जान्हवी बताती हैं कि वेरीकोस वेन्स उस अवस्था को कहते हैं, जब पांव के नसों के रंग में परिवर्तन आने लगता है और उनके गुच्छे बनने शुरू हो जाते हैं. नसों की यह बीमारी कुछ मामलों में दर्द दायक भी हो सकती है. दरअसल मनुष्य की नसों में एक वॉल्व होता है, जो हृदय की ओर रक्त को बहने में मदद करता है. यदि यह वॉल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो रक्त नसों में वापस आ सकता है. ऐसी परिस्थितियों में नसों का रंग गहरा होने लगता है. साथ ही उन में सूजन भी आ जाती है. स्थिति गंभीर होने पर कई बार नसों के गुच्छे भी बन जाते हैं. ऐसे लोग जिनका ज्यादातर समय खड़े होकर काम करने में बीतता है, उनमें वैरिकोस वेन्स की समस्या आमतौर पर देखने में आती है.

वेरीकोस वेन्स के कारण

वैरिकोस वेन्स एक आम बीमारी है, जो कई कारणों से हो सकती है. बढ़ती उम्र, मोटापा, परिवार में वेरीकोस वेन्स का इतिहास तथा लंबी अवधि तक खड़े होकर कार्य करने जैसे बहुत से कारण हैं, जो नसों की इस बीमारी को बढ़ा सकते हैं.

सामान्य लक्षणों पर जांच जरूरी

डॉक्टर जान्हवी बताती हैं कि सामान्य तौर पर वेरीकोज वेन्स से शरीर के किसी भी कार्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, लेकिन फिर भी लक्षण नजर आने पर बहुत जरूरी है कि व्यक्ति अपनी पूरी जांच करवाएं, क्योंकि यह शरीर में किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या की आहट हो सकती है. इस समस्या के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन के प्रसार तथा रक्त संचार पर असर पड़ सकता है, जिससे पीड़ित को पांव में सूजन, नसों में कमजोरी तथा पांव में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

क्या करें? क्या ना करें?

⦁ वेरीकोस वेन्स के पीड़ितों को बहुत लंबे समय तक खड़ा होना या बैठना नहीं चाहिए. यदि वे लंबे समय तक अपने पैरों को लटका कर रखते हैं, तो उनके पांव में खून का दौरा ज्यादा पड़ जाता है, जिससे उनकी समस्या बढ़ सकती है.

⦁ अधिक चीनी या किसी भी प्रकार का मीठा खाने से बचें. साथ ही शरीर में प्रोटीन की मात्रा पर ध्यान दें.

⦁ नसों में समस्या के लक्षण नजर आने पर जरूरी है कि चिकित्सक से सही तरीके से जांच कराई जाए. क्योंकि यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण हो सकता हैं.

⦁ वेरीकोस वेन्स की समस्या होने पर ज्यादा अवधि के लिए सीधे तौर पर गर्मी या ताप ग्रहण करने से बचें. जैसे ज्यादा समय तक सूर्य की रोशनी में ना खड़े हो, साथ ही फिजियोथेरेपी के दौरान लंबे समय तक सिकाई या किसी भी ऐसी चिकित्सा जिसमें कि सीधे तौर पर शरीर के किसी हिस्से को ताप दिया जाता है, से बचना चाहिए.

⦁ धूम्रपान तथा नशे की आदत से बचना चाहिए, क्योंकि यह हर लिहाज से शरीर के लिए खतरनाक ही होता है.

⦁ किसी भी अवस्था में ज्यादा भारी वस्तुओं को उठाने से बचना चाहिए, क्योंकि वेरीकोज वेन्स में वैसे ही हमारी नसों का तंत्र कमजोर हो जाता है. ऐसे में यदि हम भारी सामान उठाते हैं, तो हमारी नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं.

⦁ बिना चिकित्सीय सलाह के किसी भी तरह की मालिश लेने से बचें.

⦁ व्यायाम को नियमित जीवनशैली का हिस्सा बनाएं, जहां तक हो सके चले तथा हाथ पांव की स्ट्रेचिंग वाले व्यायाम करें.

⦁ चिकित्सक के निर्देशानुसार कंप्रेशन स्टॉकिंग्स को भी पहना जा सकता है.

⦁ अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच कराएं. शरीर में पोषक तत्व विशेषकर विटामिन की कमी को लेकर सचेत रहें.

वेरीकोस वेन्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर जान्हवी काथरानी से इस ईमेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है jk.swasthya108@gmail.com

क्या आपने महसूस किया है कि जो लोग ज्यादा देर तक खड़े रहकर कार्य करते हैं, उनके पांव की पिंडलियों यानी घुटने के नीचे वाले हिस्से में नसों के गुच्छे बनने लग जाते हैं, जो कई बार दर्द दायक भी होते हैं. वेरीकोस वेन्स नामक यह रोग नसों की बीमारी कहलाता है. क्यों होता है वेरीकोज वेन्स और इससे शरीर पर क्या-क्या असर हो सकते हैं. इस बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने फिजियोथेरेपिस्ट तथा अल्टरनेट चिकित्सा पद्धति की चिकित्सक व योग इंस्ट्रक्टर डॉक्टर जान्हवी काथरानी से बात की.

क्या है वेरीकोज वेन्स

डॉक्टर जान्हवी बताती हैं कि वेरीकोस वेन्स उस अवस्था को कहते हैं, जब पांव के नसों के रंग में परिवर्तन आने लगता है और उनके गुच्छे बनने शुरू हो जाते हैं. नसों की यह बीमारी कुछ मामलों में दर्द दायक भी हो सकती है. दरअसल मनुष्य की नसों में एक वॉल्व होता है, जो हृदय की ओर रक्त को बहने में मदद करता है. यदि यह वॉल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो रक्त नसों में वापस आ सकता है. ऐसी परिस्थितियों में नसों का रंग गहरा होने लगता है. साथ ही उन में सूजन भी आ जाती है. स्थिति गंभीर होने पर कई बार नसों के गुच्छे भी बन जाते हैं. ऐसे लोग जिनका ज्यादातर समय खड़े होकर काम करने में बीतता है, उनमें वैरिकोस वेन्स की समस्या आमतौर पर देखने में आती है.

वेरीकोस वेन्स के कारण

वैरिकोस वेन्स एक आम बीमारी है, जो कई कारणों से हो सकती है. बढ़ती उम्र, मोटापा, परिवार में वेरीकोस वेन्स का इतिहास तथा लंबी अवधि तक खड़े होकर कार्य करने जैसे बहुत से कारण हैं, जो नसों की इस बीमारी को बढ़ा सकते हैं.

सामान्य लक्षणों पर जांच जरूरी

डॉक्टर जान्हवी बताती हैं कि सामान्य तौर पर वेरीकोज वेन्स से शरीर के किसी भी कार्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, लेकिन फिर भी लक्षण नजर आने पर बहुत जरूरी है कि व्यक्ति अपनी पूरी जांच करवाएं, क्योंकि यह शरीर में किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या की आहट हो सकती है. इस समस्या के कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन के प्रसार तथा रक्त संचार पर असर पड़ सकता है, जिससे पीड़ित को पांव में सूजन, नसों में कमजोरी तथा पांव में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

क्या करें? क्या ना करें?

⦁ वेरीकोस वेन्स के पीड़ितों को बहुत लंबे समय तक खड़ा होना या बैठना नहीं चाहिए. यदि वे लंबे समय तक अपने पैरों को लटका कर रखते हैं, तो उनके पांव में खून का दौरा ज्यादा पड़ जाता है, जिससे उनकी समस्या बढ़ सकती है.

⦁ अधिक चीनी या किसी भी प्रकार का मीठा खाने से बचें. साथ ही शरीर में प्रोटीन की मात्रा पर ध्यान दें.

⦁ नसों में समस्या के लक्षण नजर आने पर जरूरी है कि चिकित्सक से सही तरीके से जांच कराई जाए. क्योंकि यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण हो सकता हैं.

⦁ वेरीकोस वेन्स की समस्या होने पर ज्यादा अवधि के लिए सीधे तौर पर गर्मी या ताप ग्रहण करने से बचें. जैसे ज्यादा समय तक सूर्य की रोशनी में ना खड़े हो, साथ ही फिजियोथेरेपी के दौरान लंबे समय तक सिकाई या किसी भी ऐसी चिकित्सा जिसमें कि सीधे तौर पर शरीर के किसी हिस्से को ताप दिया जाता है, से बचना चाहिए.

⦁ धूम्रपान तथा नशे की आदत से बचना चाहिए, क्योंकि यह हर लिहाज से शरीर के लिए खतरनाक ही होता है.

⦁ किसी भी अवस्था में ज्यादा भारी वस्तुओं को उठाने से बचना चाहिए, क्योंकि वेरीकोज वेन्स में वैसे ही हमारी नसों का तंत्र कमजोर हो जाता है. ऐसे में यदि हम भारी सामान उठाते हैं, तो हमारी नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं.

⦁ बिना चिकित्सीय सलाह के किसी भी तरह की मालिश लेने से बचें.

⦁ व्यायाम को नियमित जीवनशैली का हिस्सा बनाएं, जहां तक हो सके चले तथा हाथ पांव की स्ट्रेचिंग वाले व्यायाम करें.

⦁ चिकित्सक के निर्देशानुसार कंप्रेशन स्टॉकिंग्स को भी पहना जा सकता है.

⦁ अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच कराएं. शरीर में पोषक तत्व विशेषकर विटामिन की कमी को लेकर सचेत रहें.

वेरीकोस वेन्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर जान्हवी काथरानी से इस ईमेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है jk.swasthya108@gmail.com

Last Updated : Nov 6, 2020, 10:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.